लखनऊ: प्रवासी श्रमिकों की सहायता के मुद्दे पर बीते माह राजनीतिक बढ़त हासिल करने वाली कांग्रेस के सामने अब सबसे बड़ा सवाल अपने प्रदेश अध्यक्ष को जेल से बाहर निकालना है. अदालत की चौखट पर मात खाने के बाद कांग्रेस को अब कोई राजनीतिक राह भी नहीं सूझ रही है. कार्यकर्ता आक्रोश से भरे हैं, लेकिन उनको नेतृत्व देने वाला कोई सामने नहीं आ रहा है.
लगभग 10 महीने पहले कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनने वाले अजय कुमार लल्लू की अगुवाई में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश की राजनीति में बढ़त लेने के कई मौके मिले. शाहजहांपुर में भाजपा नेता चिन्मयानंद से जुड़ा यौन शोषण मामला हो या उन्नाव का कुलदीप सेंगर कांड, कांग्रेस ने स्त्री सम्मान को मुद्दा बनाकर योगी सरकार को अपने ही लोगों को जेल भेजने के लिए मजबूर किया.
सोनभद्र के उम्भा कांड में प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को इस तरह घेरा कि, खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आदिवासियों के बीच जाकर राहत का ऐलान करना पड़ा. वहीं, प्रवासी श्रमिकों की सहायता के मसले पर तो पूरी भाजपा को बैकफुट पर जाना पड़ा.
सड़क पर पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों के लिए 1000 बसों की पेशकश कर कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के समूचे नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर दिया. इस राजनीतिक ड्रामे में कांग्रेस ने स्कोर हासिल किया, लेकिन योगी सरकार ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को जेल भेज कर कांग्रेस के राजनीतिक अश्वमेध के घोड़े को बंधक बना लिया.
अब हाल यह है कि पिछले 15 दिनों के दौरान कांग्रेस केवल अपने प्रदेश अध्यक्ष को जेल से बाहर निकालने की जुगत में ही भिड़ी रही. मीडिया में बयान और अदालत में पैरवी के सहारे अजय कुमार लल्लू को बाहर निकालने की कोशिश कर रही कांग्रेस कामयाबी का सेहरा पहनने में पूरी तरह नाकाम रही. यही वजह है कि अब कांग्रेस कार्यकर्ता खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं और सड़क पर उतरकर संघर्ष करने के लिए बेताब हैं. ऐसे कार्यकर्ताओं को जुझारू तेवर वाले नेतृत्व की आवश्यकता है, लेकिन अजय कुमार लल्लू के जेल में होने की वजह से पूरी कांग्रेस बेदम नजर आ रही है.
कांग्रेस कार्यकर्ता मानते हैं कि इसकी बड़ी वजह पार्टी की कमान ऐसे लोगों के हाथ में चली जाना है जो कांग्रेस की राजनीतिक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं और पुराने कांग्रेसियों को वैचारिक तौर पर बदलने की कोशिश कर रहे हैं. इससे कांग्रेस कार्यकर्ता खुद को असहज महसूस कर रहे हैं और नेतृत्व के कदम से कदम नहीं मिला पा रहे हैं. अब देखना यह है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व कार्यकर्ताओं के लिए क्या राह दिखाएगा और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जेल की चारदीवारी से बाहर कब निकलेंगे.