लखनऊ: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए झारखंड विधानसभा द्वारा पारित कानून का स्वागत किया है. उन्होंने देश के अन्य राज्यों से भी आग्रह किया कि वह भी प्रभावी कानून के माध्यम से इस तरह के जघन्य कृत्यों पर अंकुश लगाएं.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष महमूद मदनी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि वह आशा व्यक्त करते है कि इस कानून के जरिए सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बीच विश्वास पैदा होगा. इसके साथ ही आपसी सद्भाव और शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद शुरू से ही इस तरह के कानून बनाने की मांग करता रहा है.
मौलाना मदनी ने कहा कि झारखंड में हाल ही में मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं हुई हैं. इसी तरह देश के दूसरे हिस्से भी इससे प्रभावित रहे हैं. अधिकतर ऐसी घटनाएं, मुसलमानों और दलितों के विरुद्ध होती हैं और फिर आक्रोशित और उपद्रवी भीड़ द्वारा वीडियो बनाकर इसका प्रसार भी किया जाता है, ताकि डर का माहौल पैदा किया जाए.
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मॉब लिंचिंग से प्रभावित समुदाय के लोगों को लगता है कि उन्हें किसी भी समय और कहीं भी हिंसा का निशाना बनाया जा सकता है. मौलाना मदनी ने कहा कि कुछ विशेष समुदायों को निशाना बनाना देश के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने का कारण बनता जा रहा है.
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मॉब लिंचिंग के मामले को केवल भीड़ के संदर्भ में नहीं, बल्कि पीड़ित के नजरिए से भी देखना चाहिए कि उसको और उसके समुदाय को कितना अपमानित और असहाय होने का अहसास कराया जाता है. उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस्लामोफोबिया, घृणा और हिंसक भीड़ के हमले के खिलाफ देश के संविधान के दायरे में संघर्ष कर रही है और इसे देश की सुरक्षा और विकास के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण मानती है.
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