लखनऊ: सीएसआईआर- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Toxicology Research) लखनऊ में शुक्रवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया. प्रौद्योगिकी दिवस समारोह 'स्कूल टू स्टार्टअप-इग्नाइटिंग यंग माइंड्स टू इनोवेट' थीम के साथ मनाया गया. इस अवसर पर विभिन्न स्कूलों एवं कॉलेजों के 100 से अधिक इच्छुक छात्रों को सीएसआईआर-आईआईटीआर का भ्रमण करने का अवसर प्रदान किया गया. यह आयोजन नवोदित वैज्ञानिकों एवं युवा मस्तिष्कों को उत्कृष्ट शोधकर्ताओं से जुड़ने एवं विषविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक मंच था. इस दिवस पर स्कूली छात्रों के लिए जिज्ञासा ग्रीष्मकालीन कार्यशाला का भी उद्घाटन किया गया.
सीडीआरआई व आईआईटीआर ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि डॉ. रामकृष्णन पार्थसारथी, प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने उपस्थित लोगों को संस्थान के मिशन एवं विजन की जानकारी प्रदान करते हुए कार्यक्रम को प्रारंभ किया. उन्होंने संस्थान के मुख्य उद्देश्य जैविक प्रणालियों पर रसायनों के हानिकारक प्रभावों को समझने एवं उन्हें दूर करने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करने पर जोर दिया.
छात्रों को शिक्षित करने के उद्देश्य से विषविज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर एक व्याख्यान शृंखला का आयोजन किया गया. डॉ. एन. मणिक्कम, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने विषविज्ञान के मूल सिद्धांतों से अवगत कराते हुए जीवों पर रासायनिक पदार्थों के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डाला. डॉ. योगेश्वर शुक्ला, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने विभिन्न पर्यावरणीय रसायनों की कैंसरकारी क्षमता को समझने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की एवं हानिकारक पर्यावरणीय पदार्थों के विरुद्ध निरंतर सतर्क रहने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया.
डॉ. रतन सिंह रे, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने मनुष्यों एवं जंतुओं पर फोटोटॉक्सिसिटी के प्रभावों, अर्थात प्रकाश के संपर्क में रहने पर होने वाले हानिकारक प्रभावों पर चर्चा की एवं प्रकाश द्वारा प्रेरित विषाक्त प्रभावों की जटिलता पर प्रकाश डाला. डॉ. केसी खुल्बे, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने वैज्ञानिक एवं तकनीकी विश्व के महत्वपूर्ण विषय एवं आवश्यक तत्व“बौद्धिक संपदा अधिकार”पर व्याख्यान दिया.
व्याख्यानों के अंत में, डॉ. वीपी शर्मा, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने छात्रों को संबोधित करते हुए “मानव एवं पर्यावरण अध्ययन में विषविज्ञान के महत्व” विषय पर एक रोमांचक व्याख्यान दिया. उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य की संरक्षा तथा पर्यावरण के संरक्षण में विषविज्ञानियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी बल दिया.
ज्ञानप्रद व्याख्यानों के उपरांत छात्रों ने पर्यावरण विषविज्ञान एवं माइक्रोबियल उपचारात्मक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए प्रौद्योगिकी विकास एवं नवाचार केंद्र (टीडीआईसी) का भ्रमण किया. इस अवसर पर छात्रों को उन्नत इमेजिंग सुविधाओं, विश्लेषणात्मक सुविधाओं, पर्यावरण माइक्रोबियल उपचार और कम्प्यूटेशनल विषविज्ञान के बारें में जानकारी प्राप्त करने का अवसर भी प्राप्त हुआ.
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