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मृतक आश्रित कोटे से नौकरी में धांधली, kGMU प्रशासन ने दो कर्मियों की सेवा की समाप्त

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Published : Jun 23, 2021, 1:23 PM IST

केजीएमयू (kgmu) में मृतक आश्रित कोटे(deceased dependent quota) से हुई भर्ती में बड़े स्तर पर धांधली हुई है. शिकायत के बाद शुरू हुई जांच में एक-एक कर कारनामे उजागर हो रहे हैं. धांधली कर नौकरी लेने के मामले में केजीएमयू प्रशासन(kgmu administration) ने दो कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया है.

मृतक आश्रित कोटे से नौकरी में धांधली
मृतक आश्रित कोटे से नौकरी में धांधली

लखनऊ: राजधानी स्थित केजीएमयू (kgmu) में मृतक आश्रित कोटे (deceased dependent quota) से डॉक्टरों और कर्मचारियों की भर्ती में धांधली के कई मामले उजागर हो चुके हैं. इसमें से कुछ पर ही कार्रवाई हुई, अधिकतर मामलों में जांच ठंडे बस्ते में चली गई. जब मामला कोर्ट तक पहुंचा तो संस्थान प्रशासन ने ऐसे मामलों में कार्रवाई करना शुरू किया. बिना नियमावली के पालन के मृतक आश्रित कोटे से नौकरी लेने के मामले में केजीएमयू प्रशासन (kgmu administration) ने दो मामलों में कार्रवाई की है. इनमें से 19 जून को मृतक आश्रित कोटे में तथ्य छिपाकर नौकरी करने वाले एक कर्मी को टर्मिनेट किया है. इसके चौथे दिन 22 जून को केजीएमयू प्रशासन ने एक और कर्मचारी की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया है.मृतक आश्रित कोटे में एक प्रधान लिपिक समेत नौ कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी है.


16 साल बाद किया बर्खास्त
जांच के मुताबिक, 22 जून को बर्खास्त की गई सफाई कर्मचारी कुमारी काले की तैनाती 2005 में उनकी मां की मृत्यु के बाद हुई थी. कुमारी काले की मां केजीएमयू में ही नौकरी कर रही थी. इतना ही नहीं उनके पिता भी केजीएमयू में ही नौकरी कर रहे थे. कुमारी काले ने पिता के केजीएमयू में नौकरी करने के तथ्य को छिपाते हुए माता के निधन के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी ज्वॉइन कर ली. ऐसे में जांच में उनकी नियुक्ति को अवैध माना गया और नौकरी ज्वाइन करने के 16 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया. 22 जून 2021 को केजीएमयू कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने सफाई कर्मचारी कुमारी काले की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया.

kGMU
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एक कर्मी सेवाकाल के 13वें साल किया गया बर्खास्त
वहीं दूसरे मामले में केजीएमयू प्रशासन ने सुमित कुमार के खिलाफ कार्रवाई की है. सुमित कुमार केजीएमयू में वाटर कैरियर पद पर तैनात थे. उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में 2007 में आवेदन किया था और वर्ष 2008 में उन्हें तैनाती मिली थी. कुलसचिव आशुतोष कुमार ने 19 जून को कर्मी सुमित वर्मा के टर्मिनेशन के आदेश जारी किए. टर्मिनेशन के आदेश में जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, सुमित की मां बालरोग विभाग में सेवारत थीं. सुमित ने यह तथ्य छिपाकर मृतक आश्रित की अनुकम्पा के आधार पर नौकरी हासिल की, जो कि गलत है.

इसे भी पढ़ें- हर फंगस पर होगा सटीक वार, यूपी में बनेगा पहला माइकोलॉजी सेंटर


समूह 'ग' की भर्ती में धांधली को लेकर आवाज बुलंद
केजीएमयू में सिर्फ मृतक आश्रित कोटे से हुई भर्ती में धांधली नहीं हुई बल्कि समूह 'ग' की भर्ती में भी भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाए गए हैं. शासन से केजीएमयू में हुई समूह 'ग' की भर्ती में हुए भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत की गई है.

लखनऊ: राजधानी स्थित केजीएमयू (kgmu) में मृतक आश्रित कोटे (deceased dependent quota) से डॉक्टरों और कर्मचारियों की भर्ती में धांधली के कई मामले उजागर हो चुके हैं. इसमें से कुछ पर ही कार्रवाई हुई, अधिकतर मामलों में जांच ठंडे बस्ते में चली गई. जब मामला कोर्ट तक पहुंचा तो संस्थान प्रशासन ने ऐसे मामलों में कार्रवाई करना शुरू किया. बिना नियमावली के पालन के मृतक आश्रित कोटे से नौकरी लेने के मामले में केजीएमयू प्रशासन (kgmu administration) ने दो मामलों में कार्रवाई की है. इनमें से 19 जून को मृतक आश्रित कोटे में तथ्य छिपाकर नौकरी करने वाले एक कर्मी को टर्मिनेट किया है. इसके चौथे दिन 22 जून को केजीएमयू प्रशासन ने एक और कर्मचारी की सेवा समाप्त करने का आदेश जारी किया है.मृतक आश्रित कोटे में एक प्रधान लिपिक समेत नौ कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी है.


16 साल बाद किया बर्खास्त
जांच के मुताबिक, 22 जून को बर्खास्त की गई सफाई कर्मचारी कुमारी काले की तैनाती 2005 में उनकी मां की मृत्यु के बाद हुई थी. कुमारी काले की मां केजीएमयू में ही नौकरी कर रही थी. इतना ही नहीं उनके पिता भी केजीएमयू में ही नौकरी कर रहे थे. कुमारी काले ने पिता के केजीएमयू में नौकरी करने के तथ्य को छिपाते हुए माता के निधन के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी ज्वॉइन कर ली. ऐसे में जांच में उनकी नियुक्ति को अवैध माना गया और नौकरी ज्वाइन करने के 16 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया. 22 जून 2021 को केजीएमयू कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने सफाई कर्मचारी कुमारी काले की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया.

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एक कर्मी सेवाकाल के 13वें साल किया गया बर्खास्त
वहीं दूसरे मामले में केजीएमयू प्रशासन ने सुमित कुमार के खिलाफ कार्रवाई की है. सुमित कुमार केजीएमयू में वाटर कैरियर पद पर तैनात थे. उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में 2007 में आवेदन किया था और वर्ष 2008 में उन्हें तैनाती मिली थी. कुलसचिव आशुतोष कुमार ने 19 जून को कर्मी सुमित वर्मा के टर्मिनेशन के आदेश जारी किए. टर्मिनेशन के आदेश में जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, सुमित की मां बालरोग विभाग में सेवारत थीं. सुमित ने यह तथ्य छिपाकर मृतक आश्रित की अनुकम्पा के आधार पर नौकरी हासिल की, जो कि गलत है.

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समूह 'ग' की भर्ती में धांधली को लेकर आवाज बुलंद
केजीएमयू में सिर्फ मृतक आश्रित कोटे से हुई भर्ती में धांधली नहीं हुई बल्कि समूह 'ग' की भर्ती में भी भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाए गए हैं. शासन से केजीएमयू में हुई समूह 'ग' की भर्ती में हुए भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत की गई है.

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