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लखनऊ: थारू जनजाति का राजपूताना कनेक्शन पर रिसर्च करेगा केजीएमयू

थारू जनजाति के बारे में कई मान्यताएं हैं. ऐसे में अब थारू जनजाति का कनेक्शन राजपूतों से कितना है, यह तलाशने के लिए राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में डॉक्टरों की टीम और छात्र रिसर्च कर रहे हैं.

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Published : Jan 3, 2020, 11:46 PM IST

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थारू जनजाति पर रिसर्च करने में जुटा केजीएमयू.

लखनऊ: थारू जनजाति के बारे में कई मान्यताएं हैं. राजपूताना कनेक्शन भी इनमें से एक है, जिसकी हकीकत का पता करने के लिए केजीएमयू के डॉक्टर और छात्र शोध करेंगे. इसके तहत थारू जनजाति के लोगों का अध्ययन किया जाएगा.

थारू जनजाति पर रिसर्च करने में जुटा केजीएमयू.

फिलहाल डॉक्टरों ने इसके लिए थारू जनजाति के 850 लोगों के ब्लड सैंपल लिए हैं और इनके जीन का परीक्षण शुरू कर दिया है. केजीएमयू में क्लीनिकल पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टर व छात्र इस पर अध्ययन करेंगे.

थारू जनजाति महिला प्रधान समाज माना जाता है. यह घुमंतू जनजातियों में से एक है, जो अमूमन तराई के इलाकों में पाई जाती है. कई लोग मानते हैं कि ये लोग नेपाल से आए हैं. जबकि कई लोगों का मानना है कि खिलजी के आक्रमण के वक्त राजपूत महिलाएं जंगल में चली गईं थीं, जो जनजाति के रूप में स्थापित हैं.

हालांकि अभी इसके प्रमाण सामने नहीं आए हैं. इस पर शोध किया जा रहा है और इसके लिए इस अवधारणा के लोगों को तलाशा जा रहा है. अगर इनके जीन राजपूतों से मेल खाएंगे तो इस अवधारणा का स्पष्टीकरण सामने आ जाएगा. इस पूरे मामले पर केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने ईटीवी भारत से जानकारी साझा की. साथ ही उन्होंने छात्रों और डॉक्टरों के इस जनजाति से जुड़े अध्ययन के बारे में भी बताया.

ये भी पढ़ें: लखनऊवासियों को नए साल में स्वास्थ्यगत सौगात, खुलेंगी 5 नई पीएचसी

आने वाले दिनों में थारू जनजाति का कनेक्शन साफ हो जाने के बाद केजीएमयू द्वारा इस पूरे मामले पर छात्रों व डॉक्टरों के साथ मिलकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें इस जनजाति से जुड़े कनेक्शन के बारे में तर्क रखे जाएंगे और इस अध्ययन के बारे में और जानकारियां जल्दी ही साझा की जाएंगी.

लखनऊ: थारू जनजाति के बारे में कई मान्यताएं हैं. राजपूताना कनेक्शन भी इनमें से एक है, जिसकी हकीकत का पता करने के लिए केजीएमयू के डॉक्टर और छात्र शोध करेंगे. इसके तहत थारू जनजाति के लोगों का अध्ययन किया जाएगा.

थारू जनजाति पर रिसर्च करने में जुटा केजीएमयू.

फिलहाल डॉक्टरों ने इसके लिए थारू जनजाति के 850 लोगों के ब्लड सैंपल लिए हैं और इनके जीन का परीक्षण शुरू कर दिया है. केजीएमयू में क्लीनिकल पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टर व छात्र इस पर अध्ययन करेंगे.

थारू जनजाति महिला प्रधान समाज माना जाता है. यह घुमंतू जनजातियों में से एक है, जो अमूमन तराई के इलाकों में पाई जाती है. कई लोग मानते हैं कि ये लोग नेपाल से आए हैं. जबकि कई लोगों का मानना है कि खिलजी के आक्रमण के वक्त राजपूत महिलाएं जंगल में चली गईं थीं, जो जनजाति के रूप में स्थापित हैं.

हालांकि अभी इसके प्रमाण सामने नहीं आए हैं. इस पर शोध किया जा रहा है और इसके लिए इस अवधारणा के लोगों को तलाशा जा रहा है. अगर इनके जीन राजपूतों से मेल खाएंगे तो इस अवधारणा का स्पष्टीकरण सामने आ जाएगा. इस पूरे मामले पर केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने ईटीवी भारत से जानकारी साझा की. साथ ही उन्होंने छात्रों और डॉक्टरों के इस जनजाति से जुड़े अध्ययन के बारे में भी बताया.

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आने वाले दिनों में थारू जनजाति का कनेक्शन साफ हो जाने के बाद केजीएमयू द्वारा इस पूरे मामले पर छात्रों व डॉक्टरों के साथ मिलकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें इस जनजाति से जुड़े कनेक्शन के बारे में तर्क रखे जाएंगे और इस अध्ययन के बारे में और जानकारियां जल्दी ही साझा की जाएंगी.

Intro:



थारू जनजाति के बारे में कई मान्यताएं हैं. ऐसे में अब थारू जनजाति का कनेक्शन राजपूताना से कितना है यh तलाशने के लिए केजीएमयू में डॉक्टरों की टीम व छात्र अपनी रिसर्च कर रहे हैं।इस रिसर्च में डॉक्टरों की टीम व उनके साथ कुछ छात्र लगे हुए हैं। जो इस कनेक्शन का पता लगाएंगे।



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थारू जनजाति के बारे में कई मान्यताएं हैं राजपूताना कनेक्शन भी इनमें से एक है। इसकी हकीकत पता करने के लिए केजीएमयू के डॉक्टर छात्र शोध करेंगे इसके तहत थारू जनजाति के लोगों का अध्ययन किया जाएगा। फिलहाल डॉक्टरों ने इसके लिए थारू जनजाति के 850 लोगों के ब्लड सैंपल लिए हैं और इनके जीन का परीक्षण भी शुरू हो गया है। केजीएमयू में क्लीनिकल पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टर व छात्र इस पर अध्यन करेंगे। थारू जनजाति महिला प्रधान समाज माना जाता है।यह घुमंतू जनजातियों में से एक है। जो अमूमन तराई के इलाकों में पाई जाती हैं।कई लोग मानते हैं कि नेपाल से आए हैं।जबकि कई का मानना है कि खिलजी के आक्रमण के वक्त राजपूत महिलाएं जंगल में चली गई थी। जो जनजाति के रूप में स्थापित है।हालांकि अभी इसके प्रमाण सामने नहीं आए हैं।इस पर शोध की जा रही है और इसके लिए इस अवधारणा के लोगों को तलाशा जा रहा। अगर इनके जी राजपूतों से मेल खाएंगे तो इस अवधारणा का स्पष्टीकरण सामने आ जाएगा।इस पूरे मामले पर हमसे जानकारी केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह ने साझा की और उन्होंने इस जनजाति से जुड़े छात्रों और डॉक्टरों के अध्यन के बारे में भी हमसे जानकारी साझा की

बाइट- डॉ सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू




Conclusion:आने वाले दिनों में थारू जनजाति का कनेक्शन साफ हो जाने के बाद केजीएमयू द्वारा इस पूरे मामले पर छात्रों व डॉक्टरों के साथ मिलकर के एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमें इस जनजाति से जुड़े कनेक्शन के बारे में तर्क रखे जाएंगे और इस अध्ययन के बारे में और जानकारियां जल्दी ही साझा की जाएंगी।

एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
7054605976
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