लखनऊः गोमती नदी के किनारे लक्ष्मण टीला (Laxman Tila mandir ) स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर-मस्जिद प्रकरण में पक्षकारों की बहस सुनने के बाद एडीजे प्रफुल्ल कमल ने मुस्लिम पक्ष की निगरानी अर्जी पर 21 नवंबर के लिए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.
कोर्ट में लार्ड नागेश्वर टीलेश्वर महादेव (Lord Nageshwar Tileshwar Mahadev) विराजमान की ओर से वकील शेखर निगम ने अंतिम बहस की.जबकि राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) रीतेश रस्तोगी ने बहस करते हुए सरकार का पक्ष रखा. वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता मुनव्वर सुल्तान ने अपने तर्क प्रस्तुत किए.
वकील शेखर निगम ने कहा है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अधिकृत निगरानीकर्ता को उनके पद से हटा दिया है. इसलिए निगरानी पोषणीय नहीं है. पत्रावली पर निगरानी को खारिज करने की मांग वाली अर्जी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रोफेसर सैयद शफीक अहमद अशरफ द्वारा जारी पत्र को दाखिल किया गया है. पत्र में निगरानीकर्ता मौलाना सैय्यद फजलुल मन्नान रहमानी को इमाम के पद से हटाए जाने की बात कही गई है. कहा गया है कि मुकदमे की पैरवी के लिए नियुक्त मौलाना सैय्यद फजलुल मन्नान को पद से हटा दिया गया है. लिहाजा अब वह इस याचिका के निगरानीकर्ता नहीं रह गए हैं.
याचिका के विरोध में वकील मुनव्वर सुल्तान ने कहा कि निचली अदालत का आदेश त्रुटि पूर्ण है. लिहाजा निगरानी मंजूर कर निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाए. राज्य सरकार की ओर से निगरानी का विरोध किया गया. अदालत ने पक्षकारों को सुनने के बाद 21 नवंबर के लिए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है.
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