लखनऊ : उत्तर प्रदेश पंचायतीराज सफाई कर्मचारी संघ ने निदेशक पंचायती राज, मिशन निदेशक स्वच्छ भारत मिशन द्वारा जारी सफाई कर्मचारियों के लिए बायोमीट्रिक उपस्थिति के आदेश को न्यायालय की मंशा के विपरीत बताया है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार कनौजिया ने कहा कि जब उच्च न्यायालय द्वारा ग्राम पंचायत कार्मिकों को ग्राम प्रधान के अधीन माना गया है तो इस स्थिति में बायोमीट्रिक उपस्थित का कोई मतलब नहीं है.
राजकुमार कनौजिया के अनुसार पिछले 14 वर्षों से लगभग 70 प्रतिशत ग्राम पंचायत सफाईकर्मी राजस्व ग्रामों जगह विभिन्न तहसील, ब्लाॅक और जिलाधिकारियों के साथ संबद्ध हैं. ग्राम पंचायतों में कितने समय कार्यालय खुलेगा, किस समय बायोमीट्रिक उपस्थित दर्ज कराकर सफाईकर्मी ड्यूटी करेगा इसका भी कोई निश्चित समय नहीं है. अगर इसे जबरन लागू किया गया तो लगभग 70 प्रतिशत की संख्या में सम्बंद्ध सफाई कर्मचारी बायोमीट्रिक उपस्थित दर्ज राने में असमर्थ होंगे.
बायोमीट्रिक उपस्थित के विरोध करते हुए राजकुमार ने निदेशक पंचायती राज को अपने द्वारा उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका 488/2017 का हवाला देते हुए कहा कि जब उच्च न्यायालय ने उपस्थिति और अवकाश के लिए सफाई कार्मिकों को प्रधान के अधीन माना है तो इस स्थिति में बायोमीट्रिक उपस्थिति का आदेश औचित्यहीन है. राजकुमार कनौजिया ने कहा कि इसे लागू करने से पूर्व लगभग 70 प्रतिशत कार्मिक जो पिछले 14 वर्षों से तहसील, ब्लाॅक और जिलाधिकारियों में सम्बंद्ध हैं उन्हें सम्बंधित राजस्व ग्रामों में तैनात किया जाए. राजकुमार कनौजिया ने यह भी हवाला दिया है कि बायोमीट्रिक उपस्थिति सम्बंधी आदेश में इस बॉत भी जिक्र नहीं किया गया कि सफाई कार्मिक बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने से ग्राम प्रधान की उपस्थित पंजिका से मुक्त होगें. ऐसी स्थिति में या तो पंचायती राज सफाई कार्मिकों को ग्राम प्रधान से मुक्त किया जाए या फिर बायोमीट्रिक आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए.
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