लखनऊ: राजधानी में 1,546 सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में खुलासा हुआ कि शिक्षकों के मामले में नगर क्षेत्र के स्कूलों के हाथ खाली हैं. आलम यह है कि एक-एक दो-दो शिक्षकों के भरोसे स्कूल चल रहे हैं. एक ही परिसर में संचालित प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में से अपर प्राइमरी स्कूल में तो एक भी शिक्षक नहीं हैं, जो शिक्षक हैं भी उनको बीएलओ, मिड-डे मील और आधार समेत कई गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा रहा है. कई स्कूल तो ऐसे हैं, जिनमें अगर शिक्षामित्र न हों तो वहां ताले लग जाएं.
ईटीवी भारत से हुई बातचीत में बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने नगर क्षेत्र में शिक्षकों की कमी की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने इसे नीतिगत फैसला बताकर शासन के पाले में गेंद डाल दी है. ईटीवी भारत ने बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की हकीकत जानने के लिए लखनऊ के कुछ स्कूलों का पड़ताल की.
प्राथमिक विद्यालय बरौलिया-2
ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के निकट संचालित प्राइमरी स्कूल बरौलिया-2 पहुंची. यह स्कूल बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह के कार्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है. यह स्कूल सिर्फ एक कमरे में चलता है. इसी एक कमरे में कक्षा एक से चार तक की पढ़ाई होती है. पांचवीं कक्षा के बच्चों को बाहर बैठाया जाता है. अभी तक यहां सिर्फ एक शिक्षामित्र कार्यरत थे. बाद में एक अन्य स्कूल के सहायक शिक्षक को अटैच किया गया है.
प्राथमिक विद्यालय सराय हसनगंज
इसके बाद ईटीवी भारत की टीम बाबूगंज इलाके में संचालित प्राथमिक विद्यालय सराय हसनगंज पहुंची. यह स्कूल भी बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम विक्रम बहादुर सिंह के कार्यालय से तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर है. यहां दो शिक्षक और एक शिक्षामित्र कार्यरत हैं. एक शिक्षक आमतौर पर विभागीय कागजी कार्रवाई में फंसी रहती हैं. एक शिक्षक के भरोसे पांचवीं तक के बच्चों की पढ़ाई होती है.
उच्च प्राथमिक विद्यालय मुकारिम नगर
इस स्कूल के परिसर में प्राइमरी और अपर प्राइमरी दोनों ही स्कूलों को संचालित किया जाता है. ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया कि यहां अपर प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं हैं, जबकि नियमों में तीन शिक्षकों की व्यवस्था. जैसे-तैसे प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों के सहारे संचालन किया जा रहा है.
ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं भरमार तो कहीं खाली
ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या होने के बावजूद भी कई स्कूल खाली पड़े हैं. प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, वहीं कई स्कूलों में 8-8, 9-9 शिक्षक हैं. हाल में हुए अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में भी इन स्कूलों में ही शिक्षक भेजे गए हैं.
राजधानी के यह प्राइमरी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे हैं
मोहनलालगंज- प्राइमरी स्कूल देवी खेड़ा, प्राइमरी स्कूल हरि खेड़ा, प्राइमरी स्कूल करौंदी, प्राइमरी स्कूल मदारी खेड़ा, प्राइमरी स्कूल रानी खेड़ा, प्राइमरी स्कूल देवती, प्राइमरी स्कूल रतनापुर समेत अन्य.
सरोजनीनगर- प्राइमरी स्कूल रसूलपुर, प्राइमरी स्कूल सहपुर मजगवां, प्राइमरी स्कूल नारायणपुर-1, प्राइमरी स्कूल नारायणपुर-2 समेत अन्य.
चिनहट- प्राइमरी स्कूल नरहरपुर, प्राइमरी स्कूल खानीपुर समेत अन्य.
काकोरी- प्राइमरी स्कूल लालनगर, प्राइमरी स्कूल करझन, प्राइमरी स्कूल शक्कर खेड़ा, प्राइमरी स्कूल रेवड़ी समेत अन्य.
इन अपर प्राइमरी स्कूलों को ही शिक्षकों की जरूरत
माल- अपर प्राइमरी स्कूल मन्नू खेड़ा, अपर प्राइमरी स्कूल बसंतपुर, अपर प्राइमरी स्कूल अटारी, अपर प्राइमरी स्कूल भिरौरा, अपर प्राइमरी स्कूल उमरावल, कर्मोत्तर कन्या ससपन, अपर प्राइमरी स्कूल चन्दवारा, अपर प्राइमरी स्कूल मसीधा हमीर समेत अन्य.
गोसाईंगंज- अपर प्राइमरी स्कूल बहरौली, अपर प्राइमरी स्कूल हुसैनाबाद, अपर प्राइमरी स्कूल बछौली समेत अन्य.