लखनऊ: पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे प्रदेशवासियों को अगले माह महंगी बिजली की भी मार झेलनी पड़ सकती है. मध्यम वर्ग के लोगों को बिजली का जोरदार करंट लग सकता है. 28 सितंबर को नियामक आयोग में सुनवाई के बाद टैरिफ प्लान की नई दरें घोषित हो सकती हैं. बिजली की नई दर अक्टूबर माह से लागू होने की संभावना है. ऐसे में कोरोना के इस दौर में पहले से ही पस्त हो चुकी जनता को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है. उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन की तरफ से उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में नया टैरिफ प्लान का प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया है, जिस पर 24-28 सितंबर को सुनवाई होगी.
इस सबके बीच नई बिजली दरों का प्लान लागू होने पर जहां जनता को नुकसान होगा वहीं निजी शैक्षिक संस्थाओं के अलावा धार्मिक आयोजनों में बड़ी राहत मिलेगी. धार्मिक आयोजन के लिए अस्थायी कनेक्शन की फीस लगभग आधी करने का प्रस्ताव दिया गया है. वर्तमान में धार्मिक आयोजन के अस्थायी कनेक्शन के लिए 4,750 रुपए फीस वसूली जाती है, जिसे नए टैरिफ प्लान में 25,00 रुपये करने का प्रस्ताव दिया गया है.
आयोग ने पावर कॉर्पोरेशन को प्रस्तावित दरों का तीन दिन में विज्ञापन प्रकाशित कर 15 दिन में उपभोक्ताओं से सुझाव और आपत्तियां मांगने के आदेश दिए हैं. बता दें कि यूपीपीसीएल ने मौजूदा 80 स्लैब की जगह 53 स्लैब ही रखने का प्रस्ताव कुछ दिन पूर्व रेगुलेटरी कमीशन में दाखिल किया था. स्लैब की जो दरें प्रस्तावित हैं, उससे जो कम बिजली इस्तेमाल करेंगे उनका खर्चा बढ़ेगा और जो ज्यादा बिजली इस्तेमाल करेंगे उनको कुछ मुनाफा होगा. यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि 80 फीसदी घरेलू उपभोक्ता का खर्चा बढ़ाने वाले प्रस्ताव का आयोग में सुनवाई के दौरान जबरदस्त तरीके से विरोध किया जाएगा.
इन उपभोक्ताओं की दरों में कोई बदलाव नहीं
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में जो प्रस्ताव दाखिल किया गया है उसके मुताबिक घरेलू ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं की दरें पूर्व की तरह ही रखने का प्लान है. उन्हें 500 रुपये प्रति किलोवाट की कीमत ही चुकानी होगी. ग्रामीण और शहरी बीपीएल उपभोक्ताओं की एक किलोवाट 100 यूनिट तक तीन रुपये यूनिट में भी कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है. नए टैरिफ प्लान के प्रस्ताव में ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के फिक्स्ड चार्ज को 90 रुपए प्रति किलोवाट और शहरी घरेलू का 110 रुपए प्रति किलोवाट पहले की तरह ही प्रस्तावित है.
कितना होगा लाभ, कितना होगा नुकसान
150 यूनिट बिजली जलाने पर अभी तक 825 रुपये खर्च होते हैं तो प्रस्तावित टैरिफ पर यही खर्च बढ़कर 840 रुपये हो जाएगा. यानी 15 रुपए उपभोक्ताओं को अपनी जेब से और खर्च करने पड़ेंगे. 200 यूनिट के लिए अभी 1125 रुपए का खर्च आता है जो प्रस्तावित टैरिफ लागू होने के बाद 1130 रुपये हो जाएगा, यानी यहां पर भी 5 रुपये का नुकसान उपभोक्ताओं को होगा. 300 यूनिट पर वर्तमान में 1725 रुपये तो प्रस्तावित टैरिफ में 1710 रुपये भुगतान करना होगा. यानी यहां पर उपभोक्ता को 15 रुपये का फायदा मिलेगा.
400 यूनिट जलाने पर अभी 2375 रुपये खर्च होते हैं जिस पर नए टैरिफ प्रस्ताव में भी कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. 500 यूनिट बिजली जलाने पर अब तक 3025 रुपये खर्च होते थे जो प्रस्तावित में 3040 रुपये किया गया है. यानी यहां पर भी 15 रुपये उपभोक्ता के अतिरिक्त खर्च होने हैं. इसी तरह 800 यूनिट बिजली खपत पर अभी 5125 रुपये बढ़ते हैं जो 5035 रुपये नए टैरिफ के बाद खर्च होंगे, यानी यहां पर 90 रुपये का फायदा उपभोक्ता को मिलेगा. वहीं 1000 यूनिट बिजली खपत करने पर अभी 6525 रुपये भुगतान करना होता है जो नए प्रस्ताव में 6365 रुपये हो जाएगा. यानी सबसे ज्यादा इसी वर्ग के उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा जो 160 रुपये तक का होगा. यानी ज्यादा बिजली का उपभोग करने पर अमीर वर्ग को लाभ तो कम बिजली जलाने वाले गरीब को नया टैरिफ प्लान नुकसान देने वाला साबित होना है.
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि यूपी सरकार और पावर कॉर्पोरेशन ने भार में स्लैब परिवर्तन जो प्लान नियामक आयोग में सबमिट किया है वह विद्युत अधिनियम धारा 2003 के नियम 62 (3) का खुला उल्लंघन है. यह बिजली कंपनियों और पावर कारपोरेशन को बिल्कुल भी अधिकार नहीं है कि वो भार घटक, लोड घटक और वोल्टेज घटक के आधार पर कोई भी टैरिफ संरचना में बदलाव के लिए नियामक आयोग को प्रस्ताव दें. इसके लिए हमने नियामक आयोग को अवगत करा दिया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर इसको लागू किया जाता है तो निश्चित तौर पर छोटे कंजूमर हैं, जिनकी कैपेसिटी कम है और आज की डेट में आर्थिक स्थिति खराब है, उनकी दरें बढ़ जाएंगी और बड़े कंज्यूमर्स को निश्चित तौर पर लाभ होगा.