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Kanpur Dehat Incident अफसरों की लापरवाही का नतीजा, लीपापोती की बात आ रही सामने

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Published : Feb 15, 2023, 6:27 PM IST

यूपी की बड़ी घटनाओं (Kanpur Dehat Incident) पर कार्रवाई न करने से अफसरों की लापरवाही से योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस पर सवाल उठते रहे हैं. कानपुर देहात की घटना में भी अफसरों द्वारा लीपापोती की बात सामने आ रही है.

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लखनऊ : कानपुर देहात में हुई मां बेटी की जलकर मौत के बाद अफसरों की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अपनी नीतियों और कार्यवाहियों को लेकर चर्चा में बने रहने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले में कोई ठोस कार्यवाही अब तक नहीं की है. घटना के तीसरे दिन एक निजी चैनल से बातचीत में उन्होंने यह जरूर कहा कि मामले की एसआईटी जांच हो रही है और रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सवाल खड़े होते हैं कि हमेशा अफसरों की लापरवाही के चलते जब भी कोई बड़ी घटना हुई तो शासन में बैठे बड़े अफसरों की वजह से मामले को दबाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाती है.


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस की नीति पर भी सवाल खड़े होते हैं कि कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने गई टीम वरिष्ठ अफसरों के नेतृत्व में झोपड़ी में कैसे आग लगा दी और मां बेटी की जलकर मौत हो गई. घटना की गूंज जब राजधानी लखनऊ तक पहुंची तो शासन में बैठे बड़े अफसर इस पूरे मामले को दबाने में ही जुट गए. जब मामला हाईप्रोफाइल का समझ में आया राजनीतिक दलों की तरफ से सरकार पर हमले होने लगे तब मुख्यमंत्री का बयान सामने आया. चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में हर स्तर पर कानपुर देहात के जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अफसरों की लापरवाही देखने को मिली है, लेकिन कानपुर देहात के जिलाधिकारी पुलिस कप्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई ना होने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.


मुख्यमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में अफसरों को बचाने का काम किया जा रहा है और कहने के लिए की जांच का इंतजार हो रहा है. जानकारों का कहना है कि ऐसी घटनाओं पर त्वरित और कठोर कार्रवाई ना होने को लेकर मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस और शीघ्र कार्रवाई की नीयत पर भी सवाल खड़े करती है. सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले में भले मुख्यमंत्री गंभीर हों, लेकिन शासन के बड़े अफसरों ने उन्हें कन्वेंस कर लिया है और इसमें कोई बड़ी कार्रवाई फिलहाल होती हुई नजर नहीं आ रही है. एसआईटी की जांच रिपोर्ट आएगी तो एसडीएम सहित अन्य निचले स्तर के अधिकारियों को बलि का बकरा बना दिया जाएगा, लेकिन जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान जैसे जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. इससे पहले भी तमाम बार घटनाएं हुई हैं, लेकिन अफसरों के खिलाफ कोई कठोर और संदेश देने वाली कार्रवाई नहीं की जा सकी है.


समाजवादी पार्टी के मुख्य सचेतक डॉ. मनोज पांडे ने इस पूरी घटना में कानपुर देहात के जिला प्रशासन के अफसरों की लापरवाही और असंवेदनशीलता का मुद्दा उठाया है. देखना होगा कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट का मुख्यमंत्री इंतजार करते रहेंगे या फिर कोई अन्य कार्रवाई होगी. नैतिकता तो यही कहती है कि जब इतनी बड़ी घटना हो जाए तो मुख्यमंत्री को आगे आकर इस पूरे मामले में अफसरों को कम से कम संबंधित जिले से हटाना तो चाहिए ही. जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन इस पूरे मामले को फिलहाल दबाया जा रहा है और शासन के बड़े अफसर लीपापोती में जुटे हुए हैं. डॉ मनोज पांडेय ने कहा कि अफसरों ने मनमानी तरीके से एक ब्राह्मण परिवार को बर्बाद कर दिया. परिवार पर आरोप है कि उसका ग्राम समाज की कुछ जमीन पर कब्जा है. पीड़ित परिवार ने डीएम को ज्ञापन दिया था. डीएम ने कहा था कि पीड़ित परिवार के व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट खुलवा दी जाएगी. अब यह अधिकार किसने दे दिया कि पूरा परिवार घर के अंदर था और अफसरों और कर्मचारियों ने जाकर आग लगाई.

