लखनऊ : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की शनिवार को 125वीं जयंती मनाई जाएगी. राजधानी लखनऊ में भी उनकी जयंती के लिए इस बार कुछ विशेष तैयारियां हो रही हैं, क्योंकि लखनऊ से उनका खास जुड़ाव रहा है. आजादी की लड़ाई को गति देने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो बार लखनऊ आए थे. पहली बार 1938 में जब नेताजी हीवेट रोड स्थित बंगाली क्लब में आए थे तो वे भारतीय नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष थे. वहीं दूसरी बार नेताजी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर अमीनाबाद स्थित गंगा प्रसाद हॉल में आए थे, जहां उन्होंने एक जोशीला भाषण दिया था.
अंग्रेज अधिकारी नेताजी की गिरफ्तारी के लिए तैयारी करके बैठे थे, लेकिन उनके समर्थन में आई भीड़ के चलते अंग्रेजों को अपने कदम पीछे खींचने पड़े. आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यादें लखनऊ के बंगाली क्लब में सहेज कर रखी गई हैं. 20 नवंबर 1938 को यहां सभा के दौरान उनकी खींची हुई फोटो आज भी सुरक्षित रखी हुई है.
![special report on birth anniversary of netaji subhash chandra bose](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-luc-01-subhas-chand-bosh-special-pkg-7204009_22012021171710_2201f_02322_708.jpg)
लखनऊ से नेताजी का रहा है गहरा जुड़ाव
राजधानी लखनऊ से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का गहरा जुड़ाव रहा है. देश को आजाद कराने के लिए वे दो बार लखनऊ आए थे, जिसके निशान आज भी मौजूद हैं. 20 नवंबर 1938 को नेताजी हीवेट रोड स्थित बंगाली क्लब में पहुंचे थे. उनको बंगाली क्लब के युवक समिति ने अभिनंदन पत्र देने के लिए आमंत्रित किया था. जैसे ही उनके लखनऊ पहुंचने की जानकारी हुई तो पूरे शहर में उनके भव्य स्वागत की तैयारियां हुई. वो उस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर थे. बंगाली क्लब के मंच से उन्होंने युवाओं को संबोधित भी किया, जिससे युवाओं में जोश भर गया. उस दौरान खींची हुई एक फोटो और उनको दिया गया अभिनंदन पत्र आज भी बंगाली क्लब में सहेजकर रखा गया है. इन यादों के जरिए ही नेताजी को इस बार भी विशेष रुप से याद किया जाएगा. वहीं दूसरी बार 1939 में नेताजी अमीनाबाद के गंगा प्रसाद वर्मा हॉल में भी पधारे थे. वहीं से उन्होंने एक बड़ी सभा को भी संबोधित किया था.
![special report on birth anniversary of netaji subhash chandra bose](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10340590_418_10340590_1611335894026.png)
नेताजी ने अमीनाबाद में की थी बड़ी जनसभा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने त्रिपुरी में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया. फिर वे अपने तरीके से देश को आजाद कराने में जुट गए. इसी दौरान अली सरदार जाफरी ने उनको लखनऊ आने का निमंत्रण दिया. 12 अक्टूबर 1939 को लखनऊ के ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के कार्यक्रम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस गंगा प्रसाद मेमोरियल हॉल में पहुंचे. जहां उन्होंने जोरदार भाषण दिया. उनके जोशीले उद्बोधन को सुनकर युवाओं में जोश भर गया. इस दौरान उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा था कि 'आजादी मांगी नहीं जाती है और हम उसे हासिल करके रहेंगे' इस उद्बोधन को आज भी याद किया जाता है. उनके इस उद्बोधन की गूंज से अंग्रेज अधिकारी भी हिल गए. फिर उन्होंने नेताजी को गिरफ्तार करने की योजना बनाई, लेकिन लोगों की अपार भीड़ के चलते नेताजी को गिरफ्तार न कर सके।
'आज भी सहेज कर रखी हैं यादें'
बंगाली क्लब की महिला उपाध्यक्ष ईनाक्षी सिन्हा बताती है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनके इस क्लब में 20 नवंबर 1938 को आए थे. वहीं उनके परिवार से भी नेताजी का गहरा जुड़ाव था. नेताजी से जुड़ी हुई यादें आज भी हम लोगों ने सहेज कर रखी हुई है. जब नेताजी लखनऊ के बंगाली क्लब में आए थे तो उस दौरान उनको दिया गया मानपत्र आज भी हमारे पास है. यह बंगाली भाषा में लिखा हुआ है. वहीं नेताजी अमीनाबाद के गंगा प्रसाद हॉल में भी आ चुके हैं.