लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याजदान बिल्डर्स की हजरतगंज स्थित बिल्डिंग के ध्वस्तीकरण के खिलाफ फ्लैट खरीदारों (flat buyers) की याचिका पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा गया कि उक्त बिल्डिंग जिस जमीन पर बनी है, वह नजूल की जमीन है व इसका पट्टा किसी और को किया गया था. इस पर न्यायालय ने उक्त पट्टे की डीड को पेश करने का आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ (Bench of Justice AR Masoodi and Justice Om Prakash Shukla) ने निधि अग्रवाल, तृप्ति तारा प्रसाद शुक्ला, नुजहत खुर्शीद व रविकांत की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया गया. याचियों की दलील थी कि एलडीए नक्शा पास न होने के आधार पर उक्त बिल्डिंग को अवैध बताते हुए गिरा रहा है. जबकि जब उन्होंने फ्लैट्स खरीदे थे तो बताया गया था कि बिल्डिंग का नक्शा पास है.
याचियों की ओर से कहा गया कि छह सालों से इसका निर्माण चल रहा है. यदि अवैध निर्माण था तो एलडीए के अधिकारियों ने रोका क्यों नहीं. यही नहीं जिलाधिकारी ने वहां बेसमेंट के लिए खोदाई का भी आदेश दिया था. वहीं याचिका का एलडीए के अधिवक्ता रत्नेश चंद्रा (Advocate Ratnesh Chandra) ने विरोध करते हुए कहा कि बिल्डिंग का नक्शा 2019 में ही निरस्त कर दिया गया था. याचियों ने नक्शा निरस्त होने के बाद खरीॉदारी की. लिहाजा उन्हें कोई भी राहत नहीं दी जा सकती. कहा गया कि वास्तव में वर्तमान याचिका एक प्रॉक्सी पिटीशन (छद्म याचिका) है, जो बिल्डर्स के द्वारा फ्लैट खरीदारों को आगे कर के दाखिल करवाई गई है.