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चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों का तबादला मामला: हाईकोर्ट ने निदेशक प्रशासन को किया तलब - हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की खबरें

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 15 जुलाई को चिकित्सा विभाग में बड़े पैमाने पर किए गए लिपिकों के ट्रांसफर के मामले में विभाग के निदेशक प्रशासन को तलब किया है. न्यायालय ने उन्हें 7 सितम्बर को रिकॉर्ड के साथ कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है.

हाईकोर्ट ने निदेशक प्रशासन को किया तलब
हाईकोर्ट ने निदेशक प्रशासन को किया तलब
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Published : Sep 3, 2021, 10:46 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 15 जुलाई को चिकित्सा विभाग में बड़े पैमाने पर किए गए लिपिकों के ट्रांसफर के मामले में विभाग के निदेशक प्रशासन को तलब किया है. न्यायालय ने उन्हें 7 सितम्बर को रिकॉर्ड के साथ कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल पीठ ने तामरा ध्वज सिंह यादव की सेवा सम्बंधी याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया है कि 15 जुलाई 2021 को ट्रांसफर का जनर ऑर्डर पारित करते हुए, 1722 लिपिकों का दूर-दूर तबादला कर दिया गया. लेकिन बाद में 24 जुलाई व 31 जुलाई को इनमें से कई कर्मचारियों के ट्रांसफर को निरस्त कर दिया गया.

न्यायालय ने इसे प्रथम दृष्टया भेदभाव भरा फैसला पाते हुए अपने टिप्पणी में कहा कि कोर्ट समान्यतः ट्रांसफर के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती, जब तक नियमों का कोई स्पष्ट उल्लंघन न किया गया हो. न्यायालय ने कहा कि इस मामले में जनहित के बजाय कदाचार हुआ दिख रहा है. न्यायालय ने कहा कि प्रशासकीय अधिकारियों द्वारा किए गए इस प्रकार के भेदभाव को सराहा नहीं जा सकता.

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न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ निदेशक को हाजिर होने का आदेश देते हुए कहा है कि वह आकर बताएं कि किन परिस्थितियों में कुछ कर्मचारियों को सुविधा देने के लिए 24 व 31 जुलाई के आदेश पारित किए गए. उल्लेखनीय है कि बड़े पैमाने पर हुए इन तबादलों का मामला पहले भी हाईकोर्ट में उठ चुका है. तब हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के स्थानांतरण के इस मामले में राज्य सरकार को उनके प्रत्यावेदनों पर विचार का निर्देश दिया था.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 15 जुलाई को चिकित्सा विभाग में बड़े पैमाने पर किए गए लिपिकों के ट्रांसफर के मामले में विभाग के निदेशक प्रशासन को तलब किया है. न्यायालय ने उन्हें 7 सितम्बर को रिकॉर्ड के साथ कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल पीठ ने तामरा ध्वज सिंह यादव की सेवा सम्बंधी याचिका पर दिया. याचिका में कहा गया है कि 15 जुलाई 2021 को ट्रांसफर का जनर ऑर्डर पारित करते हुए, 1722 लिपिकों का दूर-दूर तबादला कर दिया गया. लेकिन बाद में 24 जुलाई व 31 जुलाई को इनमें से कई कर्मचारियों के ट्रांसफर को निरस्त कर दिया गया.

न्यायालय ने इसे प्रथम दृष्टया भेदभाव भरा फैसला पाते हुए अपने टिप्पणी में कहा कि कोर्ट समान्यतः ट्रांसफर के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती, जब तक नियमों का कोई स्पष्ट उल्लंघन न किया गया हो. न्यायालय ने कहा कि इस मामले में जनहित के बजाय कदाचार हुआ दिख रहा है. न्यायालय ने कहा कि प्रशासकीय अधिकारियों द्वारा किए गए इस प्रकार के भेदभाव को सराहा नहीं जा सकता.

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न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ निदेशक को हाजिर होने का आदेश देते हुए कहा है कि वह आकर बताएं कि किन परिस्थितियों में कुछ कर्मचारियों को सुविधा देने के लिए 24 व 31 जुलाई के आदेश पारित किए गए. उल्लेखनीय है कि बड़े पैमाने पर हुए इन तबादलों का मामला पहले भी हाईकोर्ट में उठ चुका है. तब हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के स्थानांतरण के इस मामले में राज्य सरकार को उनके प्रत्यावेदनों पर विचार का निर्देश दिया था.

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