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विश्व मजदूर दिवस : जिन्हें नहीं पता अपना हक, कैसे लड़ें हिस्से की लड़ाई

आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है. इस दिन मजदूरों के हक में सरकार द्वारा तमाम दावे किए जाते हैं लेकिन उन्हें समर्थ और समृद्ध बनाने की सरकार की सारी योजनाएं धरी की धरी नजर आतीं हैं.

विश्व मजदूर दिवस.
विश्व मजदूर दिवस.
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Published : May 1, 2021, 7:37 PM IST

Updated : May 1, 2021, 8:47 PM IST

वाराणसी : किसी भी समाज, देश और संस्था में मजदूरों की अहम भूमिका होती है. उनके द्वारा ही देश के विकास की नींव रखी जाती है. मजदूरों के हक में आवाज बुलंद करने के लिए आज एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत एक मई 1923 को चेन्नई से हुई.

विश्व मजदूर दिवस.

इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने की थी. हर साल इस दिन सरकार व संस्थाओं की ओर से मजदूरों के हक में तमाम बातें कही जाती हैं, तमाम दावे भी किए जाते हैं लेकिन वास्तव में मजदूरों तक कितनी सुविधाएं पहुंचती हैं, इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं.

मजदूर जानते ही नहीं क्या है 'मजदूर दिवस'

ईटीवी भारत की टीम ने मजदूर मंडी का भ्रमण किया और वहां मौजूद मजदूरों से बातचीत की. मजदूरों ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि मजदूर दिवस क्या होता है. किसी ने आज तक इस दिन के बारे में न तो जिक्र किया और न ही किसी संस्था ने जागरूक किया. कहा कि उन्हें तो बस दो जून की रोटी से मतलब है ताकि उनके बच्चे भूखे न सोएं और उनका गुजर-बसर हो सके.

ग्राहकों का इंतजार कर रहे मजदूर.
ग्राहकों का इंतजार कर रहे मजदूर.

इसे भी पढ़ें : विश्व मजदूर दिवस : बाजार में बिकने को तैयार, फिर भी नहीं मिलता रोजगार

दर-दर भटक रहे मजदूर

मजदूर मंडी में खड़े ग्राहकों का इंतजार कर रहे मजदूरों ने बताया कि पिछले साल कोरोना की वजह से वह भूखे सोने को मजबूर थे. इस बार फिर से उनकी मजदूरी पर ताला लग गया है. कोरोना के चलते ग्राहकों का आना ना के बराबर है. इसके बावजूद वह सुबह से शाम तक ग्राहकों का इंतजार करते हैं ताकि दो वक्त की रोटी नसीब हो सके.

दर-दर भटक रहे मजदूर
दर-दर भटक रहे मजदूर.

कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी कोरोना की वजह से निराश होना पड़ रहा है. कोरोना के चलते सारा काम ठप पड़ा है. मंडी में ग्राहक नहीं आ रह हैं. सरकार की योजनाओं के बारे में कहा कि सरकार सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती है. हमारे हितों के बारे में नहीं सोचती. सरकार अगर मजदूरों के बारे में सोचती तो हमारा यह हाल नहीं होता. बच्चे भूखे सोने को मजबूर ना होते.

मजदूरों के भी हैं विशेष अधिकार

श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुनील कुमार सिन्हा ने बताया कि मजदूरों के पास भी कुछ विशेष अधिकार हैं. उन अधिकारों का प्रयोग कर मजदूर वर्ग अपने खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोक सकता है. साथ ही सरकार की ओर से संचालित तमाम योजनाओं का लाभ भी उठा सकते हैं. कहा कि मजदूरों के लिए बनाए गए कानूनों में भी परिवर्तन किया जाता है ताकि किसी भी मजदूर का शोषण न हो.

इसे भी पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस: विदेशों में महफूज नहीं बगोदर के प्रवासी मजदूर

ये योजानाएं की जा रहीं हैं संचालित

श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने बताया कि मजदूरों के लिए मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना, संत रविदास शिक्षा सहायता योजना, मेधावी छात्र पुरस्कार योजना, कौशल विकास तकनीकी उन्नयन एवं प्रमाण योजना, कन्या विवाह सहायता योजना, शौचालय सहायता योजना, आवास सहायता योजना, चिकित्सा सुविधा योजना, महात्मा गांधी पेंशन योजना, गंभीर बीमारी सहायता योजना, निर्माण कामगार मध्य विकलांगता सहायता एवं अक्षमता पेंशन योजना, निर्माण कामगार अंत्येष्टि सहायता इत्यादि तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं. ये योजनाएं व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक को ध्यान में रखते हुए संचालित की जा रही हैं.

काम की आस में घंटों सड़क पर खड़े रहते हैं.
काम की आस में घंटों सड़क पर खड़े रहते हैं.

अब तक 55,560 मजदूरों को किया गया लाभान्वित

श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने बताया कि 2019 से लेकर 2021 तक 55,560 मजदूरों को आपदा प्रबंधन योजना के तहत विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया गया है. इसके लिए 5,55,60,000 की धनराशि खर्च की गई है. साथ ही सरकार द्वारा दिए गए गाइडलाइन का पालन कर सभी कामगार मजदूर तक उन योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है ताकि कोई भी मजदूर भूखे ना सोए. वर्तमान में आपदा के तहत प्रदेश सरकार की ओर से श्रमिकों के लिए दो अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है. ये टीमें मजदूरों को योजनाओं की जानकारी व उसकी प्रक्रिया से अवगत कराएंगी व हर संभव मदद करेंगी.

