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फ्लैट न बिकने से घट रही एलडीए की कमाई, प्रशासनिक खर्च बढ़े

शहरों के सुनियोजित विकास के साथ ही लोगों को रियायती दरों पर एक अदद आशियाना मुहैया कराने के लिए विकास प्राधिकरण का गठन किया गया था. बीते चार सालों में प्राधिकरण के पास कोई खास नई योजना नहीं रही है. पुरानी योजनाओं के फ्लैट व गरीबों के मकान तो कुछ हद तक बन रहे है, लेकिन अन्य वर्ग के लिए न तो भूखंड विकसित हुआ और न ही स्वतंत्र मकानों की योजनाएं शुरू हो पा रही हैं.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
लखनऊ विकास प्राधिकरण
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Published : Jun 10, 2021, 10:20 AM IST

लखनऊः एलडीए में लैंडबैंक के अभाव में नई योजनाओं पर काम नहीं हो पा रहा है. पुरानी योजनाएं भी फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रही हैं. फ्लैट बिक नहीं रहे हैं. कोरोना काल में किश्तें भी समय से नहीं आ रही है. इससे लखनऊ विकास प्राधिकरण की आय घट रही है, लेकिन इसके उलट प्रशासनिक व्यय में कोई कमी नहीं आ रही है.

चार साल में कोई योजना ठीक से नहीं ला पाया एलडीए
शहरों के सुनियोजित विकास के साथ ही लोगों को रियायती दरों पर एक अदद आशियाना मुहैया कराने के लिए विकास प्राधिकरण का गठन किया गया था. बीते चार सालों में प्राधिकरण के पास कोई खास नई योजना नहीं रही है. पुरानी योजनाओं के फ्लैट व गरीबों के मकान तो कुछ हद तक बन रहे है, लेकिन अन्य वर्ग के लिए न तो भूखंड विकसित हुआ और न ही स्वतंत्र मकानों की योजनाएं शुरू हो रही हैं. हालांकि एलडीए ने बीते वर्ष वसंतकुंज में भूखंडों की बिक्री की. इसके अलावा सुलतानपुर रोड पर नई टाउनशिप का खाका तैयार किया गया है. लेकिन पहले से मोहान रोड व प्रबंध नगर योजना को लेकर अभी कागजी कार्रवाई से इतर कुछ नहीं हो सका है.

अधिकारियों व अभियंताओं की फौज
यही नहीं विकास परिषद व प्राधिकरण में अधिकारियों-अभियंताओं की भारी-भरकम फौज बनी हुई है. ऐसे में एलडीए की आय में कमी हो रही है, वहीं खर्चे बढ़ते जा रहे हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण को बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 में 23.30 अरब रुपये की आय हासिल करनी थी. नौ माह में 334.29 करोड़ की आय ही हुई, जबकि 543 करोड़ रुपये विभिन्न कार्यों व प्रशासनिक प्रशासनिक व्यय हो गया.

पढ़ें- मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक, बाढ़ से निपटने के लिए तैयार रहने के दिए निर्देश


आय का मुख्य स्रोत हैं एलडीए की संपत्तियां
प्राधिकरण के लिए उसकी आय का मुख्य स्त्रोत संपत्तियां हैं. आवासीय भूखंडों की किश्तें एवं बिक्री से वर्ष 2019-20 में 186.425 करोड़ की आय हुई थी, वर्ष 2020-21 में 250 करोड़ की आय प्रस्तावित की गई, लेकिन लॉकडाउन होने से नौ महीने में महज 11.48 करोड़ की आय ही हुई. व्यवसायिक भूखंडों की बिक्री व बल्क सेल से 300 के मुकाबले करीब 80 करोड़ की आय हो सकी. भवनों, फ्लैट्स की बिक्री व किश्तों से 150 करोड़ के सापेक्ष 137 करोड़ की आय हुई. सबसे अधिक नुकसान व्यवसायिक केंद्रों की बुकिंग से हुआ है. दो सालों में सहालग के दौरान लॉकडाउन व कोरोना कर्फ्यू लगने से बुकिंग निरस्त हो गई. इससे बीते वर्ष 042 करोड़ की ही आय हुई. चालू वर्ष में इससे 20 करोड़ की आय होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.


लगातार प्रभावित हो रही है आय
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत फ्लैटों की बिक्री से 50 करोड़ प्रस्तावित की गई है. एलडीए ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 2342.75 करोड़ रुपये की आय का बजट पास किया है. बजट में आय में करीब 300 करोड़ रुपये की कमी की गयी है. कोरोना के चलते आमदनी घटने की वजह से प्राधिकरण ने कई मदों में बजट कम कर दिया है.


