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लखनऊ चिड़ियाघर की मादा तेंदुआ सोनाली की मौत, बाघ किशन ने खाना पीना छोड़ा

लखनऊ चिड़ियाघर की सोमवार रात मौत हो गई. पशु चिकित्सकों के पैनल द्वारा उसका पोस्टमार्टम किया गया. जिसमें प्रथम दृष्टया मृत्यु का कारण मल्टी आर्गन फेलियर एसोसिएटेड विद सेनेलिटी पाया गया. वहीं कैंसर से ग्रसित बाघ किशन ने सोमवार शाम तक भोजन ग्रहण नहीं किया था. बाघिन कजरी काफी बेहद वृद्ध और क्षीण हो चुकी है.

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Published : Dec 19, 2022, 8:04 PM IST

Updated : Dec 19, 2022, 11:27 PM IST

लखनऊ : प्राणि उद्यान के वन्यजीव चिकित्सालय में रह रही वृद्ध मादा तेंदुआ सोनाली की सोमवार रात मौत हो गई. पशु चिकित्सकों के पैनल द्वारा उसका पोस्टमार्टम किया गया. जिसमें प्रथम दृष्टया मृत्यु का कारण मल्टी आर्गन फेलियर एसोसिएटेड विद सेनेलिटी पाया गया. वहीं कैंसर से ग्रसित बाघ किशन ने सोमवार शाम तक भोजन ग्रहण नहीं किया था. बाघिन कजरी काफी बेहद वृद्ध और क्षीण हो चुकी है.

प्राणि उद्यान के वन्यजीव चिकित्सालय (Wildlife Hospital of Zoological Park) में रह रही मादा तेंदुआ सोनाली (old female panther sonali) को 01.05.2018 को सोहागीबरवा वन प्रभाग (Sohagibarwa Forest Division) से रेस्क्यू कर लाया गया था. वर्तमान में इसकी उम्र लगभग 14-16 वर्ष थी. बीते रविवार से यह दोबारा अचानक गंभीर रूप से अस्वस्थ्य हो गई थी और तथा भोजन, पानी भी ग्रहण नहीं कर रही थी. जिसका गहन उपचार प्राणि उद्यान के पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा था.

वहीं कैंसर से ग्रसित बाघ किशन ने सोमवार शाम तक भोजन ग्रहण नहीं किया था. सारे दिन किशन कराल में रहा. उसकी गतिविधियां भी कम रहीं. अब आयु और असाध्य रोग के कारण उसका स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन क्षय होता जा रहा है. लखनऊ चिड़ियाघर (Lucknow Zoo) में बाघ किशन को वर्ष 2009 में किशनपुर, कापटांडा से रेस्क्यू होकर लखनऊ प्राणि उद्यान (Lucknow Zoological Park) लाया गया था. यह बाघ कान और मुंह के पास की रक्त वाहनियों के कैंसर से पीड़ित है. पिछले लगभग 13 वर्षों से बाघ किशन की चिकित्सा लगातार की जा रही है, लेकिन अब उसकी आयु और रोग के कारण उसकी स्थिति दिन प्रतिदिन क्षीण होती जा रही है.

लखनऊ चिड़ियाघर के डायरेक्टर वीके मिश्रा (Lucknow Zoo Director VK Mishra) ने बताया कि बाघ किशन ने पिछले तीन दिनों से भोजन ग्रहण नहीं किया है. उसको ज्यादातर कराल में ही रखा जाता है. इसी तरह बाघिन कजरी (Tigress Kajri) भी वर्ष 2019 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व (Pilibhit Tiger Reserve) से मरणासन स्थिति में रेस्क्यू करके लखनऊ प्राणि उद्यान लायी गई थी. बेहद वृद्ध यह बाघिन देखने-सुनने एवं ज्यादा चलने-फिरने से लाचार है. इसके देखने की क्षमता लगभग नगण्य हो चुकी है. दांतों का क्षय (tooth decay) होने के कारण इसको खाने में भी नर्म गोश्त ही दिया जाता है. यह बाघिन अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में है.

यह भी पढ़ें : घने कोहरे की वजह से कई उड़ानें हुईं प्रभावित, वाराणसी के लिए डायवर्ट करना पड़ा एक विमान

लखनऊ : प्राणि उद्यान के वन्यजीव चिकित्सालय में रह रही वृद्ध मादा तेंदुआ सोनाली की सोमवार रात मौत हो गई. पशु चिकित्सकों के पैनल द्वारा उसका पोस्टमार्टम किया गया. जिसमें प्रथम दृष्टया मृत्यु का कारण मल्टी आर्गन फेलियर एसोसिएटेड विद सेनेलिटी पाया गया. वहीं कैंसर से ग्रसित बाघ किशन ने सोमवार शाम तक भोजन ग्रहण नहीं किया था. बाघिन कजरी काफी बेहद वृद्ध और क्षीण हो चुकी है.

प्राणि उद्यान के वन्यजीव चिकित्सालय (Wildlife Hospital of Zoological Park) में रह रही मादा तेंदुआ सोनाली (old female panther sonali) को 01.05.2018 को सोहागीबरवा वन प्रभाग (Sohagibarwa Forest Division) से रेस्क्यू कर लाया गया था. वर्तमान में इसकी उम्र लगभग 14-16 वर्ष थी. बीते रविवार से यह दोबारा अचानक गंभीर रूप से अस्वस्थ्य हो गई थी और तथा भोजन, पानी भी ग्रहण नहीं कर रही थी. जिसका गहन उपचार प्राणि उद्यान के पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा था.

वहीं कैंसर से ग्रसित बाघ किशन ने सोमवार शाम तक भोजन ग्रहण नहीं किया था. सारे दिन किशन कराल में रहा. उसकी गतिविधियां भी कम रहीं. अब आयु और असाध्य रोग के कारण उसका स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन क्षय होता जा रहा है. लखनऊ चिड़ियाघर (Lucknow Zoo) में बाघ किशन को वर्ष 2009 में किशनपुर, कापटांडा से रेस्क्यू होकर लखनऊ प्राणि उद्यान (Lucknow Zoological Park) लाया गया था. यह बाघ कान और मुंह के पास की रक्त वाहनियों के कैंसर से पीड़ित है. पिछले लगभग 13 वर्षों से बाघ किशन की चिकित्सा लगातार की जा रही है, लेकिन अब उसकी आयु और रोग के कारण उसकी स्थिति दिन प्रतिदिन क्षीण होती जा रही है.

लखनऊ चिड़ियाघर के डायरेक्टर वीके मिश्रा (Lucknow Zoo Director VK Mishra) ने बताया कि बाघ किशन ने पिछले तीन दिनों से भोजन ग्रहण नहीं किया है. उसको ज्यादातर कराल में ही रखा जाता है. इसी तरह बाघिन कजरी (Tigress Kajri) भी वर्ष 2019 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व (Pilibhit Tiger Reserve) से मरणासन स्थिति में रेस्क्यू करके लखनऊ प्राणि उद्यान लायी गई थी. बेहद वृद्ध यह बाघिन देखने-सुनने एवं ज्यादा चलने-फिरने से लाचार है. इसके देखने की क्षमता लगभग नगण्य हो चुकी है. दांतों का क्षय (tooth decay) होने के कारण इसको खाने में भी नर्म गोश्त ही दिया जाता है. यह बाघिन अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में है.

यह भी पढ़ें : घने कोहरे की वजह से कई उड़ानें हुईं प्रभावित, वाराणसी के लिए डायवर्ट करना पड़ा एक विमान

Last Updated : Dec 19, 2022, 11:27 PM IST
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