लखनऊः भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज रमाकान्त प्रसाद ने पशुधन घोटाला मामले में निरुद्ध आईपीएस अधिकारी अरविंद सेन की एक अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. अरविंद सेन ने इस अर्जी में अपनी बड़ी पुत्री स्निग्धा सेन के पक्ष में पॉवर ऑफ अटार्नी करने के लिए निबंधक कार्यालय में उपस्थित होने के लिए न्यायिक आदेश देने की मांग की है.
सोमवार को सुनवाई के दौरान इस अर्जी की पोषणीयता पर सवाल उठाया गया. सरकारी वकील प्रभा वैश्य व अभितेष मिश्र ने रजिस्ट्रेशन मैनुअल का हवाला देते हुए कहा कि यह अर्जी रजिस्ट्री अधिकारी के दफ्तर में दाखिल करना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि इस विषय पर पहले भी अर्जी दाखिल की गई थी, जिसे अदालत ने नामंजूर कर दिया था तब सेन की ओर से यह अर्जी उनकी बड़ी पुत्री स्निग्धा सेन ने दाखिल की थी लेकिन अब यह अर्जी अरविंद सेन ने स्वंय जेल अधीक्षक के माध्यम से दाखिल की है.
उन्होंने अर्जी में कहा है कि वह इस मामले में निलम्बन के दौरान सेवानिवृत हो गए थे. उनकी समस्त अवकाश प्राप्त देय भत्ता व अन्य अनुमन्य राशि निरुद्ध कर दी गई है.
पत्नी की मौत के बाद उनकी दो पुत्री व एक अवयस्क पुत्र उन पर ही आश्रित हैं लेकिन उनकी आय का अब कोई अन्य साधन नहीं है जिससे परिवार का पोषण व उनके मुकदमे की पैरवी कठिन हो गई है. ऐसी परिस्थिति में वह अपनी पैतृक सम्पति का क्रय-विक्रय व संविदा आदि के लिए बड़ी बेटी स्निग्धा सेन के पक्ष में मुख्तारनामा पंजीकृत करना चाहते हैं.
गौरतलब है कि 27 जनवरी, 2021 को अरविंद सेन को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. 13 जून, 2020 को इस मामले की एफआईआर इंदौर के एक व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिन्कू ने थाना हजरतंगज में दर्ज कराई थी. इस मामले के अभियुक्तों पर कूटरचित दस्तोवजों व छद्म नाम से गेहूं, आटा, शक्कर व दाल आदि की सप्लाई का ठेका दिलवाने के नाम पर करोड़ों रुपए की हड़पने का आरोप है.
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