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इन्वेस्ट यूपी के काम से उद्यमियों को मिली सहूलियत

उत्तर प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपय से अधिक के एएमयू पर काम चल रहा है. पिछले दिनों औद्योगिक विकास विभाग के मंत्री सतीश महाना ने इसकी जानकारी भी दी थी. उन्होंने कहा था कि अब उत्तर प्रदेश में निवेश के क्षेत्र में अपनी पहचान बदली है और इन वेस्ट यूपी के माध्यम से हम लगातार बेहतर काम कर रहे हैं 2 लाख करोड़ रुपये के जो एमओयू हुए थे, उन पर तेजी से काम चल रहा है. कुछ उद्योग धरातल पर उतरे हैं तो कुछ धरातल पर उतारने की प्रक्रिया में हैं.

यूपी में बढ़ रहे उद्योग धंधे
यूपी में बढ़ रहे उद्योग धंधे
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Published : Feb 16, 2021, 8:30 AM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उद्योग बंधु के स्तर पर तमाम तरह के काम करने के दावे किए गए. यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'उद्योग बंधु' का नाम बदलकर 'इन्वेस्ट यूपी' तक कर दिया. प्रत्येक महीने इन्वेस्ट यूपी और निवेशकों को दी जा रही सहूलियत व समस्याओं की मॉनिटरिंग के लिए बैठक करने का भी एलान किया गया. हालांकि इस एलान पर सरकार खरी नहीं उतरी.


मुख्यमंत्री के स्तर पर बैठक तो लगातार नहीं हुई, लेकिन विभागीय अफसरों के स्तर पर लगातार बैठक हो रही हैं और निवेशकों को सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से निवेश को लेकर सहूलियत दी जा रही है. जिससे यूपी में बड़ी संख्या में निवेशक और सरकार के बीच एमओयू हो. साथ ही निवेश धरातल तक पहुंचे इसके लिए तमाम तरह के सुधार भी किया गया. जिससे निवेशक यूपी में बड़े पैमाने पर निवेश कर सकें.

यूपी में द्यमियों को मिली सहूलियत
हेल्प डेस्क से लेकर ऑनलाइन मॉनिटरिंग से मिली राहत

इन्वेस्ट यूपी की तरफ से सबसे पहले उद्यमियों को जो सहूलियत दी गई उसमें हेल्प डेस्क अहम है. इससे देश ही नहीं विदेश के उद्यमियों को बिना किसी परेशानी और विभागों के चक्कर काटे हुए और बिना लखनऊ आए निवेश को लेकर काम किया जा सके. हेल्प डेस्क के माध्यम से इन्वेस्ट यूपी से उद्यमी जुड़े और उन्हें बिना किसी परेशानी के निवेश प्रस्तावों पर एनओसी आर्ट के झमेले से बचना पड़ा. ऑनलाइन मॉनिटरिंग के माध्यम से इंवेस्ट यूपी और अन्य विभागों के स्तर पर समन्वय बनाकर जहां जो एनओसी की जरूरत थी, वहां वह काम किया गया. जिससे निवेशकों को परेशानी से बचाया गया.


इन्वेस्ट यूपी के कामकाज से मिली सहूलियत
औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार इन इन्वेस्ट यूपी द्वारा की गई इस पहल को सराहनीय सफलता मिली है. काफी संख्या में जो उत्तर प्रदेश में एमओयू हुए हैं उसके पीछे बड़ा कारण इन्वेस्ट यूपी के हेल्पडेस्क व ईज ऑफ डूइंग बिजनेस ही बड़ी वजह है. उत्तर प्रदेश में करीब 750 से अधिक एमओयू हुए, जिनकी लागत करीब 2 लाख करोड रुपये से अधिक है. इन एमओयू पर काम शुरू हो चुका है. कंपनियों के धरातल पर लगाए जाने का काम तेजी से चल रहा है.

इनवेस्ट यूपी निवेशकों को दे रहा सुविधा
इनवेस्ट यूपी निवेशकों को दे रहा सुविधा


दो लाख करोड़ से अधिक के एमओयू पर चल रहा है काम
प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपय से अधिक के एएमयू पर काम चल रहा है. पिछले दिनों औद्योगिक विकास विभाग के मंत्री सतीश महाना ने इसकी जानकारी भी दी थी. उन्होंने कहा था कि अब उत्तर प्रदेश में निवेश के क्षेत्र में अपनी पहचान बदली है और इन वेस्ट यूपी के माध्यम से हम लगातार बेहतर काम कर रहे हैं. 2 लाख करोड़ रुपये के जो एमओयू हुए थे, उन पर तेजी से काम चल रहा है. कुछ उद्योग धरातल पर उतरे हैं तो कुछ धरातल पर उतारने की प्रक्रिया में हैं.


