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लखनऊ: यूपी में मॉब लिंचिंग पर बनेगा कानून, जस्टिस मित्तल ने CM को सौंपी 129 पेज की रिपोर्ट

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Published : Jul 12, 2019, 4:34 PM IST

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन मित्तल ने मॉब लिंचिंग पर सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. अब सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि इस प्रस्ताव को कानून के लिए विधानसभा में बिल के रूप में पेश करें या फिर संशोधन करके नए रूप में कानून बनाए. हालांकि यह माना जा रहा है कि सरकार मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर बेहद गंभीर है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन मित्तल.

लखनऊ: माब लिंचिंग के दोषियों पर कार्रवाई को लेकर उठ रहे सवालों के बीच योगी सरकार ने सख्त कानून बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य विधि आयोग ने मॉब लिंचिंग के दोषियों को मृत्युदंड देने का ड्राफ्ट तैयार करके सरकार को भेज दिया है. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.एन मित्तल ने 129 पेज के ड्राफ्ट में 24 से अधिक अधिक नई धाराओं का प्रस्ताव किया है. सरकार अगर इस प्रस्ताव से सहमत होती है तो इसे 18 जुलाई से प्रस्तावित विधानसभा सत्र के दौरान पटल पर रखा जा सकता है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन मित्तल.

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन मित्तल ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. अब सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि इस प्रस्ताव को कानून के लिए विधानसभा में बिल के रूप में पेश करें या फिर संशोधन करके नए रूप में कानून बनाए. हालांकि यह माना जा रहा है कि सरकार मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर बेहद गंभीर है. सीएम योगी भी ऐसी घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं.

प्रदेश में भी उठ रहा मॉब लिंचिंग का मुद्दा
जस्टिस मित्तल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पश्चिम बंगाल, केरल, जम्मू एवं कश्मीर और झारखंड राज्यों में हाल ही में घटित भीड़तंत्र की हिंसा का तांडव प्रदेश में भी अपने पैर पसारने लगा है. यदि हाल की घटनाओं पर प्रकाश डालें तो 28 सितंबर 2015 में दादरी गौतमबुद्ध नगर में अखलाक पर हुई घटना के बाद तीन दिसंबर 2018 को बुलंदशहर में गोवंश के बड़ी मात्रा में अवशेष मिलने पर बवाल हुआ था. इसमें ग्रामीण और हिंदू संगठन के कार्यकर्ता पुलिस से टकरा गए थे. बवाल में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह दिवंगत हो गए थे. इसी घटना में जान बचाने को कमरे में छिपे सीओ सत्य प्रकाश शर्मा और पुलिसकर्मियों को जिंदा जलाने का प्रयास किया गया. इसी प्रकार से कई घटनाओं का जिक्र करते हुए सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई है.

2012-19 तक प्रदेश में घटी 50 मॉब लिंचिंग की घटनाएं
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जस्टिस मित्तल ने बताया कि 2012 से 2019 तक उत्तर प्रदेश में 50 मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुईं, जिसमें 17 लोग मारे गए. ऐसी घटनाओं में भीड़ तंत्र द्वारा कानून को अपने हाथ में लेकर शक के आधार पर संदिग्ध अभियुक्त और उनके परिवारी जनों को हिंसा का शिकार बनाया जाता है. इस प्रकार की घटनाएं केवल गोवंश की कथित रक्षा को लेकर ही नहीं हो रही हैं. संभावित चोरी, प्रेम-प्रसंग, बच्चों की चोरी, दुष्कर्म और कुछ अंधविश्वास जैसे भूत-प्रेत और तंत्र-मंत्र पर आधारित घटित घटनाओं से संबंधित हैं. ऐसी घटनाओं को भी मॉब लिंचिंग के कानून के दायरे में रखा जाएगा.

सीएम योगी करेंगे रिपोर्ट का अध्यन
जस्टिस मित्तल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे कड़े कानून की जरूरत है. इस वजह से आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए और रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. सीएम योगी ने आयोग को आश्वासन दिया है कि इसका अध्ययन करने के उपरांत इस पर निर्णय लिया जाएगा. सीएम योगी को सौंपी गई रिपोर्ट में जस्टिस मित्तल ने प्रदेश की लगभग सभी घटनाओं का विस्तार से जिक्र किया है. मॉब लिंचिंग के प्रकार पर भी आयोग ने वृहद स्तर पर अध्ययन करके यह रिपोर्ट तैयार की है. माना जा रहा है कि सरकार की भी मंशा है कि ऐसा कड़ा कानून बने, जिससे ऐसी घटनाएं नहीं घटें और घट भी गईं तो घटनाओं को अंजाम देने वाले को कठोर दंड मिले. आयोग के प्रस्ताव से अगर सरकार सहमत होती है तो 18 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के दौरान पटल पर इसे रखा जा सकता है.

