उत्तर प्रदेश: सुहागिनों ने पति की लंबी आयु की कामना कर निर्जला रहकर करवाचौथ का व्रत रखा. अखंड सुहाग के लिए महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न-जल के रहने के बाद देर शाम पति की लंबी आयु के लिए शिव, पार्वती और परिवार में सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी-गणेश की पूजा की. इस दौरान पतियों ने भी पत्नियों को आशीर्वाद दिया.
लखनऊ में चांद निकलते ही खिले सुहागिनों के चेहरे
लखनऊ में पतियों के अखंड सौभाग्य की कामना के साथ विवाहित महिलाओं ने करवाचौथ का व्रत रखा. करीब रात 8 बजे चांद निकलते ही सुहागिनों के चेहरे खिल उठे. उन्होंने चंद्रदेव को जल चढ़ाकर अपना व्रत पूर्ण किया. महिलाओं ने पति की आरती उताकर जल ग्रहण कर व्रत पूर्ण किया.
वाराणसी में चंद्रमा को अर्घ्य देकर महिलाओं ने खोला व्रत
वाराणसी में पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने करवाचौथ का व्रत रखा. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा. रात को चंद्रमा को अर्घ देकर सुहागिनों ने व्रत खोला. पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.
वीडियो कॉल से पतियों ने दिया सुहागिनों को आशीर्वाद
फर्रुखाबाद जिले में भी सुहागिन महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखकर पति की दीर्घायु होने की कामना की. करवा चौथ पर पिया मन भाने के लिए सोलह श्रृंगार किया. चांद का दीदार करने के लिए हर सुहागिन ब्रेसबी से इंतजार करती नजर आई. जिन महिलाओं के पति घर से बाहर दूसरे शहरों में थे, उन्होंने वीडियो कॉल के जरिए रस्म की अदायगी की.
पतियों ने पानी पिलाकर पूर्ण कराया व्रत
प्रयागराज की सुहागिनों ने पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत की कथा सुनी. रात में चांद निकलने के बाद मुहूर्त देखकर चलनी से पति का चेहरा देखा. चांद को जल अर्पित कर पूजा की और पति की लंबी आयु और सुखद जीवन के लिए कामना की. वहीं पतियों ने भी पत्नियों को पानी पिलाकर व्रत पूर्ण कराया. अमृत सिद्धि योग और शिव योग के चलते इस बार करवा चौथ के व्रत का अत्यधिक महत्व रहा. महिलाओं ने अमृत सिद्धि योग में पूजन-अर्चन कर पति की दीर्घायु होने की कामना की. ग्रहों और नक्षत्रों के खास संयोग की वजह से इस बार के करवा चौथ के व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया था. वहीं फिल्मों और टीवी सीरियल्स से प्रभावित होकर प्रयागराज में इस बार कुछ पुरुषों ने भी पत्नी का साथ देने के लिए व्रत रखा.
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागिनों ने रखा करवाचौथ का व्रत
बहराइच में कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागिनों ने करवाचौथ का व्रत रखा. इस दिन सुबह से ही घर में काफी चहल-पहल रही और विशेष प्रकार के व्यंजन बनाए गए. रात में चंद्रमा निकलने पर चंद्र दर्शन के बाद अर्घ दिया गया और पति का चेहरा चलनी से देखा गया. पति की दीर्घायु की कामना के उद्देश्य से महिलाओं ने व्रत रखा.
फीका रहा करवाचौथ के त्योहार का रंग
सहारनपुर में कोरोना महामारी के बीच महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखा. महिलाओं ने चांद को देखकर अपना व्रत खोला और पति के हाथ से पानी पीकर निर्जला व्रत तोड़ा. हालांकि पूर्व के साल की भांति इस वर्ष इस त्योहार का रंग फीका रहा.
मान्यता है इसलिए मनाया जाता है करवाचौथ
ऐसी मान्यता है कि एक बहन ने करवाचौथ का व्रत अपने मायके में रखा और भाइयों को बहन का भूखा-प्यासा रहना बर्दाश्त नहीं हुआ, जिसके कारण उस सुहागन का भाई पेड़ पर दीपक लेकर चढ़ गया और जल्दी से उसे लोगों को दिखा दिया. दूसरे भाई ने चंद्रमा निकलने का समाचार दे दिया. झूठा चंद्रमा देखकर बहन ने करवाचौथ का पूजन कर लिया और उसके तुरंत बाद उसके पति के मरने की सूचना आ गई. सुहागन देवी मां के सामने रोने लगी तो देवी प्रकट हुईं और उन्होंने उसे अगले करवाचौथ में व्रत रखकर पूजन करने को कहा. सुहागन ने देवी मां की बात का पालन किया, तो उसका पति पुनर्जीवित हो गया. उस परंपरा को देखते हुए हिंदू पौराणिक मान्यता को मानने वाली सुहागिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को ऐसा व्रत रखती हैं.
एक यह भी है कहानी
पौराणिक कथाओं में एक ओर जहां माता पार्वती अपने पति शिवजी को पाने के लिए तप और व्रत करती हैं और उसमें सफल हो जाती हैं, तो दूसरी ओर सावित्री अपने मृत पति को अपने तप के बल पर यमराज से भी छुड़ाकर ले आती हैं. यानी स्त्री में इतनी शक्ति होती है कि वह यदि चाहे, तो कुछ भी हासिल कर सकती है. इसीलिए महिलाएं करवाचौथ के व्रत के रूप में अपने पति की लंबी उम्र के लिए एक तरह से तप करती हैं.