लखनऊ : केजीएमयू में परीक्षा प्रणाली सवालों के घेरे में है. यहां के एमबीबीएस छात्रों ने परीक्षा की सुचिता तार-तार कर दी है. यूनिवर्सिटी के जूनियर छात्र-सीनियर की परीक्षा देते पकड़े गए. सनसनीखेज मामला पकड़ में आने पर कुल 42 छात्र निलंबित किए गए. उनके क्लास और हॉस्टल में प्रवेश पर बैन लगा दिया गया है.
केजीएमयू में स्टूडेंट का कारनामा सामने आया है. विश्वविद्यालय में मेडिसिन एसेसमेंट टेस्ट के दौरान 21 स्टूडेंट को अपने सीनियर की परीक्षा देते हुए पकड़े गए. इस मामले के बाद केजीएमयू प्रशासन भी सकते में आ गया. डीन एकेडमिक्स प्रो. उमा सिंह ने परीक्षा देने वाले वाले 21 स्टूडेंट के साथ ही उन 21 को भी निलंबित कर दिया है जिनके स्थान पर वह परीक्षा दे रहे थे. आठ सप्ताह तक ये क्लास और हॉस्टल दोनों से निलंबित रहेंगे. इसके साथ ही अन्य कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा.
सात मई को हुई थी परीक्षा : डीन एकेडमिक्स की ओर से जारी पत्र के अनुसार मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष की सूचना के बाद यह कार्रवाई की गई. मेडिसिन विभाग में सात मई को एमबीबीएस बैच 2019 फेज-3 के मेडिसिन एसेसमेंट टेस्ट का आयोजन सात मई को था. इस टेस्ट में परीक्षा तो 2019 बैच के स्टूडेंट को देनी थी, पर मौके पर 21 स्टूडेंट 2020 बैच के मिले.
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इसकी जानकारी होने पर अनुशासनात्मक समिति ने कुलपति और डीन समेत अन्य अधिकारियों को इसकी सूचना दी. मामले की जानकारी होने पर सभी के होश उड़ गये. एक-दो नहीं बल्कि 21 स्टूडेंट एक साथ बैठकर अपने सीनियर की परीक्षा दे रहे थे. निलंबन के बाद अब मामले में कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है. असल में मामले का खुलासा उस समय जब हुआ परीक्षा के दौरान ड्यूटी करने वाले एक शिक्षक ने कुछ स्टूडेंट को पहचान लिया.
फार्मेसी काउंसिल में दलाली पर जांच के आदेश : यूपी फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण के नाम पर खेल हो रहा है. यहां 1300 रुपये पंजीकरण शुल्क है. वहीं, वसूली 13 हजार तक की जाती है. इसके लिए दलालों का जाल बिछा है जो कर्मचारियों से सांठगांठ कर छात्रों का पंजीकरण कराते हैं. ऐसे में बी, डी और एम फार्मा के छात्र ठगी का शिकार हो रहे हैं. सुविधा शुल्क के नाम पर उनसे मनमानी वसूली की जा रही है. मामला मीडिया में आने के बाद डिप्टी सीएम ने जांच के निर्देश दिए हैं. एक सप्ताह में डीजी हेल्थ ने रिपोर्ट तलब की है. इसको लेकर डीजी हेल्थ ने 3 सदस्य टीम का गठन किया है.
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