लखनऊ: माब लिंचिंग के दोषियों पर कार्रवाई को लेकर उठ रहे सवालों के बीच योगी सरकार ने सख्त कानून बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य विधि आयोग ने मॉब लिंचिंग के दोषियों को मृत्युदंड देने का ड्राफ्ट तैयार करके सरकार को भेज दिया है. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.एन मित्तल ने 129 पेज के ड्राफ्ट में 24 से अधिक अधिक नई धाराओं का प्रस्ताव किया है. सरकार अगर इस प्रस्ताव से सहमत होती है तो इसे 18 जुलाई से प्रस्तावित विधानसभा सत्र के दौरान पटल पर रखा जा सकता है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन मित्तल.

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन मित्तल ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. अब सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि इस प्रस्ताव को कानून के लिए विधानसभा में बिल के रूप में पेश करें या फिर संशोधन करके नए रूप में कानून बनाए. हालांकि यह माना जा रहा है कि सरकार मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर बेहद गंभीर है. सीएम योगी भी ऐसी घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं.

प्रदेश में भी उठ रहा मॉब लिंचिंग का मुद्दा
जस्टिस मित्तल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पश्चिम बंगाल, केरल, जम्मू एवं कश्मीर और झारखंड राज्यों में हाल ही में घटित भीड़तंत्र की हिंसा का तांडव प्रदेश में भी अपने पैर पसारने लगा है. यदि हाल की घटनाओं पर प्रकाश डालें तो 28 सितंबर 2015 में दादरी गौतमबुद्ध नगर में अखलाक पर हुई घटना के बाद तीन दिसंबर 2018 को बुलंदशहर में गोवंश के बड़ी मात्रा में अवशेष मिलने पर बवाल हुआ था. इसमें ग्रामीण और हिंदू संगठन के कार्यकर्ता पुलिस से टकरा गए थे. बवाल में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह दिवंगत हो गए थे. इसी घटना में जान बचाने को कमरे में छिपे सीओ सत्य प्रकाश शर्मा और पुलिसकर्मियों को जिंदा जलाने का प्रयास किया गया. इसी प्रकार से कई घटनाओं का जिक्र करते हुए सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई है.

2012-19 तक प्रदेश में घटी 50 मॉब लिंचिंग की घटनाएं
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जस्टिस मित्तल ने बताया कि 2012 से 2019 तक उत्तर प्रदेश में 50 मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुईं, जिसमें 17 लोग मारे गए. ऐसी घटनाओं में भीड़ तंत्र द्वारा कानून को अपने हाथ में लेकर शक के आधार पर संदिग्ध अभियुक्त और उनके परिवारी जनों को हिंसा का शिकार बनाया जाता है. इस प्रकार की घटनाएं केवल गोवंश की कथित रक्षा को लेकर ही नहीं हो रही हैं. संभावित चोरी, प्रेम-प्रसंग, बच्चों की चोरी, दुष्कर्म और कुछ अंधविश्वास जैसे भूत-प्रेत और तंत्र-मंत्र पर आधारित घटित घटनाओं से संबंधित हैं. ऐसी घटनाओं को भी मॉब लिंचिंग के कानून के दायरे में रखा जाएगा.

सीएम योगी करेंगे रिपोर्ट का अध्यन
जस्टिस मित्तल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे कड़े कानून की जरूरत है. इस वजह से आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए और रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. सीएम योगी ने आयोग को आश्वासन दिया है कि इसका अध्ययन करने के उपरांत इस पर निर्णय लिया जाएगा. सीएम योगी को सौंपी गई रिपोर्ट में जस्टिस मित्तल ने प्रदेश की लगभग सभी घटनाओं का विस्तार से जिक्र किया है. मॉब लिंचिंग के प्रकार पर भी आयोग ने वृहद स्तर पर अध्ययन करके यह रिपोर्ट तैयार की है. माना जा रहा है कि सरकार की भी मंशा है कि ऐसा कड़ा कानून बने, जिससे ऐसी घटनाएं नहीं घटें और घट भी गईं तो घटनाओं को अंजाम देने वाले को कठोर दंड मिले. आयोग के प्रस्ताव से अगर सरकार सहमत होती है तो 18 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के दौरान पटल पर इसे रखा जा सकता है.

