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लखनऊः रातों-रात जगह बदलता था यह शिवलिंग, सिर्फ जलाभिषेक से पूरी होती है हर मुराद

राजधानी लखनऊ में भगवान शिव के कोनेश्वर महादेव मंदिर की अपनी अलग विशेषता है. यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है और हर सावन के सोमवार पर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगता है. इस बार कोरोना काल में इस मंदिर में सन्नाटा पसरा हुआ है.

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Published : Jul 21, 2020, 5:13 AM IST

कोनेश्वर महादेव मंदिर
कोनेश्वर महादेव मंदिर

लखनऊः राजधानी के शिव मंदिरों की अपनी एक खास महत्ता है. चाहे वह मनकामेश्वर मंदिर हो या चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर. पुराने लखनऊ में स्थित यह मंदिर बहुत ही सिद्ध माना जाता है. शहर का प्रसिद्ध कोनेश्वर महादेव मंदिर कई मायनों में खास है. जलाभिषेक करने वाले भक्तों के लिए इस मंदिर में जल संरक्षण की भी खास व्यवस्था है. पिछले साल सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मंदिर का लोकार्पण किया था जो आज भव्य रूप में नजर आता है.

कोनेश्वर महादेव मंदिर

रातों-रात बदलता था स्थान

ईटीवी भारत से बात करते हुए मंदिर के पुजारी शिव प्रसाद शुक्ला ने बताया कि यह मंदिर कभी गोमती के नजदीक हुआ करता था. बहुत समय पहले कौंडिल्य ऋषि भ्रमण के दौरान गोमती नदी के पास से गुजरे तो उन्होंने एक शिवलिंग देखा. उन्होंने थोड़ी ऊंचाई पर इस शिवलिंग को स्थापित किया और पूजा अर्चना की. शिव प्रसाद शुक्ला ने बताया कि मान्यताओं के मुताबिक, यहां शिवलिंग रातों-रात अपना स्थान बदल लेता था. उनका कहना है कि यहां मांगी गई हर मुराद अवश्य पूरी होती है. शायद यही वजह है कि सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगता है.

इसलिए पड़ा कोनेश्वर नाम

पुजारी ने बताया कि मंदिर बनने के दौरान शिवलिंग को यहां कई बार भक्तों और पुजारियों ने बीच में स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन यह अपने आप ही पुरानी जगह पर आ जाता था. ऐसा लगातार तीन-चार रात हुआ. फिर सबकी राय मशवरे के बाद शिवलिंग को कोने में स्थापित किया गया. तभी से इस मंदिर का नाम कोनेश्वर महादेव पड़ा. राजधानी के नामी और प्राचीन मंदिरों में से चौक पर स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर की महिमा अपरंपार है. यहां कई अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएं प्राण प्रतिष्ठा करके रखी गई हैं. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि बाबा का सिर्फ जलाभिषेक करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं.

सावन में होती है विशेष पूजा

हर साल सावन में यहां ब्राह्मणों का एक दल विशेष पाठ करता है. हर महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार पर कई क्विंटल फलों और फूलों से कोनेश्वर शिवलिंग का श्रृंगार होता है. इस दौरान सैकड़ों लोग बाबा को दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यहां सन्नाटा पसरा हुआ है.

लखनऊः राजधानी के शिव मंदिरों की अपनी एक खास महत्ता है. चाहे वह मनकामेश्वर मंदिर हो या चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर. पुराने लखनऊ में स्थित यह मंदिर बहुत ही सिद्ध माना जाता है. शहर का प्रसिद्ध कोनेश्वर महादेव मंदिर कई मायनों में खास है. जलाभिषेक करने वाले भक्तों के लिए इस मंदिर में जल संरक्षण की भी खास व्यवस्था है. पिछले साल सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मंदिर का लोकार्पण किया था जो आज भव्य रूप में नजर आता है.

कोनेश्वर महादेव मंदिर

रातों-रात बदलता था स्थान

ईटीवी भारत से बात करते हुए मंदिर के पुजारी शिव प्रसाद शुक्ला ने बताया कि यह मंदिर कभी गोमती के नजदीक हुआ करता था. बहुत समय पहले कौंडिल्य ऋषि भ्रमण के दौरान गोमती नदी के पास से गुजरे तो उन्होंने एक शिवलिंग देखा. उन्होंने थोड़ी ऊंचाई पर इस शिवलिंग को स्थापित किया और पूजा अर्चना की. शिव प्रसाद शुक्ला ने बताया कि मान्यताओं के मुताबिक, यहां शिवलिंग रातों-रात अपना स्थान बदल लेता था. उनका कहना है कि यहां मांगी गई हर मुराद अवश्य पूरी होती है. शायद यही वजह है कि सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगता है.

इसलिए पड़ा कोनेश्वर नाम

पुजारी ने बताया कि मंदिर बनने के दौरान शिवलिंग को यहां कई बार भक्तों और पुजारियों ने बीच में स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन यह अपने आप ही पुरानी जगह पर आ जाता था. ऐसा लगातार तीन-चार रात हुआ. फिर सबकी राय मशवरे के बाद शिवलिंग को कोने में स्थापित किया गया. तभी से इस मंदिर का नाम कोनेश्वर महादेव पड़ा. राजधानी के नामी और प्राचीन मंदिरों में से चौक पर स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर की महिमा अपरंपार है. यहां कई अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएं प्राण प्रतिष्ठा करके रखी गई हैं. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि बाबा का सिर्फ जलाभिषेक करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं.

सावन में होती है विशेष पूजा

हर साल सावन में यहां ब्राह्मणों का एक दल विशेष पाठ करता है. हर महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार पर कई क्विंटल फलों और फूलों से कोनेश्वर शिवलिंग का श्रृंगार होता है. इस दौरान सैकड़ों लोग बाबा को दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते यहां सन्नाटा पसरा हुआ है.

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