लखनऊ: केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा फार्मर फर्स्ट परियोजना के तत्वाधान में ग्राम ढकवा नवीपनाह मलिहाबाद में 'विश्व मृदा दिवस' मनाया गया. इस अवसर पर किसानों को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक किया गया. साथ ही संस्थान के कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने अपने-अपने विचार रखे.
जैविक कृषि मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण
वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी कि रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक की जगह कार्बनिक खाद का उपयोग करें और जैविक खेती को बढ़ावा दें. वैज्ञानिकों ने किसानों को वर्मी कम्पोस्ट, बायो डीकंपोजर और पंचगब्य इत्यादि जैविक खाद बनाने एवं प्रयोग करने की सलाह दी. साथ ही मानव जीवन में जैविक खेती के बढ़ते महत्व को ध्यान में रखते हुए जैविक पर आधारित कृषि को बढ़ावा देने को कहा.
कैसे मृदा को रखें स्वस्थ
इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक डॉ. एस. के. शुक्ला ने बागवानों एवं पौधशाला कर्मियों को उनके नर्सरी की मृदा को किस-किस प्रकार से स्वस्थ रखते हुए रोगमुक्त पौध तैयार करने की जानकारी दी. साथ ही साथ यह भी बताया कि निरंतर उच्च उत्पादन की प्राप्ति के लिये स्वस्थ मृदा महत्वपूर्ण है.
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने रखे विचार
कृषि वैज्ञानिक डॉ. दुष्यंत मिश्र ने किसानों को जल एवं मृदा संरक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बारे में बताया. फार्मर फर्स्ट परियोजना के वरिष्ठ शोध अध्येता ने किसानों को आम आधारित मुर्गी पालन, मशरुम उत्पादन, पोषण वाटिका और आम में आदर्श कृषि क्रियाओं के बारे में अवगत कराया. किसानों से रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग न करके उचित मात्रा में सही समय पर प्रयोग करने की सलाह दी. इस गोष्टी में किसानों ने बढ़-चढ़ के उत्साह दिखाया और मृदा से संबंधित समस्याओं को वैज्ञानिकों के सामने प्रस्तुत किया, जिसका समाधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया.
कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिकों और किसानों ने लिया भाग
इस कार्यक्रम में संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एस.के. शुक्ल, कृषि वैज्ञनिक दुष्यंत मिश्र, वरिष्ठ शोध अध्येता रोहित जायसवाल एवं प्रवेश सिंह, डॉ. शरद वर्मा, सौरभ सिंह और प्रगतिशील किसान अखिलेश अवस्थी, पवन शर्मा, राम नरेश अवस्थी, विजय अवस्थी, त्रिभुवन, महेंद्र सिंह, मोहम्मद युशुफ, शिवनाथ चौरसिया सहित 50 किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. कार्यक्रम का समन्वय डॉ. एस. के. शुक्ल द्वारा भारत सरकार के कोविड-19 दिशा-निर्देश का पालन करते हुए किया गया. मृदा दिवस पर क्षेत्र के सैकड़ो किसानों ने जानकारी प्राप्त कर वैज्ञानिकों के विचार सुने.