Intro:नोट-इस स्क्रिप्ट का वीडियो एफटीपी से भेजा जा चुका है।

लखनऊ। माब लिंचिंग के दोषियों पर कार्यवाही को लेकर उठ रहे सवालों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त कानून बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग ने मॉब लिंचिंग के दोषियों को मृत्युदंड देने का ड्राफ्ट तैयार करके सरकार को भेज दिया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए एन मित्तल ने 129 पेज के ड्राफ्ट में दो दर्जन से अधिक नई धाराओं का प्रस्ताव किया है। सरकार अगर इस प्रस्ताव से सहमत होती है तो इसे 18 जुलाई से प्रस्तावित विधानसभा सत्र के दौरान पटल पर रखा जा सकता है।


Body:राज्य विधि आयोग ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। सरकार के ऊपर निर्भर करता है कि इसी प्रस्ताव को कानून के लिए विधानसभा में बिल के रूप में पेश करे या फिर संशोधन करके नये रूप में कानून बनाये। हालांकि यह माना जा रहा है कि सरकार मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर बेहद गंभीर है। सीएम योगी भी ऐसी घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।

जस्टिस मित्तल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पश्चिम बंगाल, केरल, जम्मू एवं कश्मीर तथा झारखंड राज्यों में हाल ही में घटित भीड़तंत्र की हिंसा का तांडव उत्तर प्रदेश में भी अपने पैर पसारने लगा है। यदि हाल की घटनाओं पर प्रकाश डालें तो 28 सितंबर 2015 में दादरी गौतम बुध नगर में अखलाक पर हुई घटना के बाद तीन दिसंबर 2018 को बुलंदशहर में गोवंश के बड़ी मात्रा में अवशेष मिलने बवाल हुआ।

इसके बाद ग्रामीणों और हिंदू संगठन के कार्यकर्ता पुलिस से टकरा गए। इसके फलस्वरूप पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह दिवंगत हो गये। राज्य सरकार ने 50 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की। इसी घटना में जान बचाने को कमरे में छिपे सीओ सत्य प्रकाश शर्मा व पुलिसकर्मियों को जिंदा जलाने का प्रयास किया गया। इसी प्रकार से कई घटनाओं का जिक्र करते हुए सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई है।

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जस्टिस मित्तल ने बताया कि 2012 से 2019 तक उत्तर प्रदेश में 50 मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई जिसमे 17 लोग मारे गए। ऐसी घटनाओं में भीड़ तंत्र द्वारा कानून को अपने हाथ में लेकर शक के आधार पर संदिग्ध अभियुक्त तथा उनके परिवारी जनों को हिंसा का शिकार बनाया जाता है। इस प्रकार की घटनाएं केवल गोवंश की कथित रक्षा को लेकर ही नहीं हो रही हैं। संभावित चोरी, प्रेम प्रसंग, बच्चों की चोरी, बलात्कार तथा कुछ अंधविश्वासों जैसे भूत, प्रेत, चुड़ैल, तंत्र व मंत्र पर आधारित घटित घटनाओं से संबंधित हैं। ऐसी घटनाओं को भी मॉब लिंचिंग के कानून के दायरे में रखा जाएगा।

जस्टिस मित्तल ने कहा की उत्तर प्रदेश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे कड़े कानून की जरूरत है। इस वजह से आयोग ने स्वत संज्ञान लेते हुए ऐसी रिपोर्ट तैयार की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को या रिपोर्ट सौंप दी गई है सीएम योगी ने आयोग को आश्वासन दिया है कि इसका अध्ययन करने के उपरांत इस पर निर्णय लिया जाएगा।


Conclusion:सीएम योगी को सौंपी गई रिपोर्ट में जस्टिस मित्तल ने उत्तर प्रदेश की लगभग सभी घटनाओं का विस्तार से जिक्र किया है। मॉब लिंचिंग के प्रकार पर भी आयोग ने वृहद स्तर पर अध्ययन करके यह रिपोर्ट तैयार की है। माना जा रहा है कि सरकार की भी मंशा है कि ऐसा कड़ा कानून बने जिससे ऐसी घटनाएं नहीं घटें और घट भी गयीं तो घटनाओं को अंजाम देने वाले को कठोर दंड मिले। आयोग के प्रस्ताव से अगर सरकार सहमत होती है तो 18 जुलाई से शुरू हो रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान पटल पर इसे रखा जा सकता है।
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