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लखनऊ के कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी, फंसा कैंसर रोगियों का इलाज

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Published : Dec 24, 2021, 1:40 PM IST

राजधानी लखनऊ के कैंसर संस्थान में डॉक्टर और स्टाफ की भारी किल्लत है. यहां संसाधनों का भी भारी कमी है. इससे मरीजों को इलाज कराने में काफी दिक्कत हो रही है.

लखनऊ के कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी
लखनऊ के कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी

लखनऊ: चक गंजरिया में बने कैंसर संस्थान के पांच साल हो गए हैं. यहां पांच मंजिला नया ब्लॉक भी बनकर तैयार हो गया है. इसे अब शुरू करने की योजना है. लेकिन, डॉक्टर-स्टॉफ की कमी इलाज में रोड़ा बन रही है. स्थिति यह है कि करोडों के कैंसर संस्थान में एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है. इससे अल्ट्रासाउंड जैसी सामान्य जांच तक मुमकिन नहीं हो पा रही है.

उद्घाटन के इंतजार में पांच मंजिला भवन
कैंसर संस्थान 1200 बेड की क्षमता का होगा. इसमें प्रथम चरण में 700 बेड पर भर्ती की सुविधा होनी थी. वहीं हाल में ही स्थाई निदेशक भ्रष्टाचार में हटा दिए गए हैं. ऐसे में कार्यवाहक निदेशक एसजीपीजीआई के डायरेक्टर डॉ. आरके धीमान को बनाया गया है. यहां पांच मंजिला ब्लॉक बनकर तैयार हो गया है. यहां 210 बेड की क्षमता है. इसमें मरीजों के लिए 12 बेड का प्री-ऑपरेटिव वार्ड और 16 बेड का पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड भी होगा. इसको अभी उद्घाटन का इंतजार है.

लखनऊ के कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी
लखनऊ के कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी

24 में 8 ओटी तैयार, सर्जरी के लिए रेफर
कैंसर संस्थान में मरीजों के बड़े ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं. यह हाल तब है जब करोड़ों का ओटी कॉम्प्लेक्स तैयार हो गया. इसमें आठ नए ऑपरेशन थिएटर (ओटी) अब शुरू किए जा सकते हैं. मगर, डॉक्टरों का संकट है. ब्लड बैंक भी नहीं है. ऐसे में मेजर सर्जरी वाले मरीजों को केजीएमयू, लोहिया संस्थान रेफर कर दिया जाता है. स्थिति यह है कि दिसम्बर के पहले सप्ताह में चिकित्सा शिक्षा मंत्री के निरीक्षण के बावजूद हालत जस के तस हैं.


इसे भी पढ़ें-यहां 500 में से सिर्फ 40 बेड पर है इलाज की सुविधा, डॉक्टरों की भारी कमी

सिर्फ 8 फैकल्टी, 24 जूनियर डॉक्टर हैं तैनात
संस्थान में अभी सिर्फ 8 फैकल्टी ही कार्यरत हैं. वहीं 24 जूनियर रेजीडेंट हैं. अभी 30 से अधिक फैकल्टी, 60 से ज्यादा रेजीडेंट के पद खाली हैं. वहीं 219 कर्मियों के पद भी रिक्त हैं. कई बार भर्ती सम्बंधी विज्ञापन निकले, मगर समस्या जस की तस बनी हुई है. स्थिति यह है कि डॉक्टरों व स्टाफ की कमी से उपकरणों की खरीद सम्बधी कमेटी नहीं बन पा रही है. 100 करोड़ से अधिक उपकरणों की खरीद फंसी है. कार्यवाहक सीएमएस डॉ अनुपम वर्मा के मुताबिक समस्या निस्तारण का काम तेजी से चल रहा है. जल्द ही मरीजों को बेहतर इलाज मिलना शुरू हो जाएगा.

लखनऊ: चक गंजरिया में बने कैंसर संस्थान के पांच साल हो गए हैं. यहां पांच मंजिला नया ब्लॉक भी बनकर तैयार हो गया है. इसे अब शुरू करने की योजना है. लेकिन, डॉक्टर-स्टॉफ की कमी इलाज में रोड़ा बन रही है. स्थिति यह है कि करोडों के कैंसर संस्थान में एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है. इससे अल्ट्रासाउंड जैसी सामान्य जांच तक मुमकिन नहीं हो पा रही है.

उद्घाटन के इंतजार में पांच मंजिला भवन
कैंसर संस्थान 1200 बेड की क्षमता का होगा. इसमें प्रथम चरण में 700 बेड पर भर्ती की सुविधा होनी थी. वहीं हाल में ही स्थाई निदेशक भ्रष्टाचार में हटा दिए गए हैं. ऐसे में कार्यवाहक निदेशक एसजीपीजीआई के डायरेक्टर डॉ. आरके धीमान को बनाया गया है. यहां पांच मंजिला ब्लॉक बनकर तैयार हो गया है. यहां 210 बेड की क्षमता है. इसमें मरीजों के लिए 12 बेड का प्री-ऑपरेटिव वार्ड और 16 बेड का पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड भी होगा. इसको अभी उद्घाटन का इंतजार है.

लखनऊ के कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी
लखनऊ के कैंसर संस्थान में डॉक्टरों की भारी कमी

24 में 8 ओटी तैयार, सर्जरी के लिए रेफर
कैंसर संस्थान में मरीजों के बड़े ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं. यह हाल तब है जब करोड़ों का ओटी कॉम्प्लेक्स तैयार हो गया. इसमें आठ नए ऑपरेशन थिएटर (ओटी) अब शुरू किए जा सकते हैं. मगर, डॉक्टरों का संकट है. ब्लड बैंक भी नहीं है. ऐसे में मेजर सर्जरी वाले मरीजों को केजीएमयू, लोहिया संस्थान रेफर कर दिया जाता है. स्थिति यह है कि दिसम्बर के पहले सप्ताह में चिकित्सा शिक्षा मंत्री के निरीक्षण के बावजूद हालत जस के तस हैं.


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सिर्फ 8 फैकल्टी, 24 जूनियर डॉक्टर हैं तैनात
संस्थान में अभी सिर्फ 8 फैकल्टी ही कार्यरत हैं. वहीं 24 जूनियर रेजीडेंट हैं. अभी 30 से अधिक फैकल्टी, 60 से ज्यादा रेजीडेंट के पद खाली हैं. वहीं 219 कर्मियों के पद भी रिक्त हैं. कई बार भर्ती सम्बंधी विज्ञापन निकले, मगर समस्या जस की तस बनी हुई है. स्थिति यह है कि डॉक्टरों व स्टाफ की कमी से उपकरणों की खरीद सम्बधी कमेटी नहीं बन पा रही है. 100 करोड़ से अधिक उपकरणों की खरीद फंसी है. कार्यवाहक सीएमएस डॉ अनुपम वर्मा के मुताबिक समस्या निस्तारण का काम तेजी से चल रहा है. जल्द ही मरीजों को बेहतर इलाज मिलना शुरू हो जाएगा.

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