इस बार का बजट 358.50 करोड़ का
विकास का बजट पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 409.98 करोड़ की जगह 358.50 करोड़ किया गया है. करीब 51 करोड़ की कमी की गई है. वर्ष 2019-20 की तुलना में भी प्राधिकरण की आय इस बार काफी कम हुई है. 2019-20 में प्राधिकरण ने पूंजीगत मद में कुल 589.54 करोड़ की आय की थी. चालू वित्तीय वर्ष में बढ़ाकर इसे 1044.12 करोड़ किया था, लेकिन 31 दिसंबर 2020 तक केवल 227.17 करोड़ रुपये की ही आय हुई.

लखनऊः एलडीए में लैंडबैंक के अभाव में नई योजनाओं पर काम नहीं हो पा रहा है. पुरानी योजनाएं भी फाइलों से बाहर नहीं निकल पा रही हैं. फ्लैट बिक नहीं रहे हैं. कोरोना काल में किश्तें भी समय से नहीं आ रही है. इससे लखनऊ विकास प्राधिकरण की आय घट रही है, लेकिन इसके उलट प्रशासनिक व्यय में कोई कमी नहीं आ रही है.

चार साल में कोई योजना ठीक से नहीं ला पाया एलडीए
शहरों के सुनियोजित विकास के साथ ही लोगों को रियायती दरों पर एक अदद आशियाना मुहैया कराने के लिए विकास प्राधिकरण का गठन किया गया था. बीते चार सालों में प्राधिकरण के पास कोई खास नई योजना नहीं रही है. पुरानी योजनाओं के फ्लैट व गरीबों के मकान तो कुछ हद तक बन रहे है, लेकिन अन्य वर्ग के लिए न तो भूखंड विकसित हुआ और न ही स्वतंत्र मकानों की योजनाएं शुरू हो रही हैं. हालांकि एलडीए ने बीते वर्ष वसंतकुंज में भूखंडों की बिक्री की. इसके अलावा सुलतानपुर रोड पर नई टाउनशिप का खाका तैयार किया गया है. लेकिन पहले से मोहान रोड व प्रबंध नगर योजना को लेकर अभी कागजी कार्रवाई से इतर कुछ नहीं हो सका है.

अधिकारियों व अभियंताओं की फौज
यही नहीं विकास परिषद व प्राधिकरण में अधिकारियों-अभियंताओं की भारी-भरकम फौज बनी हुई है. ऐसे में एलडीए की आय में कमी हो रही है, वहीं खर्चे बढ़ते जा रहे हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण को बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 में 23.30 अरब रुपये की आय हासिल करनी थी. नौ माह में 334.29 करोड़ की आय ही हुई, जबकि 543 करोड़ रुपये विभिन्न कार्यों व प्रशासनिक प्रशासनिक व्यय हो गया.

पढ़ें- मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक, बाढ़ से निपटने के लिए तैयार रहने के दिए निर्देश


आय का मुख्य स्रोत हैं एलडीए की संपत्तियां
प्राधिकरण के लिए उसकी आय का मुख्य स्त्रोत संपत्तियां हैं. आवासीय भूखंडों की किश्तें एवं बिक्री से वर्ष 2019-20 में 186.425 करोड़ की आय हुई थी, वर्ष 2020-21 में 250 करोड़ की आय प्रस्तावित की गई, लेकिन लॉकडाउन होने से नौ महीने में महज 11.48 करोड़ की आय ही हुई. व्यवसायिक भूखंडों की बिक्री व बल्क सेल से 300 के मुकाबले करीब 80 करोड़ की आय हो सकी. भवनों, फ्लैट्स की बिक्री व किश्तों से 150 करोड़ के सापेक्ष 137 करोड़ की आय हुई. सबसे अधिक नुकसान व्यवसायिक केंद्रों की बुकिंग से हुआ है. दो सालों में सहालग के दौरान लॉकडाउन व कोरोना कर्फ्यू लगने से बुकिंग निरस्त हो गई. इससे बीते वर्ष 042 करोड़ की ही आय हुई. चालू वर्ष में इससे 20 करोड़ की आय होने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.


लगातार प्रभावित हो रही है आय
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत फ्लैटों की बिक्री से 50 करोड़ प्रस्तावित की गई है. एलडीए ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 2342.75 करोड़ रुपये की आय का बजट पास किया है. बजट में आय में करीब 300 करोड़ रुपये की कमी की गयी है. कोरोना के चलते आमदनी घटने की वजह से प्राधिकरण ने कई मदों में बजट कम कर दिया है.


इस बार का बजट 358.50 करोड़ का
विकास का बजट पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 409.98 करोड़ की जगह 358.50 करोड़ किया गया है. करीब 51 करोड़ की कमी की गई है. वर्ष 2019-20 की तुलना में भी प्राधिकरण की आय इस बार काफी कम हुई है. 2019-20 में प्राधिकरण ने पूंजीगत मद में कुल 589.54 करोड़ की आय की थी. चालू वित्तीय वर्ष में बढ़ाकर इसे 1044.12 करोड़ किया था, लेकिन 31 दिसंबर 2020 तक केवल 227.17 करोड़ रुपये की ही आय हुई.

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