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जानिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर कितनी गंभीर है योगी सरकार

यूपी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने के योगी सरकार प्रयास कर रही है. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने 17 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया है. यूपी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने के लिए योगी सरकार क्या कुछ कर रही है, इसे लेकर ईटीवी भारत ने लखनऊ के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति और 17 सदस्यीय टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. विनय पाठक से बात की.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020
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Published : Nov 4, 2020, 9:44 PM IST

लखनऊ: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को यूपी में सफलता से लागू करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगस्त में ही 17 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया है. इस टास्क फोर्स के अध्यक्ष डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा हैं. बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी सह-अध्यक्ष हैं. शासन स्तर पर टास्क फोर्स की तीन बैठकें हो चुकी हैं. विभागों में स्टीयरिंग कमेटियां गठित की गयी हैं. इन कमेटियों की हर सप्ताह बैठकें होती हैं. टास्क फोर्स और स्टीयरिंग कमेटियों की बैठकों के माध्यम से सरकार नई शिक्षा नीति को प्रदेश में लागू कर रही है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर एकेटीयू के कुलपति डॉ. विनय पाठक से बातचीत.


सभी विभागों ने दिया अपना प्रेजेंटेशन
टास्क फोर्स के सदस्य और लखनऊ के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. विनय पाठक कहते हैं कि शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विशेषज्ञों को भी इसमें शामिल किया गया है. टास्क फोर्स की अभी तक तीन बैठकें हो चुकी हैं. इनमें महत्वपूर्ण सुझाव आए हैं. हर व्यक्ति ने अपने-अपने विभागों के प्रेजेंटेशन दिए हैं. स्कूल एजुकेशन का प्रेजेंटेशन, उच्च शिक्षा का प्रेजेंटेशन और प्राविधिक शिक्षा एवं स्किल डेवलपमेंट का प्रेजेंटेशन हुआ है. बैठकों के बाद सभी की स्टेयरिंग कमेटियां भी गठित कर ली गई हैं. स्टेयरिंग कमेटी बनाकर अलग-अलग छोटे-बड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की जा रही है. छोटे-छोटे बिंदुओं पर चर्चा के साथ-साथ इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि आगे कैसे काम किया जाएगा.


पूरे बदलाव में लगेंगे 15 साल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति उत्तर प्रदेश में कब तक प्रभावी हो पाएगी, इस सवाल के जवाब में डॉ. विनय पाठक ने कहा कि कुछ काम तो छोटे यानी कम समय के हैं. इसमें से किसी काम में छह महीने तो किसी में एक साल लगेगा. कुछ काम बहुत बड़े हैं, जैसे एफीलिएशन को हटाना. विश्वविद्यालयों से महाविद्यालयों की संबद्धता हटाने में 15 वर्ष भी लग सकते हैं. इस नीति के तहत अधिकतम 15 साल का समय भी दिया गया है. नए पाठ्यक्रम लाने में भी समय लगेगा. एमफिल को हटाना, शिक्षा से आंगनबाड़ी को जोड़ना जैसे छोटे काम हैं. इसे एक से दो साल के भीतर कर लिया जाएगा.

सामूहिक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का प्रस्ताव
प्रोफेसर पाठक ने कहा कि मैंने सुझाव दिया कि सभी शिक्षकों को मिलाकर एक डेटाबेस बनाना चाहिए. इससे एक सामूहिक डेटाबेस तैयार किया जा सकेगा. एक सामूहिक प्लेटफार्म होना चाहिए. इस सामूहिक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग समग्रता से किया जा सकेगा. इससे आपस में समन्वय स्थापित कर संवाद और फिर आगे की रणनीति पर काम किया जा सकेगा.

माध्यमिक शिक्षा में अलग नहीं होंगे आर्ट साइंस के छात्र
बेसिक और माध्यमिक एजुकेशन को लेकर के क्या बदलाव होने वाले हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस सब में एक फ्लैक्सिबिलिटी आने वाली है. माध्यमिक शिक्षा को ही लिया जाए तो इसमें कक्षा आठ, नौ, 10वीं और 12वीं में बच्चों को विषय चुनने का पूरा अधिकार दिया गया है. बच्चा जिस भी विषय में पढ़ना चाहे, उस विषय को वह ले सकता है, लेकिन इसको लागू करना इतना आसान नहीं है. विषयों का सामंजस्य बैठाना अभी जटिल होगा.

सरकार ने उठाये यह कदम
उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर क्या-क्या कदम उठाए हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार अभी प्राथमिक स्तर पर है. सरकार अभी केवल ब्रेनस्टॉर्मिंग कर रही है. ब्रेनस्टॉर्मिंग करना आवश्यक है. तीन महीने की तीन बैठकों में ब्रेनस्टॉर्मिंग ज्यादा हुई है. इन बैठकों में सभी को समझाने की कोशिश की गई है कि ऐसा हमें करना चाहिए. इस प्रकार से अभी लोग सुझाव इकट्ठा कर रहे हैं. सभी विभाग विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं. उस राय के आधार पर वे लोग आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं. अभी तो हम यही कहेंगे कि अभी ब्रेनस्टॉर्मिंग के समय पर ही हैं.

