लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी में बीते दिनों जिन होटलों व संस्थानों में अग्निकांड हुए, वहां आग से निपटने के कोई ठोस इंतजाम नहीं थे. यही कारण रहा कि काफी नुकसान हुआ और होटल लेवाना में हुए अग्निकांड में सात लोगों की जान चली गई. मौजूदा समय लखनऊ की अधिकतर इमारतों और दुकानों में आग लगने की स्थिति में उससे निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. हालांकि अब अग्निशमन विभाग दावे कर रहा है कि जल्द ही अभियान चला कर उन बिल्डिंग्स पर 133 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने फायर सेफ्टी को दरकिनार कर रखा है.
राजधानी के चारबाग, नाजा मार्केट, चौक, अमीनाबाद, यहियागंज, नक्खास व गुरुनानक मार्केट में बनी करीब 18 हजार से अधिक बिल्डिंग व दुकानें फायर सेफ्टी (fire safety) के मानकों को दरकिनार किए हुए हैं. बिल्डिंग्स में जर्जर तारों के सहारे बिजली सप्लाई हो रही है. दुकानें इतनी घनी हैं कि आग लगने पर वहां से सुरक्षित बाहर निकलना मुश्किल है. फायर सेफ्टी के उपकरण तमाम बिल्डिंगों में नहीं हैं, जहां लगे हैं वे वर्षों पुराने हैं.
फायर सेफ्टी (fire safety) को दरकिनार कर धड़ल्ले से चल रहीं ऐसी दुकानों व इमारतों के मालिकों को जिम्मेदार विभागों की उदासीनता ताकत देती है. जब भी आग की घटना होती है, तो अधिकारी जांच और कार्रवाई का दावा करते हैं, लेकिन जुर्माना ठोकने के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है. राजधानी में फायर सेफ्टी मानकों को दरकिनार कर बने कोचिंग सेंटर, अस्पतालों से लेकर बाजारों की फायर और अन्य विभागों ने कई बार रिपोर्ट तैयार की, लेकिन कार्रवाई का आज भी इंतजार ही किया जा रहा है।
राजधानी के हाट स्पाट (Rajdhani Hotspots) : हजरतगंज क्षेत्र में दर्जनों होटल व कोचिंग सेंटर हैं. महानगर में कोचिंग सेंटर व व्यावसायिक इमारतें. अलीगंज में व्यावसायिक इमारतों, ऑफिस, दुकानों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं. नाका में रेलवे व बस स्टेशन के करीब होने के बावजूद होटलों में आग से निपटने के पुख्ता इंतजाम नहीं. देश आजादी के बाद बनी गुरुनानक मार्केट की बिल्डिंग में दुकानें व होटल में फायर मानकों अनदेखी ही रही है. अमीनाबाद राजधानी की सबसे बड़ी बाजार की दुकानों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं हैं. आलमबाग, गोमतीनगर, कृष्णानगर में अधिकतर व्यवसायिक इमारतों में आग से निपटने के इंतजाम नहीं हैं.
ये हैं फायर एनओसी के मानक (Fire NOC Standards) : व्यावसायिक इमारतों के लिए फायर विभाग से तीन साल के लिए एनओसी लेनी होती है. आवासीय इमारतों को पांच साल के लिए एनओसी लेनी जरूरी है. किसी भी बिल्डिंग की एनओसी का मानक नौ स्तर में होता है. व्यावसायिक इमारतों का क्राइटेरिया अलग-अलग है. ज्यादातर कोचिंग सेंटर कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स और बिल्डिंग में चल रहे हैं. इसमें असेंबली बिल्डिंग, ग्लास बिल्डिंग, ओपन बिल्डिंग समेत अन्य मानक हैं. 500 वर्ग मीटर क्षेत्र वाली बिल्डिंग में 2 से 3 सीढ़ियां होनी जरूरी हैं.
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बीते कुछ वर्षों में हुए हादसे (Accidents in the last few years) : हजरतगंज में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में लगी आग में पीछे रहने वाले कई परिवार फंस गए. अलीगंज के कपूरथला में कोचिंग सेंटर में आग लगने से 70 छात्र फंस गए. नवल किशोर रोड में कोचिंग सेंटर में आग लगने से कई छात्र फंस गए. चारबाग क्षेत्र में दो होटल में लगी आग के कारण सात लोग जल गए. कृष्णानगर के ट्रांसपोर्टनगर में एक गोदाम में आग लगने से दो बच्चों की मौत हो गई. ऐशबाग में प्लाई फैक्ट्री में आग लगने से तीन कर्मचारी झुलस गए. होटल लेवाना में हुए अग्निकांड में छह लोग काल के गाल में समा गए.
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फायर सेफ्टी मानकों की अनदेखी करने वालों के निर्माण होंगे ध्वस्त : लखनऊ के मुख्य अग्निशमन अधिकारी मंगेश कुमार के मुताबिक कई ऐसी इमारतें हैं जिनके मालिक बार बार नोटिस देने के बाद भी ध्यान नहीं दे रहे हैं. हमने ऐसी ही इमारतों को चिन्हित करने के लिए टीम गठित कर दी है. रिपोर्ट आने के बाद इन बिल्डिंग्स के खिलाफ सीआरपीसी 133 के तहत कार्रवाई (Action under CrPC 133) की जाएगी. इन इमारतों का ध्वस्तीकरण किया जाएगा. इसके अलावा विभिन्न बिल्डिंग व प्रतिष्ठानों में लगे फायर सेफ्टी उपकरणों को चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.