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कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए केजीएमयू में डॉक्टरों के लिए शुरू हुई 'इंटेलिजेंट पेशेंट स्क्रीनिंग प्रणाली'

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए केजीएमयू में डॉक्टरों के लिए 'इंटेलिजेंट पेशेंट स्क्रीनिंग प्रणाली' शुरू की गयी है.

केजीएमयू में शुरू हुई इंटेलिजेंट पेशेंट स्क्रीनिंग प्रणाली.
केजीएमयू में शुरू हुई इंटेलिजेंट पेशेंट स्क्रीनिंग प्रणाली.
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Published : Mar 25, 2020, 4:58 PM IST

Updated : Mar 25, 2020, 5:30 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से संदिग्धों की जांच के लिए सबसे अधिक सैंपल किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में लाए जा रहे हैं. साथ ही जरूरत पड़ने पर कोरोना संक्रमित मरीजों को यहां भर्ती भी किया जा रहा है. ऐसे में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की जांच एवं उपचार में लगे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए 'इंटेलिजेंट रोगी स्क्रीनिंग एवं निगरानी' प्रणाली की शुरुआत की गई है.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी कोरोना वायरस से निपटने के लिए पेशेंट मैनेजमेंट और कंट्रोल आदि के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने वाला पहला चिकित्सा संस्थान है.

डॉ. शीतल वर्मा ने दी जानकारी
केजीएमयू के टेलीमेडिसिन यूनिट के नोडल इंचार्ज डॉ. शीतल वर्मा का कहना है कि 'इवोल्को हेल्थ रडार सिस्टम' केजीएमयू की नोवल कोरोना वायरस की ओपीडी, फीवर की ओपीडी और न्यू ओपीडी ब्लॉक के पहले तल पर स्थापित की गई है. इस ओपीडी में कोरोनावायरस के संदिग्ध व्यक्तियों की जांच हो सकेगी और इस सिस्टम की सहायता से कोरोना संक्रमण के किसी भी व्यक्ति के बारे में ओपीडी में बैठे डॉक्टर सतर्क हो सकते हैं.

इवोल्को हेल्थ राडार सिस्टम से कोरोना वायरस के लक्षण को पहचाना जा सकता है
डॉ. शीतल के अनुसार, इस तकनीक से कोरोना वायरस से संदिग्ध मरीजों के लक्षण पहचाने जा सकते हैं. इस आधार पर मरीज की वास्तविक स्थिति पता चलती रहेगी और इलाज के द्वारा उसके संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है.

डॉ. शीतल ने बताया कि रोगियों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ इवोल्को हेल्थ राडार प्लेटफॉर्म कोरोना वायरस ट्रांसमिशन को भी रोकने में मददगार हो सकता है. इसकी मदद से व्यक्ति की स्क्रीनिंग काफी तेजी से और सुरक्षित हो सकती है और उपचार भी अधिक सुचारू रूप से किया जा सकता है.

इस तरह के सिस्टम काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं साबित
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीरेंद्र आतम का कहना है कि कोरोनावायरस के मौजूदा संकट के प्रबंधन के लिए इस तरह के सिस्टम काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. इससे डॉक्टरों के साथ कुछ अन्य मरीज भी संक्रमण के खतरे से बच सकते हैं.

इस हेल्थ राडार सिस्टम के माध्यम से परामर्श जांच स्क्रीनिंग आदि करते समय डॉक्टरों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम होगा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से रोगियों को चिकित्सीय और उपचार की सुविधा भी मिल सकती है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से संदिग्धों की जांच के लिए सबसे अधिक सैंपल किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में लाए जा रहे हैं. साथ ही जरूरत पड़ने पर कोरोना संक्रमित मरीजों को यहां भर्ती भी किया जा रहा है. ऐसे में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की जांच एवं उपचार में लगे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए 'इंटेलिजेंट रोगी स्क्रीनिंग एवं निगरानी' प्रणाली की शुरुआत की गई है.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी कोरोना वायरस से निपटने के लिए पेशेंट मैनेजमेंट और कंट्रोल आदि के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने वाला पहला चिकित्सा संस्थान है.

डॉ. शीतल वर्मा ने दी जानकारी
केजीएमयू के टेलीमेडिसिन यूनिट के नोडल इंचार्ज डॉ. शीतल वर्मा का कहना है कि 'इवोल्को हेल्थ रडार सिस्टम' केजीएमयू की नोवल कोरोना वायरस की ओपीडी, फीवर की ओपीडी और न्यू ओपीडी ब्लॉक के पहले तल पर स्थापित की गई है. इस ओपीडी में कोरोनावायरस के संदिग्ध व्यक्तियों की जांच हो सकेगी और इस सिस्टम की सहायता से कोरोना संक्रमण के किसी भी व्यक्ति के बारे में ओपीडी में बैठे डॉक्टर सतर्क हो सकते हैं.

इवोल्को हेल्थ राडार सिस्टम से कोरोना वायरस के लक्षण को पहचाना जा सकता है
डॉ. शीतल के अनुसार, इस तकनीक से कोरोना वायरस से संदिग्ध मरीजों के लक्षण पहचाने जा सकते हैं. इस आधार पर मरीज की वास्तविक स्थिति पता चलती रहेगी और इलाज के द्वारा उसके संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है.

डॉ. शीतल ने बताया कि रोगियों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ इवोल्को हेल्थ राडार प्लेटफॉर्म कोरोना वायरस ट्रांसमिशन को भी रोकने में मददगार हो सकता है. इसकी मदद से व्यक्ति की स्क्रीनिंग काफी तेजी से और सुरक्षित हो सकती है और उपचार भी अधिक सुचारू रूप से किया जा सकता है.

इस तरह के सिस्टम काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं साबित
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीरेंद्र आतम का कहना है कि कोरोनावायरस के मौजूदा संकट के प्रबंधन के लिए इस तरह के सिस्टम काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. इससे डॉक्टरों के साथ कुछ अन्य मरीज भी संक्रमण के खतरे से बच सकते हैं.

इस हेल्थ राडार सिस्टम के माध्यम से परामर्श जांच स्क्रीनिंग आदि करते समय डॉक्टरों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम होगा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से रोगियों को चिकित्सीय और उपचार की सुविधा भी मिल सकती है.

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Last Updated : Mar 25, 2020, 5:30 PM IST
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