यह भी पढ़ें : Gyanvapi Case: अखिलेश और ओवैसी के खिलाफ दाखिल किया गया मुकदमा कोर्ट ने किया खारिज

लखनऊ : कानपुर देहात में हुई मां बेटी की जलकर मौत के बाद अफसरों की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अपनी नीतियों और कार्यवाहियों को लेकर चर्चा में बने रहने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले में कोई ठोस कार्यवाही अब तक नहीं की है. घटना के तीसरे दिन एक निजी चैनल से बातचीत में उन्होंने यह जरूर कहा कि मामले की एसआईटी जांच हो रही है और रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सवाल खड़े होते हैं कि हमेशा अफसरों की लापरवाही के चलते जब भी कोई बड़ी घटना हुई तो शासन में बैठे बड़े अफसरों की वजह से मामले को दबाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाती है.


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस की नीति पर भी सवाल खड़े होते हैं कि कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने गई टीम वरिष्ठ अफसरों के नेतृत्व में झोपड़ी में कैसे आग लगा दी और मां बेटी की जलकर मौत हो गई. घटना की गूंज जब राजधानी लखनऊ तक पहुंची तो शासन में बैठे बड़े अफसर इस पूरे मामले को दबाने में ही जुट गए. जब मामला हाईप्रोफाइल का समझ में आया राजनीतिक दलों की तरफ से सरकार पर हमले होने लगे तब मुख्यमंत्री का बयान सामने आया. चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में हर स्तर पर कानपुर देहात के जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अफसरों की लापरवाही देखने को मिली है, लेकिन कानपुर देहात के जिलाधिकारी पुलिस कप्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई ना होने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.


मुख्यमंत्री कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण में अफसरों को बचाने का काम किया जा रहा है और कहने के लिए की जांच का इंतजार हो रहा है. जानकारों का कहना है कि ऐसी घटनाओं पर त्वरित और कठोर कार्रवाई ना होने को लेकर मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस और शीघ्र कार्रवाई की नीयत पर भी सवाल खड़े करती है. सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले में भले मुख्यमंत्री गंभीर हों, लेकिन शासन के बड़े अफसरों ने उन्हें कन्वेंस कर लिया है और इसमें कोई बड़ी कार्रवाई फिलहाल होती हुई नजर नहीं आ रही है. एसआईटी की जांच रिपोर्ट आएगी तो एसडीएम सहित अन्य निचले स्तर के अधिकारियों को बलि का बकरा बना दिया जाएगा, लेकिन जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान जैसे जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. इससे पहले भी तमाम बार घटनाएं हुई हैं, लेकिन अफसरों के खिलाफ कोई कठोर और संदेश देने वाली कार्रवाई नहीं की जा सकी है.


समाजवादी पार्टी के मुख्य सचेतक डॉ. मनोज पांडे ने इस पूरी घटना में कानपुर देहात के जिला प्रशासन के अफसरों की लापरवाही और असंवेदनशीलता का मुद्दा उठाया है. देखना होगा कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट का मुख्यमंत्री इंतजार करते रहेंगे या फिर कोई अन्य कार्रवाई होगी. नैतिकता तो यही कहती है कि जब इतनी बड़ी घटना हो जाए तो मुख्यमंत्री को आगे आकर इस पूरे मामले में अफसरों को कम से कम संबंधित जिले से हटाना तो चाहिए ही. जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन इस पूरे मामले को फिलहाल दबाया जा रहा है और शासन के बड़े अफसर लीपापोती में जुटे हुए हैं. डॉ मनोज पांडेय ने कहा कि अफसरों ने मनमानी तरीके से एक ब्राह्मण परिवार को बर्बाद कर दिया. परिवार पर आरोप है कि उसका ग्राम समाज की कुछ जमीन पर कब्जा है. पीड़ित परिवार ने डीएम को ज्ञापन दिया था. डीएम ने कहा था कि पीड़ित परिवार के व्यक्ति की हिस्ट्रीशीट खुलवा दी जाएगी. अब यह अधिकार किसने दे दिया कि पूरा परिवार घर के अंदर था और अफसरों और कर्मचारियों ने जाकर आग लगाई.

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