ETV Bharat / state

लखनऊ: देश की आजादी के लिए हुआ था यह अहम कांड 'काकोरी'

देश की आजादी के लिए हुआ अहम कांड 'काकोरी' को कौन भूल पाया है. 72वीं वर्षगांठ को मनाते हुए लोगों ने आज फिर उस क्रांतिकारी आंदोलन को याद किया.

काकोरी कांड.
author img

By

Published : Aug 16, 2019, 12:01 AM IST

लखनऊ: लोग देश में आज स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. देश की आजादी के लिए यूं तो बहुत सी अहम लड़ाइयां लड़ी गई हैं, जिसमें से एक 'काकोरी' कांड भी है. इस कांड के बाद अंग्रेजों को यह एहसास तो हो गया था कि अब उनके शासनकाल का अंत होने वाला है.

देंखे वीडियो.
  • यूं तो भारत देश की आजादी के लिए बहुत से संगठनों द्वारा आंदोलन चलाए जा रहे थे.
  • उनमें से एक संगठन था, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की कमर तोड़ दी.
  • उस संगठन का नाम 'एच आर ए' यानी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन था.
  • भारत के क्रांतिकारियों ने इस संगठन को बनाया था, जिसे चलाने के लिए बहुत से धन की आवश्यकता भी होती थी.
  • अंग्रेजी हुकूमत की नजरें गिद्ध की तरह इस संगठन पर बनी हुई थीं.

धन के अभाव की वजह से देश की आजादी के क्रांतिकारी आंदोलन को गति नहीं मिल पा रही थी, जिसे गति प्रदान करने के लिए क्रांतिकारियों ने एक योजना बनाई कि वे अब सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत का खजाना ही लूटेंगे और उसका इस्तेमाल उन्हीं के खिलाफ करेंगे. 8 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की अध्यक्षता में एक मीटिंग के दौरान सरकारी खजाना लूटने की योजना बनाई गई.
चकमा देकर भाग निकले थे चंद्रशेखर आजाद
9 अगस्त 1925 को सहारनपुर से आने वाली सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर को काकोरी रेलवे स्टेशन से महज कुछ दूरी पर चेन खींचकर रोका गया, जिसके बाद क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी खजाने को लूटा. लूट के सामान को लेकर जाते वक्त एक चादर गलती से वहीं पर छूट गया, जिसको अंग्रेज एक साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल कर सभी क्रांतिकारियों तक पहुंचे, लेकिन बहरूपिया कहे जाने वाले चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों को चकमा देने में एक बार फिर से कामयाब हुए.

लखनऊ: लोग देश में आज स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. देश की आजादी के लिए यूं तो बहुत सी अहम लड़ाइयां लड़ी गई हैं, जिसमें से एक 'काकोरी' कांड भी है. इस कांड के बाद अंग्रेजों को यह एहसास तो हो गया था कि अब उनके शासनकाल का अंत होने वाला है.

देंखे वीडियो.
  • यूं तो भारत देश की आजादी के लिए बहुत से संगठनों द्वारा आंदोलन चलाए जा रहे थे.
  • उनमें से एक संगठन था, जिसने अंग्रेजी हुकूमत की कमर तोड़ दी.
  • उस संगठन का नाम 'एच आर ए' यानी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन था.
  • भारत के क्रांतिकारियों ने इस संगठन को बनाया था, जिसे चलाने के लिए बहुत से धन की आवश्यकता भी होती थी.
  • अंग्रेजी हुकूमत की नजरें गिद्ध की तरह इस संगठन पर बनी हुई थीं.

धन के अभाव की वजह से देश की आजादी के क्रांतिकारी आंदोलन को गति नहीं मिल पा रही थी, जिसे गति प्रदान करने के लिए क्रांतिकारियों ने एक योजना बनाई कि वे अब सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत का खजाना ही लूटेंगे और उसका इस्तेमाल उन्हीं के खिलाफ करेंगे. 8 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की अध्यक्षता में एक मीटिंग के दौरान सरकारी खजाना लूटने की योजना बनाई गई.
चकमा देकर भाग निकले थे चंद्रशेखर आजाद
9 अगस्त 1925 को सहारनपुर से आने वाली सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर को काकोरी रेलवे स्टेशन से महज कुछ दूरी पर चेन खींचकर रोका गया, जिसके बाद क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी खजाने को लूटा. लूट के सामान को लेकर जाते वक्त एक चादर गलती से वहीं पर छूट गया, जिसको अंग्रेज एक साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल कर सभी क्रांतिकारियों तक पहुंचे, लेकिन बहरूपिया कहे जाने वाले चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों को चकमा देने में एक बार फिर से कामयाब हुए.

