लखनऊः अपर सत्र न्यायाधीश योगेंद्र राम गुप्ता ने फर्जी तरीके से इंटरनेट बैकिंग के जरिए लाखों रुपये की रकम निकालने के एक मामले में निरुद्ध अभियुक्त मनोज मंडल की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को बेहद गम्भीर करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि साइबर फ्रॉड कर के आम लोगों की गाढ़ी कमाई को हड़प लेने का अपराध संगठित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है, इस से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है.
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इस मामले की एफआईआर एक जुलाई 2020 को सचिवालय के सेवानिवृत सहायक समीक्षा अधिकारी प्रभाकर प्रसाद ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. अभियुक्त ने बड़े ही शातिराना तरीके से पहले तो पीड़ित का लोन कराया और लोन की रकम को उसके बचत खाते में जमा होने दिया, फिर बैंक खाते में उक्त जमा लोन की रकम को इंटरनेट बैकिंग के जरिए निकाल लिया गया. सरकारी वकील एमके सिंह के मुताबिक अभियुक्त झारखंड के देवधर का निवासी है. आरोप है कि अभियुक्त का एक संगठित गिरोह भी है. गिरोह के लोग बैक अधिकारी बनकर फर्जी नाम पते से लिए गए सिम का इस्तेमाल करते हैं. खाताधारकों को झांसा देकर उनके खाते की गोपनीय जानकारी हासिल कर लेते हैं फिर फर्जी दस्तावेज तैयार करने का खेल शुरू होता है. फर्जी दस्तावेज के सहारे लोन करा के और फिर नेट बैकिंग के जरिए फर्जी नाम पते से जारी खाते में रकम स्थानांतरित कर निकाल लेते हैं.