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यहां किशोरियों को नहीं होती है हिचकिचाहट, डॉक्टर दीदी खुलकर करती हैं बात

लखनऊ के केजीएमयू में जून 2018 से 'किशोर स्वास्थ क्लीनिक' का संचालन किया जा रहा है. डॉक्टर दीदी किशोरियों से बात कर उनकी हर समस्या सुनती हैं और उसका समाधान करती हैं.

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Published : Jan 22, 2020, 3:27 PM IST

किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक
किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक

लखनऊः क्विन मेरी हास्पिटल में किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक जून 2018 को खोला गया है. किशोर अवस्था में बढ़ती उम्र के साथ किशोरियों में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं. ये वो दिन है जब उनका सामना उन 5 दिनों से होता है, जिसमें उनके शारीरिक बदलाव होते हैं. किशोरियां आज भी इस बदलाव के बारे में न ही अपने परिवार में किसी को बताती हैं, न ही किसी डॉक्टर से राय ले पाती हैं. इस कारण अन्य बीमारियों से भी ग्रसित होने लगती हैं.

देखें रिपोर्ट.

केजीएमयू ने किशोरियों को स्वस्थ्य रखने के लिए क्लीनिक खोला है. इस क्लीनिक का नाम है किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक. 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलिसेंट हेल्थ डेवलपमेंट' ने एक प्रोजेक्ट के तहत किशोरियों के भविष्य को ध्यान में रखकर उनकी प्राकृतिक समस्याओं से संबंधित इलाज मुहैया कराया है. इस पहल को एनआरएचएम और ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के सहयोग से संचालित किया जा रहा है.

इस क्लीनिक पर डॉक्टर दीदी किशोरियों की काउंसलिंग करती हैं. किशोरियां भी डॉ दीदी से हमजोली बनाते हुए बेझिझक सारी बातों को साझा करने लगती हैं. क्लीनिक पहुंचने वाली लड़कियों की संख्या पिछले 1 साल में 790 थी. अब उनकी संख्या में बढ़ोतरी होकर अब 991 हो गई है. अब तक 3000 से अधिक किशोरियां इस केन्द्र पर काउंसलिंग करा चुकी हैं.

कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉक्टर सुजाता देव का कहना है कि किशोरावस्था की शुरुआत 13 साल की उम्र से मानी जाती है. क्लीनिक में 10 साल की बच्चियों की भी काउंसलिंग होती है. सबसे पहले हम उन लड़कियों से खुलकर बात करते हैं. फिर उनकी काउंसलिंग करते हैं. ट्रीटमेंट पूरा होने के बाद उनको भविष्य में यह संदेश देते हैं कि आप अपना ख्याल रखें. आपकी सावधानी ही आपको बेहतर भविष्य देगी.

डॉक्टर सुजाता देव आगे कहती है कि सेंटर में किशोरियों को ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. हम यह उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में अधिक से अधिक किशोरियां काउंसलिंग कराकर हमसे अपनी बात शेयर करेंगी. हम उनके बेहतर भविष्य के लिए उनकी सारी समस्याओं को खत्म करने का प्रयास करते रहेंगे.

लखनऊः क्विन मेरी हास्पिटल में किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक जून 2018 को खोला गया है. किशोर अवस्था में बढ़ती उम्र के साथ किशोरियों में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं. ये वो दिन है जब उनका सामना उन 5 दिनों से होता है, जिसमें उनके शारीरिक बदलाव होते हैं. किशोरियां आज भी इस बदलाव के बारे में न ही अपने परिवार में किसी को बताती हैं, न ही किसी डॉक्टर से राय ले पाती हैं. इस कारण अन्य बीमारियों से भी ग्रसित होने लगती हैं.

देखें रिपोर्ट.

केजीएमयू ने किशोरियों को स्वस्थ्य रखने के लिए क्लीनिक खोला है. इस क्लीनिक का नाम है किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक. 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलिसेंट हेल्थ डेवलपमेंट' ने एक प्रोजेक्ट के तहत किशोरियों के भविष्य को ध्यान में रखकर उनकी प्राकृतिक समस्याओं से संबंधित इलाज मुहैया कराया है. इस पहल को एनआरएचएम और ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के सहयोग से संचालित किया जा रहा है.

इस क्लीनिक पर डॉक्टर दीदी किशोरियों की काउंसलिंग करती हैं. किशोरियां भी डॉ दीदी से हमजोली बनाते हुए बेझिझक सारी बातों को साझा करने लगती हैं. क्लीनिक पहुंचने वाली लड़कियों की संख्या पिछले 1 साल में 790 थी. अब उनकी संख्या में बढ़ोतरी होकर अब 991 हो गई है. अब तक 3000 से अधिक किशोरियां इस केन्द्र पर काउंसलिंग करा चुकी हैं.

कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉक्टर सुजाता देव का कहना है कि किशोरावस्था की शुरुआत 13 साल की उम्र से मानी जाती है. क्लीनिक में 10 साल की बच्चियों की भी काउंसलिंग होती है. सबसे पहले हम उन लड़कियों से खुलकर बात करते हैं. फिर उनकी काउंसलिंग करते हैं. ट्रीटमेंट पूरा होने के बाद उनको भविष्य में यह संदेश देते हैं कि आप अपना ख्याल रखें. आपकी सावधानी ही आपको बेहतर भविष्य देगी.