Intro:पूरा देश आज स्वतंत्रता की 73 वी वर्षगांठ मना रहा है। मनु स्मृति में मनु ने स्वयं कहा है "सर्व आत्मवसं सुखम् सर्व पर्वशम दुखम" अर्थात स्वयं के अधीन रहना ही सबसे बड़ा सुख है और दूसरों के अधीन रहना ही सबसे बड़ा दुख है। अर्थात स्वाधीनता ही स्वतंत्रता है। देश की आजादी के लिए यूं तो बहुत सी अहम लड़ाइयां लड़ी गई जिसमें से एक "काकोरी" कांड भी है। इस कांड के बाद अंग्रेजों को यह एहसास तो हो गया था कि अब उनके शासनकाल के काल का अंत होने वाला है।


Body:यूं तो भारत देश की आजादी के लिए बहुत से संगठनों के द्वारा आंदोलन चलाए जा रहे थे। जिनमें से एक ऐसा भी संगठन था जिसने अंग्रेजी हुकूमत की कमर तोड़ दी जिसका नाम "एच आर ए" यानी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन था।

भारत के क्रांतिकारियों द्वारा इस संगठन को बनाया गया जिसे चलाने के लिए बहुत से धन की आवश्यकता भी होती थी। लेकिन अंग्रेजी हुकूमत की नजरें गिद्ध की तरह इस संगठन पर बनी हुई थी।

धन के अभाव की वजह से देश की आजादी के क्रांतिकारी आंदोलन को गति नहीं मिल पा रही थी। जिसे गति प्रदान करने के लिए क्रांतिकारियों ने एक योजना बनाई कि वे अब सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत का खजाना ही लूटेंगे और उसका इस्तेमाल उन्हीं के खिलाफ करेंगे। जिसके लिए 8 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की अध्यक्षता में एक मीटिंग बुलाई गई जहां पर सरकारी खजाना लूटने की योजना बनी।

9 अगस्त 1925 को सहारनपुर से आने वाली 8 डाउन सहारनपुर- लखनऊ पैसेंजर को काकोरी रेलवे स्टेशन से महज कुछ दूरी पर चेन खींचकर रोका गया। जिसके बाद क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी खजाने को लूटा। लूट की इस घटना को अंजाम देते वक्त एक मुसाफिर की गलती से गोली लग जाने से जान भी चली गई जिसका अफसोस भी क्रांतिकारियों को हुआ। लूट के सामान को लेकर जाते वक्त एक चादर गलती से वहीं पर छूट गया जिसको अंग्रेज एक साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल कर सभी क्रांतिकारियों तक पहुंचे। लेकिन बहरूपिया कहे जाने वाले चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों को चकमा देने में एक बार फिर से कामयाब हुए।

पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खान, और राजेंद्र नाथ लाहड़ी को अंग्रेजों ने फांसी की सजा सुनाई। और साल 1927 में सभी क्रांतिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत में सूली पर चढ़ा दिया।

बाइट- विजय कुमार चौरसिया (इतिहासकार)
पीटीसी योगेश मिश्रा


Conclusion:क्रांतिकारियों की याद में काकोरी में शहीद स्मारक स्थल भी बनवाया गया है जहां पर काकोरी शहीद मंदिर भी है जिसमें सभी क्रांतिकारियों की मूर्तियां भी लगी है। साथ ही वहां पर एक ओपन थिएटर भी बना है जिसमें हर साल 9 अगस्त और 19 दिसंबर को क्रांतिकारियों की याद में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन होते हैं।

योगेश मिश्रा लखनऊ
7054179998
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.