लखनऊ: जिले के केजीएमयू में संविदा कर्मियों के मानदेय में हेराफेरी के मामले का पटाक्षेप नहीं हुआ था कि अब एक नया कारनामा सामने आया है. केजीएमयू और यहां कार्यरत कंपनियों ने श्रम विभाग में पंजीयन ही नहीं कराया है. ऐसे में सहायक श्रम आयुक्त ने केजीएमयू कुलसचिव और यहां कार्यरत 10 कंपनियों के संचालकों को नोटिस जारी किया है. इन्हें स्पष्टीकरण देने का निर्देश देते हुए 24 नवंबर को तलब किया गया है.
डॉक्टर से लेकर सफाई कर्मी तक संविदा के तहत हैं कार्यरत
केजीएमयू में डॉक्टर से लेकर सफाई कर्मी तक संविदा के तहत कार्यरत हैं. यहां विभिन्न संवर्ग के तहत 10 कंपनियों के जरिए लोगों की नियुक्ति की गई है, जिनकी संख्या 5000 से अधिक है. संविदा कर्मचारियों को मानदेय देने, उनके ड्यूटी के समय सहित विभिन्न मामलों को लेकर श्रम मंत्री से शिकायत की गई थी. इस पर उन्होंने श्रम विभाग से पूरे मामले की पड़ताल करने के लिए कहा था. इस दौरान यह खुलासा हुआ है कि केजीएमयू ने श्रम विभाग में मुख्य नियोक्ता के रूप में अपना पंजीयन ही नहीं कराया है. इसी तरह यहां कार्यरत कंपनियों ने भी लाइसेंस नहीं लिया है. यह संविदा श्रम अधिनियम 1970 का उल्लंघन है. इस पर सहायक श्रमायुक्त आरएम तिवारी ने केजीएमयू कुलसचिव और यहां कार्यरत 10 कंपनियों को नोटिस जारी किया है.
कर्मियों से एडवांस रुपए लेने में नहीं हुई कार्रवाई
कुछ दिन पहले संविदा कर्मियों से 2000 रुपया एडवांस में लेकर संविदा कर्मियों को वेतन देने का मामला सामने आया था. केजीएमयू प्रशासन ने मामले की जांच कराई तो पूरे खेल का खुलासा हुआ. जांच रिपोर्ट के जांच प्रशासन को सौंपी गई इस दौरान व्यवस्था परिवर्तन हो गया. कुलपति के जाने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. नए कुलपति से भी संविदा कर्मियों ने मामले में दोषी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
डॉक्टर सुधीर सिंह मीडिया प्रभारी केजीएमयू ने बताया कि जो भी जानकारी मांगी जाएगी केजीएमयू प्रशासन उससे अवगत कराएगा. इस मामले में भी कुलसचिव कार्यालय से जवाब भेजा जाएगा.