लखनऊ: केंद्र सरकार ने शहरी और ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए काया कल्प अवार्ड योजना शुरू की. इसके जरिए एक्सपर्ट अस्पतालों का दौरा कर इंटरनल और एक्सटरनल परीक्षण करते हैं. इसमें इलाज के साथ-साथ सुविधाओं और साफ-सफाई को लेकर स्कोरिंग की जाती है. 15 मई 2015 से शुरू हुई योजना में पहली बार कोरोना की वजह से डिजिटल असेसमेंट किया गया.
ऐसे में राज्य में संचालित 850 सीएचसी में से 215 को कायाकल्य अवॉर्ड के लिए चुना गया. इसमें कानपुर की भितर गांव सीएचसी को पहला नंबर मिला. इसे 96.4 फीसद अंक मिले. वहीं दूसरे नंबर पर बाराबंकी की सतरिख सीएचसी को 92.6 फीसद अंक मिले. ऐसे ही विभिन्न श्रेणियों में 215 सीएचसी के अवॉर्ड की घोषणा एनएचएम निदेशक अर्पणा उपाध्याय ने किया. इन सीएचसी के अवॉर्ड के तौर पर 238 लाख रुपये का आवंटन किया गया. इसमें 75 फीसद धन अस्पताल की सुविधाओं को अपग्रेड करने के लिए के लिए और 25 फीसद धन कर्मियों को बतौर प्रोत्साहन राशि के तौर पर दी जाएगी.
लखनऊ की ये सीएचसी अवार्ड में शामिल
बक्शी का तालाब, मलिहाबाद, चिनहट, इटौंजा, मोहनलालगंज और सरोजनीनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को काया कल्प अवार्ड के लिए चुना गया है. वहीं शहरी क्षेत्र में सिल्वर जुबली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अव्वल रहा. जिला क्वॉलिटी एश्योरेन्स कंसल्टेंट डाॅ. नाजिया शाहीन के मुताबिक सीएचसी बीकेटी ने राज्य में 9वां और सीएचसी इटौंजा ने 12वां स्थान हासिल किया है. सीएचसी बीकेटी को डेढ़ लाख और इटौंजा 1 लाख 25 हजार रुपये का पुरस्कार मिला है. सीएचसी मलिहाबाद, चिनहट, मोहनलालगंज, सरोजनीनगर और शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिल्वर जुबली को एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार मिला है.
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कर्मी करेंगे घेराव
पीजीआइ में कर्मी काला फीताबांधकर विरोध जता रहे हैं. वहीं पांच अगस्त को निदेशक का घेराव करेंगे. नर्सेज संघ की अध्यक्ष सीमा शुक्ला ने कर्मियों की लंबित मांगों का जल्द निस्तारण की मांग की है.