वाराणसी : किसी भी समाज, देश और संस्था में मजदूरों की अहम भूमिका होती है. उनके द्वारा ही देश के विकास की नींव रखी जाती है. मजदूरों के हक में आवाज बुलंद करने के लिए आज एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत एक मई 1923 को चेन्नई से हुई.

विश्व मजदूर दिवस.

इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने की थी. हर साल इस दिन सरकार व संस्थाओं की ओर से मजदूरों के हक में तमाम बातें कही जाती हैं, तमाम दावे भी किए जाते हैं लेकिन वास्तव में मजदूरों तक कितनी सुविधाएं पहुंचती हैं, इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं.

मजदूर जानते ही नहीं क्या है 'मजदूर दिवस'

ईटीवी भारत की टीम ने मजदूर मंडी का भ्रमण किया और वहां मौजूद मजदूरों से बातचीत की. मजदूरों ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि मजदूर दिवस क्या होता है. किसी ने आज तक इस दिन के बारे में न तो जिक्र किया और न ही किसी संस्था ने जागरूक किया. कहा कि उन्हें तो बस दो जून की रोटी से मतलब है ताकि उनके बच्चे भूखे न सोएं और उनका गुजर-बसर हो सके.

ग्राहकों का इंतजार कर रहे मजदूर.
ग्राहकों का इंतजार कर रहे मजदूर.

इसे भी पढ़ें : विश्व मजदूर दिवस : बाजार में बिकने को तैयार, फिर भी नहीं मिलता रोजगार

दर-दर भटक रहे मजदूर

मजदूर मंडी में खड़े ग्राहकों का इंतजार कर रहे मजदूरों ने बताया कि पिछले साल कोरोना की वजह से वह भूखे सोने को मजबूर थे. इस बार फिर से उनकी मजदूरी पर ताला लग गया है. कोरोना के चलते ग्राहकों का आना ना के बराबर है. इसके बावजूद वह सुबह से शाम तक ग्राहकों का इंतजार करते हैं ताकि दो वक्त की रोटी नसीब हो सके.

दर-दर भटक रहे मजदूर
दर-दर भटक रहे मजदूर.

कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी कोरोना की वजह से निराश होना पड़ रहा है. कोरोना के चलते सारा काम ठप पड़ा है. मंडी में ग्राहक नहीं आ रह हैं. सरकार की योजनाओं के बारे में कहा कि सरकार सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करती है. हमारे हितों के बारे में नहीं सोचती. सरकार अगर मजदूरों के बारे में सोचती तो हमारा यह हाल नहीं होता. बच्चे भूखे सोने को मजबूर ना होते.

मजदूरों के भी हैं विशेष अधिकार

श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुनील कुमार सिन्हा ने बताया कि मजदूरों के पास भी कुछ विशेष अधिकार हैं. उन अधिकारों का प्रयोग कर मजदूर वर्ग अपने खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोक सकता है. साथ ही सरकार की ओर से संचालित तमाम योजनाओं का लाभ भी उठा सकते हैं. कहा कि मजदूरों के लिए बनाए गए कानूनों में भी परिवर्तन किया जाता है ताकि किसी भी मजदूर का शोषण न हो.

इसे भी पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस: विदेशों में महफूज नहीं बगोदर के प्रवासी मजदूर

ये योजानाएं की जा रहीं हैं संचालित

श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने बताया कि मजदूरों के लिए मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना, संत रविदास शिक्षा सहायता योजना, मेधावी छात्र पुरस्कार योजना, कौशल विकास तकनीकी उन्नयन एवं प्रमाण योजना, कन्या विवाह सहायता योजना, शौचालय सहायता योजना, आवास सहायता योजना, चिकित्सा सुविधा योजना, महात्मा गांधी पेंशन योजना, गंभीर बीमारी सहायता योजना, निर्माण कामगार मध्य विकलांगता सहायता एवं अक्षमता पेंशन योजना, निर्माण कामगार अंत्येष्टि सहायता इत्यादि तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं. ये योजनाएं व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक को ध्यान में रखते हुए संचालित की जा रही हैं.

काम की आस में घंटों सड़क पर खड़े रहते हैं.
काम की आस में घंटों सड़क पर खड़े रहते हैं.

अब तक 55,560 मजदूरों को किया गया लाभान्वित

श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने बताया कि 2019 से लेकर 2021 तक 55,560 मजदूरों को आपदा प्रबंधन योजना के तहत विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया गया है. इसके लिए 5,55,60,000 की धनराशि खर्च की गई है. साथ ही सरकार द्वारा दिए गए गाइडलाइन का पालन कर सभी कामगार मजदूर तक उन योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है ताकि कोई भी मजदूर भूखे ना सोए. वर्तमान में आपदा के तहत प्रदेश सरकार की ओर से श्रमिकों के लिए दो अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है. ये टीमें मजदूरों को योजनाओं की जानकारी व उसकी प्रक्रिया से अवगत कराएंगी व हर संभव मदद करेंगी.

Last Updated : May 1, 2021, 8:47 PM IST
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