लखनऊ : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ गठित जांच समिति और उसकी कार्रवाई को कुलाधिपति ने निरस्त कर दिया है. प्रो. पाठक वर्तमान में कानपुर विवि के कुलपति हैं. प्रोफेसर पाठक के खिलाफ इसी साल 1 फरवरी को एकेटीयू के तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा ने पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की थी. जिसके बाद प्रोफेसर पीके मिश्रा और राजभवन के बीच में काफी तनावपूर्ण माहौल बन गया था. विश्वविद्यालय के सूत्रों का कहना है कि इसी के बाद दबाव में आकर प्रोफेसर पीके मिश्रा को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा था.
कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक इसके पहले एकेटीयू के कुलपति थे. उनके कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा ने जांच बैठाई थी. इसमें विवि के धन का दुरूपयोग व अपात्र लोगों की नियुक्ति करने सहित कई आरोपों की जांच रिटायर जस्टिस प्रमोद कुमार श्रीवास्तव कर रहे थे. हालांकि इस जांच समिति बनाने के बाद कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा पर कुलाधिपति कार्यालय की नजरें टेढ़ी हो गई थी और कुलाधिपति ने तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा पर जांच बैठाते हुए उन्हें शकुन्तला विवि से अटैच कर दिया था. बाद में कुलपति प्रो. प्रदीप ने मजबूरन अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था.
राजभवन ने माना विधिक दृष्टि से सही नहीं जांच : इसके बाद अब कुलाधिपति ने तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा द्वारा पूर्व वीसी के खिलाफ बैठाई जांच समिति व उनकी पूरी कार्रवाई को निरस्त कर दिया है. इस संबंध में कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी की ओर से जारी आदेश में एकेटीयू के विनियम 2.05 का हवाला देते हुए कहा गया है कि कुलपति को अपने पूर्वाधिकारी के खिलाफ कोई भी जांच कार्यवाही करने का प्रावधान नहीं है. कुलपति के खिलाफ जांच विवि अधिनियम 2000 की धारा 9 (6)व 9 (7)और विनियम 2.04 के तहत कुलाधिपति के स्तर से की जा सकती है, लेकिन तत्कालीन कुलपति प्रो. प्रदीप मिश्रा ने अपने स्तर से तीन सदस्यीय जांच समिति बनाया जाना विधिक दृष्टि से नियमानुकूल नहीं है. लिहाजा उनके द्वारा गठित जांच समिति व उसकी कार्रवाई को निरस्त किया जाता है.