लखनऊ : इन दिनों ज्यादातर महिलाओं का सिजेरियन प्रसव हो रहा है. जिस पर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने भी एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि 'देखरेख से कम किया जा सकता है सिजेरियन प्रसव', लेकिन अस्पतालों का हाल यूं है कि इस समय नॉर्मल प्रसव तो हो ही रहा है, सिजेरियन प्रसव की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. अब सरकारी अस्पताल में डॉक्टर ज्यादा झंझट नहीं आने देते हैं. तुरंत ऑपरेशन के लिए कह देते हैं. झलकारी बाई अस्पताल, क्वीन मेरी अस्पताल और अवंतीबाई अस्पताल में जनवरी, फरवरी और मार्च में से सबसे अधिक सिजेरियन डिलीवरी फरवरी महीने में हुई.
वीरांगना झलकारीबाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ दीपा शर्मा ने बताया कि 'बीते तीनों महीनों के डिलीवरी आंकड़े जारी कर दिये गये हैं. इस बार तीन महीनों के डाटा एक साथ जारी किये गये हैं. इन तीनों महीनों की तुलना में फरवरी में सबसे अधिक सिजेरियन विधि द्वारा डिलीवरी कराई गई है, वहीं उन्होंने बताया कि हमारे पास अधिकतर रेफर हुए केस आते हैं, यही कारण है कि फरवरी माह में अधिक रेफर मामले आए हैं, जिसके कारण फरवरी महीने में अधिक सिजेरियन विधि द्वारा प्रसव कराया गया है. जब भी सीरियस मामले रेफर होकर आते हैं तो उन्हें तुरंत एचडीयू में शिफ्ट करके इलाज दिया जाता है, ताकि जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहे. जनवरी में सिजेरियन डिलीवरी 191 व नॉर्मल 116, फरवरी में सिजेरियन डिलीवरी 203 व नॉर्मल 126 और मार्च में सिजेरियन डिलीवरी 191 व नॉर्मल 107 डिलीवरी हुई.'
क्वीन मेरी अस्पताल की मीडिया प्रभारी डॉ. रेखा सचान बताती हैं कि 'हमारे अस्पताल में हमेशा रेफर मामले ही आते है इसलिए यहां अधिकांश डिलीवरी सिजेरियन विधि द्वारा ही कराई जाती है. रोजाना पांच से छह केस अन्य जगहों से रेफर होकर आते हैं. सभी हाई डिपेंडेंसी यूनिट में भर्ती होते हैं. महीने में तकरीबन 150 से 200 के बीच में सिजेरियन डिलीवरी होती है. इस बार फरवरी महीने में 263 सिजेरियन डिलीवरी हुई है, जबकि 167 नॉर्मल डिलीवरी हुई है, वहीं ओपीडी में रोजाना 250 से अधिक गर्भवती महिलाओं को देखा जा रहा है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां सिजेरियन डिलीवरी इसलिए भी अधिक होती है क्योंकि बहुत सी महिलाएं खुद ही ऑपरेट कराने के लिए कहती हैं.'
अवंतीबाई महिला अस्पताल की एमएस डॉ. अरूणा ने बताती हैं कि 'सिजेरियन डिलीवरी जनवरी में 96 व नॉर्मल 196, फरवरी में सिजेरियन डिलीवरी 102 व नॉर्मल 231 और मार्च में सिजेरियन डिलीवरी 61 व नॉर्मल 275 हुई है. उन्होंने बताया कि सिजेरियन डिलीवरी निर्भर करता है कि किस महीने में कितने सीरियस केस और रेफर केस आते हैं. फरवरी में सबसे अधिक रेफर केस 321 आए हैं, जिनमें से 143 महिलाओं का ऑपरेशन किया गया, बाकी अन्य महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी हुई थी.'
गर्भावस्था के दौरान इन बातों का रखें ख्याल : डॉ. रेखा सचान ने बताया कि 'गर्भावस्था के दौरान अच्छा पोषण महत्वपूर्ण होता है. महिलाओं को थोड़े-थोड़े अंतराल में भोजन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि भोजन में दाल, चावल व रोटी खाएं. साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थ विटामिन और आहारीय फाइबर से भरपूर होते हैं, जो आपको कब्ज से बचाते हैं. साबुत अनाज से बने उत्पादों का चयन करें. इसमें ब्राउन राइस और आटे की ब्रेड फायदेमंद है. चपाती या पिटा ब्रेड बनाते समय चोकर युक्त गेहूं का आटा फायदेमंद है.'
फल-सब्जियां फायदेमंद : डॉ. रेखा सचान ने बताया कि 'सब्जियां और फल विटामिन और मिनरल के अच्छे स्रोत हैं. गहरे हरे रंग की सब्जियां फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में होते हैं. इसके सेवन से भ्रूण को न्यूरल ट्यूब दोष से प्रभावित होने से बचाता है. संतरे और कीवी जैसे फलों में पाया जाने वाला विटामिन सी आपके शरीर को आयरन अवशोषित करने में मदद करता है. कद्दू, टमाटर और गहरे हरे रंग की सभी सब्जियां कैरोटीन से भरपूर होती हैं, जिसे शरीर में विटामिन ए में बदला जा सकता है.'
फास्ट फूड के सेवन से बचें : मांस, मछली, अंडे भी खा सकती हैं. सोयाबीन व मेवे भी गर्भावस्था में लाभदायक हैं. खाने की इन वस्तुओं में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, आयरन और विटामिन बी-12 होता है. दूध-दही, गुड का सेवन भी करें. कान्फ्रेंस की चेयरपर्सन डॉ. चन्द्रावती ने बताया कि ज्यादा तली भुनी वस्तुओं से सेवन से बचना चाहिए. फास्ट फूड, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक, छोले-भटूरे, चाउमीन के सेवन से परहेज करें.
प्रसव के बाद रक्तस्राव गंभीर : डॉ. रेखा सचान ने बताया कि 'प्रसव के दौरान या बाद में रक्तस्राव से महिलाओं की जान जोखिम में पड़ सकती है. इसे पीपीएच कहते हैं. यह प्रसव के बाद 12 सप्ताह तक हो सकता है. इसके अधिकतर मामले सिजेरियन डिलीवरी में देखे गए हैं. उन्होंने बताया है कि भारत में हर 10 हजार से 100 महिलाओं में डिलीवरी के दौरान या बाद में पीपीएच की समस्या होती है. चिंता की बात यह है कि पीपीएच के लक्षण हर महिला में अलग हो सकते हैं. प्रमुख लक्षण अधिक रक्तस्राव. ब्लड प्रेशर में गिरावट, धड़कन का बढ़ना व हीमोग्लोबिन में कमी हो सकती है. समय पर लक्षणों की पहचान कर प्रसूता को गंभीर होने से बचाया जा सकता है.'
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