लखनऊः क्विन मेरी हास्पिटल में किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक जून 2018 को खोला गया है. किशोर अवस्था में बढ़ती उम्र के साथ किशोरियों में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं. ये वो दिन है जब उनका सामना उन 5 दिनों से होता है, जिसमें उनके शारीरिक बदलाव होते हैं. किशोरियां आज भी इस बदलाव के बारे में न ही अपने परिवार में किसी को बताती हैं, न ही किसी डॉक्टर से राय ले पाती हैं. इस कारण अन्य बीमारियों से भी ग्रसित होने लगती हैं.
केजीएमयू ने किशोरियों को स्वस्थ्य रखने के लिए क्लीनिक खोला है. इस क्लीनिक का नाम है किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक. 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर एडोलिसेंट हेल्थ डेवलपमेंट' ने एक प्रोजेक्ट के तहत किशोरियों के भविष्य को ध्यान में रखकर उनकी प्राकृतिक समस्याओं से संबंधित इलाज मुहैया कराया है. इस पहल को एनआरएचएम और ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड के सहयोग से संचालित किया जा रहा है.
इस क्लीनिक पर डॉक्टर दीदी किशोरियों की काउंसलिंग करती हैं. किशोरियां भी डॉ दीदी से हमजोली बनाते हुए बेझिझक सारी बातों को साझा करने लगती हैं. क्लीनिक पहुंचने वाली लड़कियों की संख्या पिछले 1 साल में 790 थी. अब उनकी संख्या में बढ़ोतरी होकर अब 991 हो गई है. अब तक 3000 से अधिक किशोरियां इस केन्द्र पर काउंसलिंग करा चुकी हैं.
कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉक्टर सुजाता देव का कहना है कि किशोरावस्था की शुरुआत 13 साल की उम्र से मानी जाती है. क्लीनिक में 10 साल की बच्चियों की भी काउंसलिंग होती है. सबसे पहले हम उन लड़कियों से खुलकर बात करते हैं. फिर उनकी काउंसलिंग करते हैं. ट्रीटमेंट पूरा होने के बाद उनको भविष्य में यह संदेश देते हैं कि आप अपना ख्याल रखें. आपकी सावधानी ही आपको बेहतर भविष्य देगी.
डॉक्टर सुजाता देव आगे कहती है कि सेंटर में किशोरियों को ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. हम यह उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में अधिक से अधिक किशोरियां काउंसलिंग कराकर हमसे अपनी बात शेयर करेंगी. हम उनके बेहतर भविष्य के लिए उनकी सारी समस्याओं को खत्म करने का प्रयास करते रहेंगे.