लखनऊ : वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा केंद्र सरकार के लिए नया सिरदर्द बन चुका है. कर्मचारी संगठनों की तरफ से बड़े स्तर पर रणनीति बनाने का काम शुरू हो रहा है. इसी क्रम में दिल्ली में भी बड़ी रणनीति कर्मचारी संगठनों की तरफ से बनाई जाएगी. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने 21 जनवरी को दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है. कर्मचारी संगठनों की तरफ से पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन और आंदोलन की रूपरेखा बनाई जा रही है.
दरअसल वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कर्मचारी संगठन उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद होने के मूड में नजर आने लगे हैं. केंद्र और राज्य कर्मचारियों की तरफ से पुरानी पेंशन बहाली की मांग तेजी से किए जाने का सिलसिला शुरू हो रहा है. केंद्र और राज्य कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर लोकसभा चुनाव से पहले दबाव बनाने के लिए बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन और आंदोलन करने की रणनीति बना रहे हैं. जिससे वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में सियासी नुकसान के डर से भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय सरकार इस मुद्दे को निस्तारित करते हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दे सकेगी.
इसके अलावा 21 जनवरी को दिल्ली में केंद्रीय स्तर पर सभी राज्यों के केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की एक बड़ी दुकान होने वाली है. जहां पर अलग-अलग राज्यों में क्या स्थिति है और किन प्रमुख राज्यों ने पुरानी पेंशन को बहाल कर के कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है. उन राज्यों का अध्ययन करते हुए केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के स्तर पर विस्तार से मांग की जाएगी. कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों की तरफ से राजनीतिक दलों से संपर्क और संवाद किया जाएगा और इस अभियान के अंतर्गत सड़क से लेकर सदन तक पुरानी पेंशन बहाली को मुद्दा बनाने का काम राजनीतिक दलों के सहयोग से भी कराया जाएगा. उत्तर प्रदेश में करीब 22 लाख से ज्यादा कर्मचारी इस पुरानी पेंशन के मुद्दे से प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में अगर केंद्र और राज्य सरकार पुरानी पेंशन बहाली को लेकर समय से ध्यान नहीं देंगे तो उन्हें बड़ा सियासी नुकसान भी हो सकता है.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि अब हम रुकने वाले नहीं हैं. प्रदेशभर के कर्मचारियों के साथ-साथ केंद्र सरकार के भी कर्मचारी हमारे साथ आ चुके हैं. हम पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी दबाव बनाने का काम करेंगे. कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन को बहाल करने का काम किया है अब ऐसी स्थिति में केंद्र या उत्तर प्रदेश सरकार यह नहीं कह सकती कि हम इस काम को नहीं कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में हम लगातार धरना प्रदर्शन और आंदोलन करते हुए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का काम करेंगे. 21 जनवरी को दिल्ली में हम एक बड़ी बैठक करके राष्ट्रीय स्तर पर मंथन करेंगे और केंद्र सरकार को ज्ञापन देंगे. साथ ही राजनीतिक दलों से भी हम बात करेंगे उनसे मुलाकात करेंगे और वह लोग अपने एजेंडे में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को शामिल करें और केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं. नहीं तो वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में कर्मचारियों की नाराजगी का नुकसान राजनीतिक दलों को उठाना पड़ सकता है. अब हम बिना इस मांग के पूरी हुए रुकने वाले नहीं हैं. देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन बहाल किया जा चुका है. उत्तर प्रदेश में करीब 22 से 23 लाख केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी और शिक्षक हैं जो इससे प्रभावित हो रहे हैं.