डॉक्टर सुजाता देव आगे कहती है कि सेंटर में किशोरियों को ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. हम यह उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में अधिक से अधिक किशोरियां काउंसलिंग कराकर हमसे अपनी बात शेयर करेंगी. हम उनके बेहतर भविष्य के लिए उनकी सारी समस्याओं को खत्म करने का प्रयास करते रहेंगे.

Intro:एंकर

स्पेशल

लखनऊ में केजीएमयू के द्वारा जून 2018 से संचालित किशोर अवस्था में वड़ती उम्र के साथ किशोरियों में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं। यह वो दिन होते हैं ।जब उनका सामना उन 5 दिनों से होता है। जब उनके शारीरिक बदलावों के चलते होता है। और किशोरियां आज भी अपने शारीरिक बदलाव के बारे में ना ही अपने परिवार में किसी को बताती हैं। ना ही किसी डॉक्टर से राय ले पाती है। इसका साफ कारण यह है ।कि वह है इन चीजों को बताने में शर्म करती हैं। और खुलकर अपनी बात नहीं रख पाती। जिसकी वजह से वह घुट घुट कर रहती है ।और अन्य बीमारियों से भी ग्रसित होने लगती है।





Body:विजुअल।


इसी क्रम में लखनऊ के केजीएमयू ने क्वीन मेरी में किशोरियों को स्वस्थ रखने के लिए क्लीनिक खोला ,इस क्लीनिक सेंटर का नाम है ।सेंटर आफ एक्सीलेंस फॉर एडोलिसेंट हेल्थ डेवलपमेंट, एक मोहिम जो किशोरियों के भविष्य को ध्यान में रखकर उनकी प्राकृतिक समस्याओं से संबंधित उपचार मुहैया कराती है। इस पहल में एनआरएचएम और एनजीओ ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के सहयोग से संचालित इस प्रोजेक्ट में डॉ सबसे पहले उन किशोरियों की काउंसलिंग करती है। और उन किशोरियों से अच्छे से बात करती हैं। और किशोरियां भी डॉ दीदी से हमजोली बनाते हुए बेझिझक सारी बातों को साझा करने लगती है। इस अंदाज से यह उम्मीद लगाई जा सकती है। कि क्लीनिक पहुंचने वाली लड़कियों की संख्या पिछले 1 साल में करीब 790 की संख्या में बढ़ोतरी होते हुए, अभी इसमें 991 किशोरिया इलाज भी ले रही हैं। वही 3000 से अधिक किशोरिया इसमें काउंसलिंग करा चुकी है।


Conclusion:डिस्क्रिप्शन

डॉक्टर सुजाता देव का कहना है। कि किशोरावस्था की शुरुआत 13 साल की उम्र से मानी जाती है। लेकिन क्लीनिक में 10 साल की बच्चियों की भी काउंसलिंग होती है ।जिससे सबसे पहले हम उन लड़कियों से खुलकर हमजोली के साथ बात करते हैं। और बेझिझक वह लड़कियां भी हमको सारी बातें बताती हैं। फिर हम उनकी काउंसलिंग करते हैं। और काउंसलिंग करने के बाद उनको किस तरह की परेशानी है। उन परेशानियों को समझते हैं ।और सारी सावधानियां समझाते हैं। और अगर समझाने में कोई दिक्कत होती है। तो उनको वीडियो रिकॉर्डिंग के चलते उन को जागरूक करते हैं ।और ट्रीटमेंट पूरा होने के बाद उनको भविष्य में यह संदेश देते हैं। कि आप अपना ख्याल रखें और अब तक जो हुआ उसको भूल जाएं आगे कोई भी भूल ना करें, आपकी सावधानी ही आपके लिए बेहतर भविष्य देगी, और अनजाने और ना जाने में जो गलतियां हुई हैं , वह मानते हैं समाज एक्सेप्ट नहीं करता लेकिन अपनी समस्याएं जब तक आप नहीं बताएंगे तब तक उन समस्याओं का निदान उपचार कैसे हो पाएगा ।जब सेंटर में किशोरियों को ट्रीटमेंट दिया जा रहा है ।तब से साफ तौर पर यह देखा जा सकता है ।कि उनकी सहेलियां और उनके द्वारा अन्य किशोरियों को जानकारी मिलने के बाद यह संख्या में और बढ़ोतरी हुई है। और हम यह उम्मीद करते हैं। कि आने वाले समय में अधिक से अधिक किशोरियों ने काउंसलिंग करा कर ,हमको अपनी बात शेयर कर रही हैं। और हम उनके बेहतर भविष्य के लिए उनकी सारी समस्याओं को खत्म करने का प्रयाश कर रहे हैं।और साथ ही हम उन किशोरियों के बारे में पूरी गोपनीय भी रखती हैं ।


इनकी है एहम भूमिका नोडल अधिकारी डॉ सुजाता देव, काउंसलर ममता सिंह अन्य सहयोगी शिवानी और डॉक्टर काजी नजमुद्दीन के सहयोग से कर रहे हैं काम

वाइट । डॉ सुजाता देव, नोडल अधिकारी गायनेकोलॉजिस्ट


सम्बददाता सतेंद्र शर्मा 819386401 2
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