लखनऊः उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह (Jal Shakti Minister Dr. Mahendra Singh) ने कहा है कि जिन क्षेत्रों व जनपदों में भूजल की गुणवत्ता (ground water quality) खराब है और जमीन के नीचे पानी की उपलब्धता अत्यन्त कम है, ऐसे जिलों, क्षेत्रों में पेयजल योजनाओं (drinking water schemes) के लिए कारगर रणनीति अपनाई जाए. इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कार्ययोजना तैयार कराई जाए.
जलशक्ति मंत्री गुरुवार को विधान भवन पेयजल आपूर्ति के लिए कार्ययोजना तैयार करने के लिए उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भूजल कम वाले क्षेत्रों में पानी की कमी के कारण और अन्य कारकों का विस्तार से अध्ययन कराया जाए. इसके साथ ही जमीन के नीचे उपलब्ध पेयजल की गुणवत्ता की जांच व डीपीआर (DPR) तैयार कराकर क्रियान्वयन के लिए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि गुणवत्तायुक्त जलापूर्ति के लिए संकटग्रस्त क्षेत्रों का विस्तार से अध्ययन कराकर नजदीक स्थित जल स्रोतों से पेयजल उपलब्ध कराने के विकल्पों पर भी विचार किया जाए. यमुना नदी (Yamuna River) के किनारे स्थित आगरा में नदियों का जल प्रदूषित है. भूजल के शोधन के लिए आरओ प्लांट (RO Plant) लगाया जाना एक विकल्प हो सकता है. इसके अलावा नरौरा, हाथरस, मथुरा और फिरोजाबाद के कुछ क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नजदीक की नदियों एवं जल स्रोतों से पानी लिया जा सकता है.
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अपर मुख्य सचिव, सिंचाई एवं जल संसाधन (Irrigation & Water Resources) टी वेंकटेश ने कहा कि मंत्री के निर्देशों का अनुपालन सिंचाई विभाग (Irrigation Department) सुनिश्चित कराएगा. इसके साथ ही भूजल की कमी वाले जनपदों में सिंचाई विभाग आवश्यकतानुसार नदियों और नहरों से जलापूर्ति कराने में सहयोग करेगा. बैठक में प्रमुख सचिव नमामि गंगे (Namami Gange) एवं ग्रामीण जलापूर्ति अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि जहां भूजल अशुद्धियों के कारण पेयजल उपयोग लायक नहीं है. वहां, जलापूर्ति किए जाने के लिए कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.