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यजदान बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण का मामला, एलडीए ने सिविल कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में दी चुनौती

सिविल कोर्ट द्वारा यजदान अपार्टमेंट्स का फ्लैट ढहाए जाने पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश को एलडीए ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में चुनौती दी है. यह मामला सिविल कोर्ट में भी शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

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Published : Dec 1, 2022, 7:54 PM IST

लखनऊ : सिविल कोर्ट द्वारा यजदान अपार्टमेंट्स का फ्लैट ढहाए जाने पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश को एलडीए ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में चुनौती दी है. यह मामला सिविल कोर्ट में भी शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, लिहाजा न्यायालय ने एलडीए की अपील पर अगली सुनवाई के लिए 3 नवम्बर की तिथि नियत कर दी.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की एकल पीठ ने एलडीए की ओर से दाखिल अपील पर पारित किया. एलडीए की ओर से कहा गया है कि मामले में संबंधित प्रावधानों के तहत सिविल कोर्ट को उक्त विवाद को सुनने का अधिकार की नहीं प्राप्त था. उल्लेखनीय है कि 19 नवम्बर को फ्लैट की खरीददार दिव्या श्रीवास्तव की ओर से दाखिल सिविल वाद में स्थगन आदेश के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए उनके फ्लैट के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी.


वादी ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने के लिए 14 नवम्बर को ही वाद दाखिल किया था. हालांकि तब अदालत ने कोई राहत नहीं देते हुए प्रतिवादीगणों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था. साथ ही मामले की सुनवाई 29 नवम्बर के लिए नियत की थी. इस वाद में यजदान इंफ्रा व एलडीए समेत अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है. इस दौरान एलडीए द्वारा ध्वस्तीकरण के संबंध में सक्रियता को देखते हुए 19 नवम्बर को वादी ने अपने मूलवाद में एक अर्जी दाखिल कर तत्काल सुनवाई की याचना की. सिविल अदालत ने अर्जी पर सुनवाई के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि इस मामले के तथ्य व परिस्थितियों के मद्देजर वादिनी को अपूर्णनीय क्षति होने की पूर्ण सम्भावना है, ऐसी स्थिति में प्रश्नगत संपत्ति के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाती है.

यह भी पढ़ें : अनुराग हत्याकांड, दोस्तों ने उतारा था मौत के घाट, कार की मदद से शव को लगाया था ठिकाने

लखनऊ : सिविल कोर्ट द्वारा यजदान अपार्टमेंट्स का फ्लैट ढहाए जाने पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश को एलडीए ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में चुनौती दी है. यह मामला सिविल कोर्ट में भी शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, लिहाजा न्यायालय ने एलडीए की अपील पर अगली सुनवाई के लिए 3 नवम्बर की तिथि नियत कर दी.

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की एकल पीठ ने एलडीए की ओर से दाखिल अपील पर पारित किया. एलडीए की ओर से कहा गया है कि मामले में संबंधित प्रावधानों के तहत सिविल कोर्ट को उक्त विवाद को सुनने का अधिकार की नहीं प्राप्त था. उल्लेखनीय है कि 19 नवम्बर को फ्लैट की खरीददार दिव्या श्रीवास्तव की ओर से दाखिल सिविल वाद में स्थगन आदेश के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए उनके फ्लैट के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी.


वादी ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने के लिए 14 नवम्बर को ही वाद दाखिल किया था. हालांकि तब अदालत ने कोई राहत नहीं देते हुए प्रतिवादीगणों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था. साथ ही मामले की सुनवाई 29 नवम्बर के लिए नियत की थी. इस वाद में यजदान इंफ्रा व एलडीए समेत अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है. इस दौरान एलडीए द्वारा ध्वस्तीकरण के संबंध में सक्रियता को देखते हुए 19 नवम्बर को वादी ने अपने मूलवाद में एक अर्जी दाखिल कर तत्काल सुनवाई की याचना की. सिविल अदालत ने अर्जी पर सुनवाई के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि इस मामले के तथ्य व परिस्थितियों के मद्देजर वादिनी को अपूर्णनीय क्षति होने की पूर्ण सम्भावना है, ऐसी स्थिति में प्रश्नगत संपत्ति के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाती है.

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