राज्य सरकार पहले से ही कर रही काम
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के अपने दावे हैं. सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जो बदलाव किए जाने की बात की गई है. इनमें से कई बिंदुओं पर सरकार ने पहले से ही कई काम शुरू कर दिए हैं. पीएनसी के पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला पहले ही कर लिया गया है.

बेसिक स्कूलों में बुनियादी सुविधा बढ़ाई
सीएम योगी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शासन स्तर पर हुई एक चर्चा में कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के एक लाख 58 हजार विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं को ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से सुदृढ़ किया गया है. इससे शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है. परिषद के इन स्कूलों में विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, पुस्तकें, जूते-मोजे, स्वेटर आदि निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

यू-राइज पोर्टल किया गया प्रारंभ
प्रदेश में व्यावसायिक और औपचारिक शिक्षा को जोड़ने के लिए काम किया गया है. इस उद्देश्य से यू-राइज पोर्टल प्रारंभ किया गया है. प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों को सभी जिलों में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र से जोड़ा गया है. कृषि विज्ञान केंद्र किसानों से जुड़े हुए हैं. ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए सरकार ने चैनल शुरू किए हैं. विद्यार्थियों को ऑनलाइन पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए डिजिटल लाइब्रेरी तैयार की गई है. डिजिटल लाइब्रेरी में करीब 53 हजार ई-कंटेंट अपलोड कर दिए गए हैं.

योगी सरकार ने गठित की 17 सदस्यीय टास्क फोर्स
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 17 सदस्यों की टास्क फोर्स का गठन किया है. इस टास्क फोर्स में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा अध्यक्ष और बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी सह-अध्यक्ष बनाए गए हैं. इसके अलावा 15 सदस्य भी इसमें शामिल किए गए हैं. जो इस प्रकार हैं-

  1. उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ गिरीश चंद त्रिपाठी.
  2. अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार.
  3. अपर मुख्य सचिव प्राविधिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा एस राधा चौहान.
  4. अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग.
  5. अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला.
  6. पूर्व सचिव भारत सरकार अनिल स्वरूप.
  7. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली.
  8. एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विनय पाठक.
  9. संस्कृत संस्थान उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वाचस्पति मिश्र.
  10. पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक प्रोफ़ेसर बीपी खंडेलवाल.
  11. पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक कृष्ण मोहन त्रिपाठी.
  12. लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर अरविंद मोहन.
  13. लखनऊ विश्वविद्यालय, अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर निशी पांडे.
  14. लखनऊ विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के डॉक्टर अब्बास रजा नैयर.
  15. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर सदानंद प्रसाद गुप्त.

लखनऊ: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को यूपी में सफलता से लागू करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगस्त में ही 17 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया है. इस टास्क फोर्स के अध्यक्ष डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा हैं. बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी सह-अध्यक्ष हैं. शासन स्तर पर टास्क फोर्स की तीन बैठकें हो चुकी हैं. विभागों में स्टीयरिंग कमेटियां गठित की गयी हैं. इन कमेटियों की हर सप्ताह बैठकें होती हैं. टास्क फोर्स और स्टीयरिंग कमेटियों की बैठकों के माध्यम से सरकार नई शिक्षा नीति को प्रदेश में लागू कर रही है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर एकेटीयू के कुलपति डॉ. विनय पाठक से बातचीत.


सभी विभागों ने दिया अपना प्रेजेंटेशन
टास्क फोर्स के सदस्य और लखनऊ के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. विनय पाठक कहते हैं कि शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विशेषज्ञों को भी इसमें शामिल किया गया है. टास्क फोर्स की अभी तक तीन बैठकें हो चुकी हैं. इनमें महत्वपूर्ण सुझाव आए हैं. हर व्यक्ति ने अपने-अपने विभागों के प्रेजेंटेशन दिए हैं. स्कूल एजुकेशन का प्रेजेंटेशन, उच्च शिक्षा का प्रेजेंटेशन और प्राविधिक शिक्षा एवं स्किल डेवलपमेंट का प्रेजेंटेशन हुआ है. बैठकों के बाद सभी की स्टेयरिंग कमेटियां भी गठित कर ली गई हैं. स्टेयरिंग कमेटी बनाकर अलग-अलग छोटे-बड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की जा रही है. छोटे-छोटे बिंदुओं पर चर्चा के साथ-साथ इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि आगे कैसे काम किया जाएगा.


पूरे बदलाव में लगेंगे 15 साल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति उत्तर प्रदेश में कब तक प्रभावी हो पाएगी, इस सवाल के जवाब में डॉ. विनय पाठक ने कहा कि कुछ काम तो छोटे यानी कम समय के हैं. इसमें से किसी काम में छह महीने तो किसी में एक साल लगेगा. कुछ काम बहुत बड़े हैं, जैसे एफीलिएशन को हटाना. विश्वविद्यालयों से महाविद्यालयों की संबद्धता हटाने में 15 वर्ष भी लग सकते हैं. इस नीति के तहत अधिकतम 15 साल का समय भी दिया गया है. नए पाठ्यक्रम लाने में भी समय लगेगा. एमफिल को हटाना, शिक्षा से आंगनबाड़ी को जोड़ना जैसे छोटे काम हैं. इसे एक से दो साल के भीतर कर लिया जाएगा.

