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आईआईटीआर के वैज्ञानिकों ने बनाई हीमोग्लोबिन एनालिसिस डिवाइस, खुद कर सकेंगे खून की कई जांचें

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 30, 2023, 2:38 PM IST

भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने हीमोग्लोबिन एनालिसिस डिवाइस (हीमोग्लोबिन एनालाइजर) तैयार किया है. इस डिवाइस की मदद से लोग घर बैठे अपने खून से संबंधित कई जांचें कर सकेंगे. इसके अलावा अस्पतालों में डिवाइस लगाने से मरीजों को लंबी लंबी लाइनों से भी छुटकारा मिल जाएगा.

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लखनऊ : भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने हीमोग्लोबिन एनालाइजर (डिवाइस) बनाया है. जिसे लोग आसानी से अपने घर में रख सकते हैं. इससे रक्त जनित होने वाली सभी बीमारियों के बारे में आसानी से पता चल सकेगा. वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर यह हीमोग्लोबिन एनालाइजर बाजार में उपलब्ध हो जाएगा तो लोग घर बैठे हीमोग्लोबिन का टेस्ट कर सकेंगे.

आईआईटीआर के वैज्ञानिकों ने हीमोग्लोबिन एनालाइजर.
आईआईटीआर के वैज्ञानिकों ने हीमोग्लोबिन एनालाइजर.


अच्छी कंपनी के खरीदने का है इंतजार : आईआईटीआर निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने बताया कि हीमोग्लोबिन एनालाइजर डिवाइस पूरी तरह से बनकर तैयार है. अब इस डिवाइस को हम किसी अच्छी कंपनी को देंगे. ताकि वह इसका सदुपयोग कर सकें. यह मशीन अगर मेडिकल संस्थानों में लगाई जाएगी तो वहां पर इसका इस्तेमाल बहुत अच्छे से होगा. क्योंकि, यह तीन प्रमुख जांच को मिलाकर बनाई गई है. इसका जो रिजल्ट है, वह भी बहुत स्पष्ट है. यह मशीन किसी भी प्रकार के रक्त जनित बीमारी को पकड़ने में सक्षम है.


अस्पताल की लाइन के झंझट से मिलेगा छुटकारा : वर्तमान समय में यह डिवाइस जरूरत को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इस तरह से लोग घरों में बीपी और शुगर जांचने की मशीन घर पर रखते हैं. उसी तरह से यह डिवाइस भी घर पर रख सकेंगे. इस डिवाइस की मदद से विटामिन्स समेत शरीर में रक्त का क्या हाल है, समेत कई जांचें घर पर कर सकेंगे. मशीन घर पर होने की दशा में लोगों को रक्त जनित जांचों के लिए किसी अस्पताल जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.


डिवाइस बनने के बाद आगे की प्रक्रिया : बता दें, जब भी कोई अनुसंधान संस्थान किसी भी वस्तु का निर्माण करते हैं तो उसके बाद एक नामी कंपनी के द्वारा पूरे प्रोजेक्ट यानी की उस समान के निर्माण की पूरी प्रक्रिया पर्चेस करते हैं. उसके बाद वह कंपनी उसे प्रक्रिया के द्वारा उसे डिवाइस या सामान को बड़ी संख्या में बनवाते हैं और फिर उसे मार्केट में लॉन्च करते हैं. उस समय बड़ी-बड़ी कंपनियां शहर के बड़े मेडिकल संस्थानों में भी उस मशीन को लगवाते हैं. ताकि मशीन का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो सकें.

यह भी पढ़ें : लखनऊ में वैज्ञानिकों ने कहा-देश के विकास ने साबित किया कि विज्ञान ने हमेशा आगे का रास्ता दिखाया

आईआईटीआर जैसे इंस्टिट्यूशन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण, सरकार करे सपोर्टः साइंटिस्ट

लखनऊ : भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने हीमोग्लोबिन एनालाइजर (डिवाइस) बनाया है. जिसे लोग आसानी से अपने घर में रख सकते हैं. इससे रक्त जनित होने वाली सभी बीमारियों के बारे में आसानी से पता चल सकेगा. वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर यह हीमोग्लोबिन एनालाइजर बाजार में उपलब्ध हो जाएगा तो लोग घर बैठे हीमोग्लोबिन का टेस्ट कर सकेंगे.

आईआईटीआर के वैज्ञानिकों ने हीमोग्लोबिन एनालाइजर.
आईआईटीआर के वैज्ञानिकों ने हीमोग्लोबिन एनालाइजर.


अच्छी कंपनी के खरीदने का है इंतजार : आईआईटीआर निदेशक डॉ. भास्कर नारायण ने बताया कि हीमोग्लोबिन एनालाइजर डिवाइस पूरी तरह से बनकर तैयार है. अब इस डिवाइस को हम किसी अच्छी कंपनी को देंगे. ताकि वह इसका सदुपयोग कर सकें. यह मशीन अगर मेडिकल संस्थानों में लगाई जाएगी तो वहां पर इसका इस्तेमाल बहुत अच्छे से होगा. क्योंकि, यह तीन प्रमुख जांच को मिलाकर बनाई गई है. इसका जो रिजल्ट है, वह भी बहुत स्पष्ट है. यह मशीन किसी भी प्रकार के रक्त जनित बीमारी को पकड़ने में सक्षम है.


अस्पताल की लाइन के झंझट से मिलेगा छुटकारा : वर्तमान समय में यह डिवाइस जरूरत को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इस तरह से लोग घरों में बीपी और शुगर जांचने की मशीन घर पर रखते हैं. उसी तरह से यह डिवाइस भी घर पर रख सकेंगे. इस डिवाइस की मदद से विटामिन्स समेत शरीर में रक्त का क्या हाल है, समेत कई जांचें घर पर कर सकेंगे. मशीन घर पर होने की दशा में लोगों को रक्त जनित जांचों के लिए किसी अस्पताल जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.


डिवाइस बनने के बाद आगे की प्रक्रिया : बता दें, जब भी कोई अनुसंधान संस्थान किसी भी वस्तु का निर्माण करते हैं तो उसके बाद एक नामी कंपनी के द्वारा पूरे प्रोजेक्ट यानी की उस समान के निर्माण की पूरी प्रक्रिया पर्चेस करते हैं. उसके बाद वह कंपनी उसे प्रक्रिया के द्वारा उसे डिवाइस या सामान को बड़ी संख्या में बनवाते हैं और फिर उसे मार्केट में लॉन्च करते हैं. उस समय बड़ी-बड़ी कंपनियां शहर के बड़े मेडिकल संस्थानों में भी उस मशीन को लगवाते हैं. ताकि मशीन का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो सकें.

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