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...तो तीसरी लहर में बच्चों को नहीं छूएगा कोरोना ? - डॉ. पियाली भट्टाचार्य

भारतीय बाल रोग अकादमी ने बच्चों में कोरोना संक्रमण के गंभीर खतरों की संभावना से इनकार किया है. अकादमी ने कहा, बच्चों में कोरोना का संक्रमण तो है, लेकिन उसका खतरा बड़ों के मुकाबले कम है. अबतक बहुत ही कम बच्चों को आईसीयू-वेंटिलेटर पर भर्ती करने की जरूरत पड़ी है.

कोरोना महामारी
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Published : May 25, 2021, 9:54 AM IST

लखनऊ: बच्चों पर कोरोना संक्रमण का खतरा है या नहीं इस विषय पर भारतीय बाल रोग अकादमी ने दावा किया है कि बच्चों में कोरोना का संक्रमण तो है, लेकिन उसका खतरा बड़ों के मुकाबले कम है. अबतक बहुत ही कम बच्चों को आईसीयू-वेंटिलेटर पर भर्ती करने की जरूरत पड़ी है. दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच देश भर में सीरो सर्वे हुए हैं. इसके आधार पर अकादमी ने बच्चों में संक्रमण के गंभीर खतरों की संभावना से इनकार किया है.

क्या कहती हैं डॉ. पियाली भट्टाचार्य?

भारतीय बाल रोग अकादमी की सदस्य और पीजीआई में बाल रोग विभाग की विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया, पैंडेमिक लहरों में आता है. कोरोना के तीसरी लहर के संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. अभी बच्चों को छोड़ बाकी सभी उम्र के लोगों का टीकाकरण हो रहा है. इसलिए बड़ों को संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो गया है. अब बच्चों को वायरस से बचाना हमारी जिम्मेदारी है.

10-15 साल के बच्चों में बड़ों की तरह संक्रमण
उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी यह है कि जिनके घर में छोटे बच्चे हैं उनके परिवार के सभी सदस्य बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगाएं. इससे काफी हद तक संक्रमण को घर में लाने से बच सकते हैं. सीरो सर्वे रिपोर्ट के आधार पर डॉ. पियाली ने बताया कि 10 से 15 साल तक के बच्चों में भी बड़ों की तरह संक्रमण दर 20 से 25 प्रतिशत रही है. पर, बच्चे गंभीर होने से बच गए हैं. उन्होंने बताया कि बच्चों में बड़ों की तरह बीमारी नहीं होती है. इसलिए वायरस आसानी से बच्चों की सेहत को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है.

तीसरी लहर में बच्चे भी होंगे प्रभावित
तीसरी लहर से सिर्फ बच्चों के प्रभावित होने या फिर गंभीर होने का अनुमान नहीं है. विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर तैयारी पूरी करनी होगी. पहली लहर का असर बुजुर्ग, दूसरी लहर का असर 30 से 45 वर्ष वालों पर हुआ. अब बच्चे वायरस के निशाने पर आ सकते हैं, इसलिए सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं.

अकादमी ने दिए सुझाव
दो से पांच साल तक के बच्चों को भी मॉस्क पहनाना सिखाएं
साफ-सफाई के प्रति जागरुक करें
बच्चों के इलाज की व्यवस्था पुख्ता की जाए
अस्पताल में एनआईसीयू, पीआईसीयू व सामान्य
ऑक्सीजन बेड बढ़ाएं
डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ बढ़ाए
एनआईसीयू-पीआईसीयू व वार्ड में तैनात डॉक्टर-कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाए
परीक्षण के बाद ही टीकाकरण

इसे भी पढ़ें:इस 5 किलोमीटर के बीच गोमती के साथ नहीं लें सेल्फी, क्योंकि फोटो अच्छी नहीं आएगी

अकादमी ने कहा, बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन अभी परीक्षण की प्रक्रिया में है. भारतीय वैक्सीन को इस दिशा में मंजूरी मिली है. परीक्षण सफल होने तथा बच्चों के लिए वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित होने पर बच्चों को दी जाएगी. जिन देशों में बच्चों के संक्रंमित होने का अनुमान नहीं है वहां पर अभी बच्चों के टीकाकरण को प्राथमिकता में नहीं रखा गया है.

लखनऊ: बच्चों पर कोरोना संक्रमण का खतरा है या नहीं इस विषय पर भारतीय बाल रोग अकादमी ने दावा किया है कि बच्चों में कोरोना का संक्रमण तो है, लेकिन उसका खतरा बड़ों के मुकाबले कम है. अबतक बहुत ही कम बच्चों को आईसीयू-वेंटिलेटर पर भर्ती करने की जरूरत पड़ी है. दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच देश भर में सीरो सर्वे हुए हैं. इसके आधार पर अकादमी ने बच्चों में संक्रमण के गंभीर खतरों की संभावना से इनकार किया है.

क्या कहती हैं डॉ. पियाली भट्टाचार्य?

भारतीय बाल रोग अकादमी की सदस्य और पीजीआई में बाल रोग विभाग की विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बताया, पैंडेमिक लहरों में आता है. कोरोना के तीसरी लहर के संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. अभी बच्चों को छोड़ बाकी सभी उम्र के लोगों का टीकाकरण हो रहा है. इसलिए बड़ों को संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम हो गया है. अब बच्चों को वायरस से बचाना हमारी जिम्मेदारी है.

10-15 साल के बच्चों में बड़ों की तरह संक्रमण
उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी यह है कि जिनके घर में छोटे बच्चे हैं उनके परिवार के सभी सदस्य बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगाएं. इससे काफी हद तक संक्रमण को घर में लाने से बच सकते हैं. सीरो सर्वे रिपोर्ट के आधार पर डॉ. पियाली ने बताया कि 10 से 15 साल तक के बच्चों में भी बड़ों की तरह संक्रमण दर 20 से 25 प्रतिशत रही है. पर, बच्चे गंभीर होने से बच गए हैं. उन्होंने बताया कि बच्चों में बड़ों की तरह बीमारी नहीं होती है. इसलिए वायरस आसानी से बच्चों की सेहत को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है.

तीसरी लहर में बच्चे भी होंगे प्रभावित
तीसरी लहर से सिर्फ बच्चों के प्रभावित होने या फिर गंभीर होने का अनुमान नहीं है. विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर तैयारी पूरी करनी होगी. पहली लहर का असर बुजुर्ग, दूसरी लहर का असर 30 से 45 वर्ष वालों पर हुआ. अब बच्चे वायरस के निशाने पर आ सकते हैं, इसलिए सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं.

अकादमी ने दिए सुझाव
दो से पांच साल तक के बच्चों को भी मॉस्क पहनाना सिखाएं
साफ-सफाई के प्रति जागरुक करें
बच्चों के इलाज की व्यवस्था पुख्ता की जाए
अस्पताल में एनआईसीयू, पीआईसीयू व सामान्य
ऑक्सीजन बेड बढ़ाएं
डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ बढ़ाए
एनआईसीयू-पीआईसीयू व वार्ड में तैनात डॉक्टर-कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाए
परीक्षण के बाद ही टीकाकरण

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अकादमी ने कहा, बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन अभी परीक्षण की प्रक्रिया में है. भारतीय वैक्सीन को इस दिशा में मंजूरी मिली है. परीक्षण सफल होने तथा बच्चों के लिए वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित होने पर बच्चों को दी जाएगी. जिन देशों में बच्चों के संक्रंमित होने का अनुमान नहीं है वहां पर अभी बच्चों के टीकाकरण को प्राथमिकता में नहीं रखा गया है.

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