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योगी के सामने केशव प्रसाद मौर्य होंगे भाजपा के हिंदूत्व का हार्डलाइनर चेहरा! - up politics latest news

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अब मथुरा के बयान को लेकर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी हिंदू हार्ड लाइनर चेहरे के तौर पर भाजपा पेश कर रही है. आइए जानते हैं केशव प्रसाद मौर्य को लेकर सियासी माहौल क्या है?

सीएम योगी और केशव प्रसाद मौर्य.
सीएम योगी और केशव प्रसाद मौर्य.
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Published : Dec 3, 2021, 7:22 PM IST

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अब मथुरा के बयान को लेकर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी हिंदू हार्ड लाइनर चेहरे के तौर पर भाजपा पेश कर रही है. विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के बाद इस तरह के समीकरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी में अब खेमेबाजी तेज है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ चुनाव के बाद की बदली परिस्थितियों में केशव प्रसाद मौर्य को को सीएम पद का दावेदार पेश किया जा सकता है. माना यह जा रहा है कि बिना भारतीय जनता पार्टी संगठन की मर्जी के केशव प्रसाद मौर्य मथुरा में जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संबंध में बयान नहीं देंगे. जबकि भाजपा सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और सूर्य प्रताप शाही ने केशव प्रसाद मौर्य का समर्थन किया है.

गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य ने दो दिन पहले बयान दिया था कि अयोध्या और काशी में मंदिर निर्माण तेजी से जारी है और अब मथुरा की बारी है. जिसके बाद में सियासी संग्राम मचा हुआ है. केशव प्रसाद मौर्य की बयान को लेकर जहां एक और विपक्ष हमलावर है. वहीं, चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केशव प्रसाद मौर्य का समर्थन किया है. दोनों ने बयान जारी किया है कि मथुरा का विकास हो कृष्ण जन्मभूमि का जीर्णोद्धार हो, इसमें क्या बुराई है.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह ने बताया कि निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा अब निश्चित तौर पर योगी के सामने हिंदुत्व प्रतिस्पर्धी के तौर पर पेश कर रही है. ताकि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर एक और हिंदुत्ववादी विकल्प को पेश किया जा सके. यह बात तो तय है कि बिना भाजपा संगठन की मर्जी के केशव प्रसाद मौर्य यह सब नहीं बोल रहे हैं. अगर संगठन केशव से यह सब बुलवा रहा है तो निश्चित तौर पर इसके पीछे कोई न कोई वजह जरूर होगी.

इसे भी पढ़ें-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर होगी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी
गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य 1989 में विश्व हिंदू परिषद में जुड़े थे. अयोध्या प्रांत के संयोजक रहे और राम मंदिर आंदोलन के दौरान हिंदू परिषद में उनकी अहम भूमिका थी. 2002 केशव प्रसाद मौर्य भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए. इसके बाद 2012 में केशव मौर्य ने सिराथू से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद 2014 में फूलपुर लोकसभा संसदीय सीट से मौर्य ने जीत हासिल की. 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा को जोरदार जीत मिली थी. इसके बाद एमएलसी पद पर रहते हुए केशव प्रसाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने.

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अब मथुरा के बयान को लेकर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी हिंदू हार्ड लाइनर चेहरे के तौर पर भाजपा पेश कर रही है. विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के बाद इस तरह के समीकरण को लेकर भारतीय जनता पार्टी में अब खेमेबाजी तेज है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ चुनाव के बाद की बदली परिस्थितियों में केशव प्रसाद मौर्य को को सीएम पद का दावेदार पेश किया जा सकता है. माना यह जा रहा है कि बिना भारतीय जनता पार्टी संगठन की मर्जी के केशव प्रसाद मौर्य मथुरा में जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संबंध में बयान नहीं देंगे. जबकि भाजपा सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और सूर्य प्रताप शाही ने केशव प्रसाद मौर्य का समर्थन किया है.

गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य ने दो दिन पहले बयान दिया था कि अयोध्या और काशी में मंदिर निर्माण तेजी से जारी है और अब मथुरा की बारी है. जिसके बाद में सियासी संग्राम मचा हुआ है. केशव प्रसाद मौर्य की बयान को लेकर जहां एक और विपक्ष हमलावर है. वहीं, चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केशव प्रसाद मौर्य का समर्थन किया है. दोनों ने बयान जारी किया है कि मथुरा का विकास हो कृष्ण जन्मभूमि का जीर्णोद्धार हो, इसमें क्या बुराई है.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजकुमार सिंह ने बताया कि निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा अब निश्चित तौर पर योगी के सामने हिंदुत्व प्रतिस्पर्धी के तौर पर पेश कर रही है. ताकि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर एक और हिंदुत्ववादी विकल्प को पेश किया जा सके. यह बात तो तय है कि बिना भाजपा संगठन की मर्जी के केशव प्रसाद मौर्य यह सब नहीं बोल रहे हैं. अगर संगठन केशव से यह सब बुलवा रहा है तो निश्चित तौर पर इसके पीछे कोई न कोई वजह जरूर होगी.

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गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य 1989 में विश्व हिंदू परिषद में जुड़े थे. अयोध्या प्रांत के संयोजक रहे और राम मंदिर आंदोलन के दौरान हिंदू परिषद में उनकी अहम भूमिका थी. 2002 केशव प्रसाद मौर्य भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए. इसके बाद 2012 में केशव मौर्य ने सिराथू से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद 2014 में फूलपुर लोकसभा संसदीय सीट से मौर्य ने जीत हासिल की. 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा को जोरदार जीत मिली थी. इसके बाद एमएलसी पद पर रहते हुए केशव प्रसाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बने.

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