सामूहिक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का प्रस्ताव
प्रोफेसर पाठक ने कहा कि मैंने सुझाव दिया कि सभी शिक्षकों को मिलाकर एक डेटाबेस बनाना चाहिए. इससे एक सामूहिक डेटाबेस तैयार किया जा सकेगा. एक सामूहिक प्लेटफार्म होना चाहिए. इस सामूहिक लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग समग्रता से किया जा सकेगा. इससे आपस में समन्वय स्थापित कर संवाद और फिर आगे की रणनीति पर काम किया जा सकेगा.

माध्यमिक शिक्षा में अलग नहीं होंगे आर्ट साइंस के छात्र
बेसिक और माध्यमिक एजुकेशन को लेकर के क्या बदलाव होने वाले हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस सब में एक फ्लैक्सिबिलिटी आने वाली है. माध्यमिक शिक्षा को ही लिया जाए तो इसमें कक्षा आठ, नौ, 10वीं और 12वीं में बच्चों को विषय चुनने का पूरा अधिकार दिया गया है. बच्चा जिस भी विषय में पढ़ना चाहे, उस विषय को वह ले सकता है, लेकिन इसको लागू करना इतना आसान नहीं है. विषयों का सामंजस्य बैठाना अभी जटिल होगा.

सरकार ने उठाये यह कदम
उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर क्या-क्या कदम उठाए हैं. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सरकार अभी प्राथमिक स्तर पर है. सरकार अभी केवल ब्रेनस्टॉर्मिंग कर रही है. ब्रेनस्टॉर्मिंग करना आवश्यक है. तीन महीने की तीन बैठकों में ब्रेनस्टॉर्मिंग ज्यादा हुई है. इन बैठकों में सभी को समझाने की कोशिश की गई है कि ऐसा हमें करना चाहिए. इस प्रकार से अभी लोग सुझाव इकट्ठा कर रहे हैं. सभी विभाग विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं. उस राय के आधार पर वे लोग आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं. अभी तो हम यही कहेंगे कि अभी ब्रेनस्टॉर्मिंग के समय पर ही हैं.

राज्य सरकार पहले से ही कर रही काम
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के अपने दावे हैं. सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जो बदलाव किए जाने की बात की गई है. इनमें से कई बिंदुओं पर सरकार ने पहले से ही कई काम शुरू कर दिए हैं. पीएनसी के पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला पहले ही कर लिया गया है.

बेसिक स्कूलों में बुनियादी सुविधा बढ़ाई
सीएम योगी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शासन स्तर पर हुई एक चर्चा में कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के एक लाख 58 हजार विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं को ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से सुदृढ़ किया गया है. इससे शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है. परिषद के इन स्कूलों में विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, पुस्तकें, जूते-मोजे, स्वेटर आदि निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

यू-राइज पोर्टल किया गया प्रारंभ
प्रदेश में व्यावसायिक और औपचारिक शिक्षा को जोड़ने के लिए काम किया गया है. इस उद्देश्य से यू-राइज पोर्टल प्रारंभ किया गया है. प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों को सभी जिलों में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र से जोड़ा गया है. कृषि विज्ञान केंद्र किसानों से जुड़े हुए हैं. ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए सरकार ने चैनल शुरू किए हैं. विद्यार्थियों को ऑनलाइन पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए डिजिटल लाइब्रेरी तैयार की गई है. डिजिटल लाइब्रेरी में करीब 53 हजार ई-कंटेंट अपलोड कर दिए गए हैं.

योगी सरकार ने गठित की 17 सदस्यीय टास्क फोर्स
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 17 सदस्यों की टास्क फोर्स का गठन किया है. इस टास्क फोर्स में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा अध्यक्ष और बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी सह-अध्यक्ष बनाए गए हैं. इसके अलावा 15 सदस्य भी इसमें शामिल किए गए हैं. जो इस प्रकार हैं-

  1. उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ गिरीश चंद त्रिपाठी.
  2. अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार.
  3. अपर मुख्य सचिव प्राविधिक शिक्षा एवं व्यवसायिक शिक्षा एस राधा चौहान.
  4. अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस गर्ग.
  5. अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला.
  6. पूर्व सचिव भारत सरकार अनिल स्वरूप.
  7. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली.
  8. एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विनय पाठक.
  9. संस्कृत संस्थान उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वाचस्पति मिश्र.
  10. पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक प्रोफ़ेसर बीपी खंडेलवाल.
  11. पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक कृष्ण मोहन त्रिपाठी.
  12. लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर अरविंद मोहन.
  13. लखनऊ विश्वविद्यालय, अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर निशी पांडे.
  14. लखनऊ विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के डॉक्टर अब्बास रजा नैयर.
  15. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर सदानंद प्रसाद गुप्त.

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