लखनऊ : फर्जी मार्कशीट मामले में भाजपा के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू व दो अन्य अभियुक्तों की अपीलों को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. न्यायालय ने खब्बू समेत तीनों अभियुक्तों को तत्काल हिरासत में लेते हुए, सजा काटने के लिए जेल भेजने का आदेश दिया है. अभियुक्तों ने ट्रायल कोर्ट द्वारा खुद को दोष सिद्ध किए जाने व पांच साल की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की हुई थी.
यह निर्णय न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू, कृपा निधान तिवारी व फूलचंद यादव की अपीलों पर एक साथ सुनवाई के उपरांत पारित किया. अभियुक्तों पर आरोप था कि उन्होंने फर्जी मार्कशीट के आधार पर अयोध्या स्थित साकेत महाविद्यालय में प्रवेश लिया. इस बात की शिकायत 14 फरवरी 1992 और 16 फरवरी 1992 को महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी ने एसएसपी फैजाबाद को लिखित तौर पर की. विवेचना के उपरांत सभी अभियुक्तों के विरुद्ध पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया. 18 अक्टूबर 2021 को फैजाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए, पांच-पांच वर्ष कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई.
ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए, खब्बू तिवारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने दलील दी कि अभियोजन कथानक की पुष्टि किसी भी गवाह के बयान से नहीं होती है, मामले में जो दस्तावेज साक्ष्य पेश किए गए थे, वे मूल प्रतियां नहीं थीं. कहा गया कि मूल प्रतियां न होने अथवा मूल प्रतियों से मिलान न होने के कारण उक्त दस्तावेजों को साक्ष्य नहीं माना जा सकता, वहीं अपील का राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश चंद्र वर्मा ने विरोध करते हुए दलील दिया कि अपीलार्थी खब्बू तिवारी इस मामले में पूरे तीस साल तक फरार रहा, उसके फ़रारी से ट्रायल पूरा होने में बहुत अधिक विलम्ब हुआ. बहस के दौरान खब्बू तिवारी के आपराधिक इतिहास के तौर पर 35 आपराधिक मुकदमों का भी ब्यौरा दिया गया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के उपरांत पारित अपने निर्णय में कहा कि दस्तावेजी साक्ष्यों को अभियोजन के गवाहों ने प्रमाणित किया है, लिहाजा यह नहीं कहा जा सकता कि वे स्वीकार्य साक्ष्य नहीं हैं. न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्तों को दोषी ठहराने में कोई भूल नहीं की है.
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