ETV Bharat / state

लिखी हुई भाषा से अलग है चित्रों की भाषाः कोलते - कला एवं शिल्प महाविद्यालय

लखनऊ कला रंग में प्रसिद्ध चित्रकार प्रभाकर कोलते ने कहा कि चित्र की भाषा लिखी हुई भाषा से अलग होती है. लिखे हुए को हम पढ़ते और समझते हैं लेकिन चित्रों की भाषा को महसूस करते हैं. हम चित्र को देखते और उसका आनंद लेते हैं. उन्होंने कहा कि अमूर्त चित्रों को देखकर लोग कहते हैं कि इसका क्या अर्थ है.

लखनऊ कला रंग में चर्चा करते अतिथि.
लखनऊ कला रंग में चर्चा करते अतिथि.
author img

By

Published : Mar 24, 2021, 5:18 AM IST

लखनऊ: प्रसिद्ध चित्रकार प्रभाकर कोलते ने कहा कि चित्र की भाषा लिखी हुई भाषा से अलग होती है. लिखे हुए को हम पढ़ते और समझते हैं लेकिन चित्रों की भाषा को महसूस करते हैं. हम चित्र को देखते और उसका आनंद लेते हैं. उन्होंने कहा कि अमूर्त चित्रों को देखकर लोग कहते हैं कि इसका क्या अर्थ है. चित्रकार बनाता नहीं है, यह होता है. देखने में एक गहराई होती है और यह गहराई कहां पहुंचाएगी, किसी को नहीं मालूम होता.

लखनऊ कला रंग में विचार व्यक्त करते अतिथि.
लखनऊ कला रंग में विचार व्यक्त करते अतिथि.
'चित्रों में होती है विशेष प्रकार की ऊर्जा'

कोलते मंगलवार को लखनऊ कला रंग के दूसरे दिन कला यात्रा के अन्तर्गत अपने चित्रों पर बातचीत कर रहे थे. लखनऊ कला रंग का आयोजन नादरंग तथा कला एवं शिल्प महाविद्यालय के तत्वावधान में महाविद्यालय परिसर में किया जा रह है. कोलते ने कहा कि उनके काम पर बहुत लोगों की छाया है जिसे वे स्वीकार करते हैं. लेकिन, छाया और नकल में अंतर होता है. छाया से उनका तात्पर्य है कि वह भी उस तरह का कुछ सोच रहे थे. उन्होंने सोचा कि ऐसा क्या है, जिसके कारण उन्हें किसी व्यक्ति विशेष के चित्र आकर्षित करते हैं. इस पर उन्होंने पाया कि यह एक किस्म की ऊर्जा होती है, जिसे चित्रकार अपने चित्रों में ढालता है. जब हम ऐसे चित्रों के सामने से गुजरते हैं तो फिर हट नहीं पाते. जयपुर के चित्रकार अमित कल्ला ने प्रभाकर कोलते से बातचीत की और उन पर आधारित अपनी कविताएं सुनाईं.
यह भी पढ़ेंः 1090 चौराहे पर बना लखनऊ का सार्वजनिक सेल्फी पॉइंट

कला में अनुकरण का कोई महत्व नहीः श्याम शर्मा
दूसरे दिन के कार्यक्रमों का आरंभ ‘सृजनात्मक कलाओं का महत्व, संदर्भ नई शिक्षा नीति’ विषय पर चर्चा के साथ हुआ. वरिष्ठ चित्रकार श्याम शर्मा ने संगोष्ठी में कहा कि कला में अनुकरण का कोई महत्व नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन गतिशील है, स्थिर नहीं है. भारतीय चिंतन जिस दिन स्थिर हो जाएगा, वह सड़ जाएगा. उन्होंने कहा कि कलाएं बहती हुई धाराएं हैं. उन्हें बांधकर नहीं रखा जा सकता है, वही उसका आनंद है. श्याम शर्मा ने कहा कि स्वतंत्रता के साथ सृजनात्मकता ही आनंद देती है. उन्होंने कहा कि सृजनात्मकता का सही रूप हमें लोक कलाओं में दिखाई देता है. लोक कला में जितनी ताजगी है, उतनी कहीं नहीं है.

यह भी पढ़ेंः राष्ट्रीय कथक संस्थान में विरासत-2021 समारोह का हुआ आयोजन, सम्मानित हुईं महिलाएं

'कला जीवंतता देती है'
श्याम शर्मा ने कहा कि कला हमें जीवंतता देती है, रस देती है, जीने का अंदाज देती है. उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतक बहुत दूरदर्शी थे. उन्होंने कलाओं के लिए कोई पाठ्यक्रम नहीं बनाया, उसे धीरे से हमारे संस्कारों के साथ जोड़ दिया. ये इस समाज को सुंदर से और सुंदर बनाने के लिए हैं. समाज को और बेहतर बनाने के लिए कलाओं से अधिक महत्वपूर्ण माध्यम दिखाई नहीं देता.

