लखनऊ : पूरी दुनिया में दहशतगर्दी से बेकसूर लोग बड़ी तादाद में मारे जाते हैं. जिससे भारत भी अछूता नहीं रहा है. भारत में भी दहशतगर्दी के चलते बड़ी तादाद में सेना के जवान शहीद हो रहे हैं, जिसकी बानगी अभी पुलवामा में भी देखने को मिली है, इससे देश के हर शख्स की आंख नम है दहशतगर्द संस्थाएं इस्लाम की झूठी दुहाई देकर नौजवानों को बरगलाती हैं, जबकि इस्लाम के जानकार बताते है कि इस्लाम में दहशतगर्दी की कोई जगह नहीं है.
क़ाज़ी ए शहर मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली का कहना है इस्लाम मजहब प्यार मोहब्बत और रवादारी का मजहब है और इस्लाम की यह खूबी है कि इस्लाम सबको साथ रहकर भी अपने को बाक़ी रखना बखूबी जानता है जिहाद के नाम पर दूसरों की जान लेने वाले जन्नत में नहीं बल्कि जहन्नम के सरदार बनेंगे और यह इस्लाम की झूठी दुहाई देने वाले मुसलमान कहने तक के हकदार नहीं है क्योंकि मजहबे इस्लाम में जिहाद मज़लूमो पर हथियार उठाने का नाम नहीं है जालिमों के खिलाफ खड़े होने का नाम जिहाद है.
पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले को लेकर देश के हर शक्स की आंख नम है अफसोस है गुस्सा है और नाराजगी है क्योंकि मुल्क की हिफाजत करने वाले जवानों की जान गई है लेकिन कुछ दहशतगर्द इस्लाम के नाम पर दहशतगर्दी को बढ़ावा देती दिखाई देती है जैसे कि पाकिस्तान का हाफिज सईद जो अपने को इस्लाम का बड़ा जानकार कहता है जबकि इस्लाम से और दहशतगर्दी से दूर दूर तक कोई ताल्लुक नहीं है यह दहशतगर्दी में मजहब इस्लाम की झूठी दुहाई देकर नौजवानों को झूठे जेहाद का रास्ता दिखाती हैं बरगलाती है यही इस्लाम है जबकि इस्लाम के असली जानकारी इन बातों को खारिज करते नजर आते हैं.