लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का शंखनाद होने में कुछ दिन ही बचे हैं. सभी पंचायतों का आरक्षण तय हो गया है. राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर पर सभी प्रकार की चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. ऐसे में जो लोग ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन्हें कुछ नियम भी जान लेना चाहिए. ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कुछ नियम बना रखे हैं.
पंचायत चुनाव को लेकर पंचायतों का आरक्षण फाइनल कर दिया गया है. इस समय पंचायतों के आरक्षण को लेकर आपत्तियां दर्ज करने और उनके निस्तारण की प्रक्रिया चल रही है. 15 मार्च को आरक्षण की फाइनल सूची भी जारी की जाएगी. उसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर पर 20 से 25 मार्च के बीच कभी भी चुनाव को लेकर औपचारिक ऐलान किया जाएगा और चुनाव की तारीख घोषित की जाएंगी. ग्राम प्रधान या अन्य पदों पर चुनाव लड़ने के लिए जो नियम निर्धारित किए गए हैं. उनके अनुसार, यह योग्यता और इन मानकों पर उम्मीदवार को खरा उतरना चाहिए.
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ये हैं नियम
- चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति की उम्र कम से कम 21 साल हो.
- चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक को.
- चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति की मानसिक स्थिति ठीक होनी चाहिए.
- चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को किसी मामले में दोषी करार ना किया गया हो या वह सजायाफ्ता ना हो.
- अगर है लोन तो, बैंक या सहकारी समिति से लेना होगा नो ड्यूज सर्टिफिकेट.
पंचायत चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के लिए यह नियम भी है कि उम्मीदवार किसी भी सहकारी समिति या बैंक का अगर वह कर्जदार है तो उसे चुनाव लड़ने से पहले किस्त जमा कर वित्तीय संस्था से नो ड्यूज सर्टिफिकेट लेना चाहिए. उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शैक्षिक योग्यता निर्धारित नहीं की गई है, जबकि देश के कई राज्यों में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 8वीं या हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है.