लखनऊ : भगवान श्रीकृष्ण को श्रीहरि का आठवां अवतार कहा जाता है. माना जाता है कि भगवान कृष्ण नारायण के पूर्ण अवतार थे. धरती पर जन्म लेने के बाद कृष्ण अवतार में उन्होंने बहुत सी लीलाएं की. कान्हा से लेकर द्वारकाधीश श्रीकृष्ण बनने तक उन्होंने बहुत कठिन सफर तय किया.
भगवान कृष्ण के जितने नाम हैं, उतनी कहानियां. जीवन जीने के तरीके को अगर किसी ने परिभाषित किया है तो वो कृष्ण हैं. कर्म से होकर परमात्मा तक जाने वाले मार्ग को उन्हीं ने बताया है. संसार से वैराग्य को सिरे से नकारा. कर्म का कोई विकल्प नहीं, ये सिद्ध किया. कृष्ण कहते हैं, मैं हर हाल में आता हूं, जब पाप और अत्याचार का अंधकार होता है तब भी, जब प्रेम और भक्ति का उजाला होता है तब भी. दोनों ही परिस्थिति में मेरा आना निश्चित है. इस पावन अवसर पर हम आपको बताएंगे श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े ऐसे तथ्य जिनसे आप शायद अनजान हों.
1. कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की कुल 16108 रानियां थीं. वास्तव में उनकी 8 पटरानियां थीं. उनका नाम रुक्मिणी, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था. बाकी सभी को उन्होंने पत्नी का दर्जा दिया था क्योंकि भौमासुर ने उनका अपहरण कर लिया था. जब श्रीकृष्ण ने उन्हें भौमासुर से मुक्त कराया तो वे कहने लगीं कि अब हमें कोई स्वीकार नहीं करेगा तो हम कहां जाएं. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें पत्नी का दर्जा देकर स्वीकार कर लिया था और जीवनभर उनका जिम्मा उठाया.
2. श्रीकृष्ण ही 64 कलाओं में निपुण बताए गए हैं. कहा जाता है कि उन्होंने ये 64 कलाएं गुरु सांदीपनि से 64 दिनों में सीख लीं थीं. जब वे अपनी शिक्षा पूरी करके वापस लौट रहे थे, तब उन्होंने अपने गुरु सांदीपनि को गुरु दक्षिणा के रूप में उनके मृत बेटे को वापस लौटाया था.
3. देवकी की सातवीं संतान बलराम और आठवीं संतान श्रीकृष्ण थे. कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने माता देवकी की विनती पर अपने बाकी के छह भाइयों, जिन्हें कंस ने मार दिया था, उनसे माता देवकी को मिलवाया था. इसके बाद उन्होंने उन भाइयों को मुक्ति दे दी थी.
4. भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम हैं, जिनमें कान्हा, कन्हैया, गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी, मोहन, बांके बिहारी, माधव, चक्रधर, देवकीनंदन प्रमुख हैं.
5. भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज 17 वर्ष की आयु में छोड़ा था. उसके बाद वे सिर्फ एक बार राधारानी से सिर्फ एक बार मिले, लेकिन उनका राधारानी से संबंध ताउम्र आत्मा का रहा. राधारानी को वे अपनी शक्ति और सोच मानते थे.
6. भगवान श्रीकृष्ण से भगवद् गीता सबसे पहले अर्जुन के अलावा हनुमान और संजय ने भी सुनी थी. हनुमान कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ में सबसे ऊपर सवार थे.
7. श्रीकृष्ण 125 साल तक जीवित रहे. उनके अवतार का अंत एक बहेलिया के तीर से हुआ था. माना जाता है कि वो बहेलिया पिछले जन्म में बालि था. जब भगवान राम ने बालि को छिपकर मारा था तो भगवान राम ने कहा था कि अगले जन्म में मेरी मृत्यु भी तुम्हारे हाथों होगी. इसके बाद जब द्वापरयुग में नारायण कृष्ण बनकर आए तो वे जब एक पेड़ पर बैठे थे. तभी बहेलिए ने उनके पैर में बने एक निशान को चिड़िया समझ कर तीर चलाया. वो तीर कृष्ण के पैर में लगा और उसके बाद उन्होंने शरीर त्याग दिया.