लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजधानी में बन रहे स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेंसिक साइंसेज के निदेशक की तैनाती कर दी है. सरकार ने 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी जीके गोस्वामी को इंस्टीट्यूट का निदेशक बनाया है. सरकार का दावा है कि आगामी शैक्षणिक सत्र से इंस्टीट्यूट में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. फिलहाल निर्माण कार्य आखिरी दौर में है. लखनऊ, वाराणसी और मुरादबाद समेत कई बड़े जिलों में कप्तान रहे चुके जीके गोस्वामी सीबीआई में ज्वाइंट डायरेक्टर व यूपी एटीएस के चीफ भी रह चुके हैं. उन्होंने अपराध अनुसंधान पर चार किताबें भी लिखी हैं. साथ ही अपराध अनुसंधान पर कई रिसर्च कर चुके हैं. गोस्वामी ने भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली से विशेष योग्यता के साथ एलएलएम किया है. आईपीएस बनने से पहले औषधीय रसायन विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की थी, और बाद में फिर से TISS, मुंबई से कानून के क्षेत्र में भी पीएचडी की. यही नहीं बाल यौन शोषण के मामलों में न्याय प्रशासन के मुद्दों पर गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गांधीनगर से डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की है.
फोरेंसिक साइंस में IPS गोस्वामी को हासिल है महारथ : योगी सरकार ने जिस आईपीएस अधिकारी जीके गोस्वामी को स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेंसिक साइंसेज का निदेशक बनाया है, वे फोरेंसिक एक्सपर्ट के तौर पर जाने जाते हैं. उन्होंने अपनी पुलिस सेवा के दौरान फोरेंसिक तकनीकों की सहायता से कई बड़े केस सुलझाए हैं. मीडिया से बात करते हुए गोस्वामी ने बताया था कि उत्तर प्रदेश में पहली बार डीएनए फिंगर प्रिंट जांच उन्होंने ही करवाई थी. उन्होंने बताया था कि वाराणसी में तैनाती के दौरान न्यूजीलैंड की एक 21 साल की पर्यटक की रेप और हत्या कर उसका शव घर में दफना दिया गया था. उन्होंने पांच महीने बाद शव को कब्र से खुदवा कर फोरेंसिक तकनीकों की मदद से आरोपियों की पहचान की थी.
बता दें, राजधानी के सरोजनीनगर में बन रहे स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेंसिक साइंसेज का 50 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. गृह विभाग के मुताबिक पहले चरण में जो तीन कोर्स शुरू होंगे. उसमें एमएससी फॉरेंसिक साइंस, पीजी डिप्लोमा इन फॉरेंसिक डॉक्यूमेंट इग्जामिनेशन और पीजी डिप्लोमा इन साइबर सिक्योरिटी हैं. इसमें एमएससी फॉरेंसिक साइंस दो साल की अवधि का, जबकि दोनों डिप्लोमा कोर्स एक-एक साल की अवधि के होंगे. इस इंस्टीट्यूट का शिलान्यास अगस्त 2021 को गृह मंत्री अमित शाह ने किया था.
यह भी पढ़ें : Free Electricity for Farmers : बजट 2023 से किसानों को मुफ्त बिजली देने का रास्ता साफ, छठा राज्य बनेगा उत्तर प्रदेश
कई उपलब्धियों के स्वामी हैं IPS GK Goswami, बनाए गए यूपी फोरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट के निदेशक - IPS GK Goswami की उपलब्धियां
उत्तर प्रदेश सरकार ने राजधानी के सरोजनीनगर में बन रहे स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेंसिक साइंसेज के निदेशक पद पर 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी जीके गोस्वामी (IPS GK Goswami) की तैनाती कर दी है. इंस्टीट्यूट निर्माण कार्य आखिरी दौर में है. उम्मीद है कि आगामी शैक्षणिक सत्र से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजधानी में बन रहे स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेंसिक साइंसेज के निदेशक की तैनाती कर दी है. सरकार ने 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी जीके गोस्वामी को इंस्टीट्यूट का निदेशक बनाया है. सरकार का दावा है कि आगामी शैक्षणिक सत्र से इंस्टीट्यूट में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. फिलहाल निर्माण कार्य आखिरी दौर में है. लखनऊ, वाराणसी और मुरादबाद समेत कई बड़े जिलों में कप्तान रहे चुके जीके गोस्वामी सीबीआई में ज्वाइंट डायरेक्टर व यूपी एटीएस के चीफ भी रह चुके हैं. उन्होंने अपराध अनुसंधान पर चार किताबें भी लिखी हैं. साथ ही अपराध अनुसंधान पर कई रिसर्च कर चुके हैं. गोस्वामी ने भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली से विशेष योग्यता के साथ एलएलएम किया है. आईपीएस बनने से पहले औषधीय रसायन विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की थी, और बाद में फिर से TISS, मुंबई से कानून के क्षेत्र में भी पीएचडी की. यही नहीं बाल यौन शोषण के मामलों में न्याय प्रशासन के मुद्दों पर गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गांधीनगर से डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की है.
फोरेंसिक साइंस में IPS गोस्वामी को हासिल है महारथ : योगी सरकार ने जिस आईपीएस अधिकारी जीके गोस्वामी को स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेंसिक साइंसेज का निदेशक बनाया है, वे फोरेंसिक एक्सपर्ट के तौर पर जाने जाते हैं. उन्होंने अपनी पुलिस सेवा के दौरान फोरेंसिक तकनीकों की सहायता से कई बड़े केस सुलझाए हैं. मीडिया से बात करते हुए गोस्वामी ने बताया था कि उत्तर प्रदेश में पहली बार डीएनए फिंगर प्रिंट जांच उन्होंने ही करवाई थी. उन्होंने बताया था कि वाराणसी में तैनाती के दौरान न्यूजीलैंड की एक 21 साल की पर्यटक की रेप और हत्या कर उसका शव घर में दफना दिया गया था. उन्होंने पांच महीने बाद शव को कब्र से खुदवा कर फोरेंसिक तकनीकों की मदद से आरोपियों की पहचान की थी.
बता दें, राजधानी के सरोजनीनगर में बन रहे स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर फॉरेंसिक साइंसेज का 50 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. गृह विभाग के मुताबिक पहले चरण में जो तीन कोर्स शुरू होंगे. उसमें एमएससी फॉरेंसिक साइंस, पीजी डिप्लोमा इन फॉरेंसिक डॉक्यूमेंट इग्जामिनेशन और पीजी डिप्लोमा इन साइबर सिक्योरिटी हैं. इसमें एमएससी फॉरेंसिक साइंस दो साल की अवधि का, जबकि दोनों डिप्लोमा कोर्स एक-एक साल की अवधि के होंगे. इस इंस्टीट्यूट का शिलान्यास अगस्त 2021 को गृह मंत्री अमित शाह ने किया था.
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