लखनऊ: यूपी के अफसर मुख्यमंत्री से रोजाना कोरोना के इलाज के पुख्ता बंदोबस्त के दावे कर रहे हैं. हकीकत इससे उलट है. टीम-11 में शामिल इन बड़े अफसरों की कार्यशैली की पोल सरकार के एक कद्दावर मंत्री ने खोल कर रख दी है. उन्होंने कोरोना के इलाज की हकीकत और जनता के दर्द को गोपनीय पत्र के जरिए शासन से साझा किया. सोशल मीडिया पर इस पत्र के लीक होते ही हड़कंप मच गया है. इसमें मंत्री ने सीएमओ पर बात न मानने और इलाज की व्यवस्था बदतर होने के बारे में लिखा है.
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मंत्री ने कहीं ये बातें
- मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में अधिकतर लोगों के फोन का उत्तर नहीं दिया जाता है, जिसकी शिकायत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री और प्रमुख सचिव से की है.
- शासन के कहने से सीएमओ का फोन अब उठता तो है, मगर वह मरीजों की समस्याओं का निस्तारण नहीं कर रहे हैं.
- पद्मश्री डॉ. योगेश प्रवीण कुमार को फोन करने के बावजूद समय पर एम्बुलेंस नहीं मिली.
- कोरोना पेशेंट के लिए जांच किट का संकट है. प्रतिदिन 17000 किट की जरूरत है, मगर जिले में सिर्फ 10000 किट ही उपलब्ध हो पा रही हैं.
- प्राइवेट पैथोलॉजी में जहां कोरोना की जांच बंद हैं, वहीं सरकारी से 4 से 7 दिन में मरीजों की रिपोर्ट मिल रही है.
- वही एंबुलेंस समय पर नहीं मिल रही है, मरीजों की शिफ्टिंग अस्पताल में नहीं हो पा रही है.
- एंबुलेंस मरीजों को समय पर नहीं मिल पा रही है. 5 से 6 घंटे का इंतजार करना जानलेवा बन रहा है.
- किडनी लीवर कैंसर डायलिसिस के मरीजों को इलाज स्थिति दयनीय है.
- ऐसे में मरीजों के इलाज की व्यवस्थाएं तत्काल दुरुस्त की जाएं.