प्लॉट आवंटन में पारदर्शिता का दावा
इन्वेस्ट यूपी के माध्यम से उद्यमियों को अपनी कंपनियां लगाने के लिए जो इंडस्ट्रियल एरिया में जमीन आवंटित करने का काम किया जाता है. उसमें पारदर्शी तरीके से प्लॉट आवंटन का काम किया गया. 20 हजार एकड़ औद्योगिक लैंड बैंक के माध्यम से करीब 5000 एकड़ जमीन तमाम शहरों में उद्यमियों को देने का काम किया गया. प्लॉट आवंटन में सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया और उद्यमियों को बिना किसी परेशानी के जमीन उपलब्ध कराने के दावे किए गए हैं. औद्योगिक विकास विभाग व इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों का दावा है कि सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरण को उद्यमियों की तरफ से आने वाले आवेदन पर ऑनलाइन ही फैसला लेते हुए 15 दिनों के अंदर जमीन आवंटन के साथ-साथ उन्हें जमीन उपलब्ध कराने के सख्त दिशानिर्देश है. इसी आधार पर काम किया जा रहा है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उद्योग बंधु के स्तर पर तमाम तरह के काम करने के दावे किए गए. यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'उद्योग बंधु' का नाम बदलकर 'इन्वेस्ट यूपी' तक कर दिया. प्रत्येक महीने इन्वेस्ट यूपी और निवेशकों को दी जा रही सहूलियत व समस्याओं की मॉनिटरिंग के लिए बैठक करने का भी एलान किया गया. हालांकि इस एलान पर सरकार खरी नहीं उतरी.


मुख्यमंत्री के स्तर पर बैठक तो लगातार नहीं हुई, लेकिन विभागीय अफसरों के स्तर पर लगातार बैठक हो रही हैं और निवेशकों को सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से निवेश को लेकर सहूलियत दी जा रही है. जिससे यूपी में बड़ी संख्या में निवेशक और सरकार के बीच एमओयू हो. साथ ही निवेश धरातल तक पहुंचे इसके लिए तमाम तरह के सुधार भी किया गया. जिससे निवेशक यूपी में बड़े पैमाने पर निवेश कर सकें.

यूपी में द्यमियों को मिली सहूलियत
हेल्प डेस्क से लेकर ऑनलाइन मॉनिटरिंग से मिली राहत

इन्वेस्ट यूपी की तरफ से सबसे पहले उद्यमियों को जो सहूलियत दी गई उसमें हेल्प डेस्क अहम है. इससे देश ही नहीं विदेश के उद्यमियों को बिना किसी परेशानी और विभागों के चक्कर काटे हुए और बिना लखनऊ आए निवेश को लेकर काम किया जा सके. हेल्प डेस्क के माध्यम से इन्वेस्ट यूपी से उद्यमी जुड़े और उन्हें बिना किसी परेशानी के निवेश प्रस्तावों पर एनओसी आर्ट के झमेले से बचना पड़ा. ऑनलाइन मॉनिटरिंग के माध्यम से इंवेस्ट यूपी और अन्य विभागों के स्तर पर समन्वय बनाकर जहां जो एनओसी की जरूरत थी, वहां वह काम किया गया. जिससे निवेशकों को परेशानी से बचाया गया.


इन्वेस्ट यूपी के कामकाज से मिली सहूलियत
औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार इन इन्वेस्ट यूपी द्वारा की गई इस पहल को सराहनीय सफलता मिली है. काफी संख्या में जो उत्तर प्रदेश में एमओयू हुए हैं उसके पीछे बड़ा कारण इन्वेस्ट यूपी के हेल्पडेस्क व ईज ऑफ डूइंग बिजनेस ही बड़ी वजह है. उत्तर प्रदेश में करीब 750 से अधिक एमओयू हुए, जिनकी लागत करीब 2 लाख करोड रुपये से अधिक है. इन एमओयू पर काम शुरू हो चुका है. कंपनियों के धरातल पर लगाए जाने का काम तेजी से चल रहा है.

इनवेस्ट यूपी निवेशकों को दे रहा सुविधा
इनवेस्ट यूपी निवेशकों को दे रहा सुविधा


दो लाख करोड़ से अधिक के एमओयू पर चल रहा है काम
प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपय से अधिक के एएमयू पर काम चल रहा है. पिछले दिनों औद्योगिक विकास विभाग के मंत्री सतीश महाना ने इसकी जानकारी भी दी थी. उन्होंने कहा था कि अब उत्तर प्रदेश में निवेश के क्षेत्र में अपनी पहचान बदली है और इन वेस्ट यूपी के माध्यम से हम लगातार बेहतर काम कर रहे हैं. 2 लाख करोड़ रुपये के जो एमओयू हुए थे, उन पर तेजी से काम चल रहा है. कुछ उद्योग धरातल पर उतरे हैं तो कुछ धरातल पर उतारने की प्रक्रिया में हैं.


प्लॉट आवंटन में पारदर्शिता का दावा
इन्वेस्ट यूपी के माध्यम से उद्यमियों को अपनी कंपनियां लगाने के लिए जो इंडस्ट्रियल एरिया में जमीन आवंटित करने का काम किया जाता है. उसमें पारदर्शी तरीके से प्लॉट आवंटन का काम किया गया. 20 हजार एकड़ औद्योगिक लैंड बैंक के माध्यम से करीब 5000 एकड़ जमीन तमाम शहरों में उद्यमियों को देने का काम किया गया. प्लॉट आवंटन में सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया गया और उद्यमियों को बिना किसी परेशानी के जमीन उपलब्ध कराने के दावे किए गए हैं. औद्योगिक विकास विभाग व इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों का दावा है कि सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरण को उद्यमियों की तरफ से आने वाले आवेदन पर ऑनलाइन ही फैसला लेते हुए 15 दिनों के अंदर जमीन आवंटन के साथ-साथ उन्हें जमीन उपलब्ध कराने के सख्त दिशानिर्देश है. इसी आधार पर काम किया जा रहा है.

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