आरंभ में कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्रधानाचार्य आलोक कुमार ने विस्तार से नई शिक्षा नीति पर चर्चा की और उसमें सृजनात्मक कलाओं के महत्व के बारे में बताया. इस मौके पर जयपुर के चित्रकार अमित कल्ला और दिल्ली की चित्रकार नूपुर कुंडू ने भी विचार व्यक्त किए. संचालन करते हुए लखनऊ कला रंग के संस्थापक निदेशक आलोक पराड़कर ने कहा कि कलाएं हमें संवेदनशील बनाती हैं.

लखनऊ: प्रसिद्ध चित्रकार प्रभाकर कोलते ने कहा कि चित्र की भाषा लिखी हुई भाषा से अलग होती है. लिखे हुए को हम पढ़ते और समझते हैं लेकिन चित्रों की भाषा को महसूस करते हैं. हम चित्र को देखते और उसका आनंद लेते हैं. उन्होंने कहा कि अमूर्त चित्रों को देखकर लोग कहते हैं कि इसका क्या अर्थ है. चित्रकार बनाता नहीं है, यह होता है. देखने में एक गहराई होती है और यह गहराई कहां पहुंचाएगी, किसी को नहीं मालूम होता.

लखनऊ कला रंग में विचार व्यक्त करते अतिथि.
लखनऊ कला रंग में विचार व्यक्त करते अतिथि.
'चित्रों में होती है विशेष प्रकार की ऊर्जा'

कोलते मंगलवार को लखनऊ कला रंग के दूसरे दिन कला यात्रा के अन्तर्गत अपने चित्रों पर बातचीत कर रहे थे. लखनऊ कला रंग का आयोजन नादरंग तथा कला एवं शिल्प महाविद्यालय के तत्वावधान में महाविद्यालय परिसर में किया जा रह है. कोलते ने कहा कि उनके काम पर बहुत लोगों की छाया है जिसे वे स्वीकार करते हैं. लेकिन, छाया और नकल में अंतर होता है. छाया से उनका तात्पर्य है कि वह भी उस तरह का कुछ सोच रहे थे. उन्होंने सोचा कि ऐसा क्या है, जिसके कारण उन्हें किसी व्यक्ति विशेष के चित्र आकर्षित करते हैं. इस पर उन्होंने पाया कि यह एक किस्म की ऊर्जा होती है, जिसे चित्रकार अपने चित्रों में ढालता है. जब हम ऐसे चित्रों के सामने से गुजरते हैं तो फिर हट नहीं पाते. जयपुर के चित्रकार अमित कल्ला ने प्रभाकर कोलते से बातचीत की और उन पर आधारित अपनी कविताएं सुनाईं.
यह भी पढ़ेंः 1090 चौराहे पर बना लखनऊ का सार्वजनिक सेल्फी पॉइंट

कला में अनुकरण का कोई महत्व नहीः श्याम शर्मा
दूसरे दिन के कार्यक्रमों का आरंभ ‘सृजनात्मक कलाओं का महत्व, संदर्भ नई शिक्षा नीति’ विषय पर चर्चा के साथ हुआ. वरिष्ठ चित्रकार श्याम शर्मा ने संगोष्ठी में कहा कि कला में अनुकरण का कोई महत्व नहीं है. उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन गतिशील है, स्थिर नहीं है. भारतीय चिंतन जिस दिन स्थिर हो जाएगा, वह सड़ जाएगा. उन्होंने कहा कि कलाएं बहती हुई धाराएं हैं. उन्हें बांधकर नहीं रखा जा सकता है, वही उसका आनंद है. श्याम शर्मा ने कहा कि स्वतंत्रता के साथ सृजनात्मकता ही आनंद देती है. उन्होंने कहा कि सृजनात्मकता का सही रूप हमें लोक कलाओं में दिखाई देता है. लोक कला में जितनी ताजगी है, उतनी कहीं नहीं है.

यह भी पढ़ेंः राष्ट्रीय कथक संस्थान में विरासत-2021 समारोह का हुआ आयोजन, सम्मानित हुईं महिलाएं

'कला जीवंतता देती है'
श्याम शर्मा ने कहा कि कला हमें जीवंतता देती है, रस देती है, जीने का अंदाज देती है. उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतक बहुत दूरदर्शी थे. उन्होंने कलाओं के लिए कोई पाठ्यक्रम नहीं बनाया, उसे धीरे से हमारे संस्कारों के साथ जोड़ दिया. ये इस समाज को सुंदर से और सुंदर बनाने के लिए हैं. समाज को और बेहतर बनाने के लिए कलाओं से अधिक महत्वपूर्ण माध्यम दिखाई नहीं देता.

आरंभ में कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्रधानाचार्य आलोक कुमार ने विस्तार से नई शिक्षा नीति पर चर्चा की और उसमें सृजनात्मक कलाओं के महत्व के बारे में बताया. इस मौके पर जयपुर के चित्रकार अमित कल्ला और दिल्ली की चित्रकार नूपुर कुंडू ने भी विचार व्यक्त किए. संचालन करते हुए लखनऊ कला रंग के संस्थापक निदेशक आलोक पराड़कर ने कहा कि कलाएं हमें संवेदनशील बनाती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.