लखनऊ : किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) में जो दवाएं गरीबों को मिलनी चाहिये थी वो दवाएं खुले बाजार में धड़ल्ले से बेची जा रही थीं. इस अवैध धंधे की सूचना यूपी एसटीएफ को लगी तो छापेमारी कर दवाओं की अवैध धंधेबाजी का भंडाफोड़ किया है. एजेंसी ने बड़े पैमाने पर बाजार में बेचने के लिए ले जाई जा रहीं सरकारी दवाओं के साथ तीन आरोपियों को दबोचा है. इस धंधे में केजीएमयू के संविदा कर्मचारी की भी मिलीभगत मिली है.
यूपी एसटीएफ ने 3 आरोपियों को राजधानी स्थित चौक ओवर ब्रिज के पास से गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सीतापुर निवासी रजनीश कुमार, नितिन बाजपेयी और प्रियांशू मिश्रा के रूप में हुई है. गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से लाखों रुपयों की दवाइयां बरामद हुई हैं. इस पूरे खेल को रजनीश चला रहा था. हालांकि एसटीएफ की आगे जांच में कई अधिकारियों के भी गिरफ्तारी हो सकती है.
एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह (SSP STF Vishal Vikram Singh) के मुताबिक, राज्य में सरकारी अस्पतालों की दवाइयों को खुले बाजार में बेचने की सूचना लगातार मिल रही थी. जिस पर एसटीएफ की एक टीम गठित की गई. इसी बीच टीम को सूचना मिली कि केजीएमयू की सरकारी दवाइयां बाहर बाजारों में बेंचने वाले आरोपी लखनऊ में घूम रहे हैं. सूचना के आधार पर टीम ने मौके पर पहुंचकर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपी रजनीश कुमार ने पूछताछ में बताया कि वह केजीएमयू में रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) की फार्मेसी दवा की दुकान में संविदा पर फार्मेसिस्ट सेल्समैन का काम तीन वर्षों से कर रहा है, जो दवाइयों पर लिखे फॉर केजीएमयू एचआरएफ वनली लिखे शब्द को मिटाकर साथी नितिन और प्रियांशु मदद से बाजारों के मेडिकल स्टोरों पर 30 प्रतिशत कमीशन लेकर बेंच देते हैं.
एसटीएफ की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि केजीएमयू के ट्राॅमा सेंटर स्थित एचआरएफ की दवा दुकान पर तैनात महेश प्रताप सिंह और अनूप मिश्रा, देवेश मिश्रा भी इस खेल में अपना अहम भूमिका निभा रहे थे. प्रियांशु मिश्रा का बड़ा भाई सूरज मिश्रा भी इस खेल में शामिल था, जो इस खेल में आए पूरे पैसों में हो रही बंदरबांट में शामिल था. सभी आरोपियों के खिलाफ चौक कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन की जा रही है.
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