लखनऊ: कोरोना वायरस महामारी ने हर स्तर पर हर वर्ग की कमर तोड़ दी है. इसका असर अब चिकित्सा शिक्षा पर भी पड़ने लगा है. दरअसल, प्रतिष्ठित चिकित्सा शिक्षा संस्थानों से प्रतिवर्ष कुशल चिकित्सक निकलकर अपनी सेवाएं देश के अन्य प्रतिष्ठित चिकित्सालय में देते हैं. इस साल कोरोना वायरस की वजह से छात्रों की शिक्षा बेहतर ढंग से नहीं हो पा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि चिकित्सा संस्थानों में छात्रों की पढ़ाई कोरोना के चलते नहीं कराई जा पा रही है. इसकी वजह चिकित्सा शिक्षा पर असर पड़ रहा है. हालांकि, शिक्षा में किसी तरह का व्यवधान न आए इसको ध्यान में रखते हुए चिकित्सा संस्थानों ने कई व्यवस्थाएं की हैं.
इसके बाद भी चिकित्सकों से बातचीत में यह पता चला कि चिकित्सा शिक्षा पर कोरोना वायरस का असर पड़ेगा ही. दरअसल, चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोगशाला और प्रयोग का काफी महत्व होता है, जो कोरोना काल में नहीं हो पा रहा है. चिकित्सा संस्थानों में क्लास अब सिर्फ ऑनलाइन ही हो रही हैं. इसकी वजह से छात्र प्रयोग नहीं कर पा रहे और वे प्रैक्टिकल नॉलेज से दूर हैं.
ऑनलाइन क्लासेस के भरोसे हो रही पढ़ाई
बीते लगभग 3 महीने से यह सभी छात्र ऑनलाइन क्लासेस के भरोसे ही अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. चिकित्सा शिक्षा के स्तर को जानने के लिए राजधानी लखनऊ स्थित लोहिया संस्थान केजीएमयू और पीजीआई के डॉक्टर्स से बातचीत की गई. लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी ने बताया कि कोरोना वायरस से छात्रों की पढ़ाई किसी भी तरह से बाधित न हो इसके लिए तमाम प्रयास किए गए हैं. इसके लिए ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था भी की गई है. ऑनलाइन क्लासेस की मदद से कोर्स पिछड़ने नहीं पाएगा. इसके साथ ही समय रहते सभी स्टडी मटेरियल छात्रों को प्राप्त कराए जाएंगे.
केजीएमयू के प्रवक्ता ने दी जानकारी
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि केजीएमयू में भी छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था की गई हैं, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा छात्रों को उनके कोर्स से संबंधित जानकारियां दी जा सके. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसे ही परिस्थितियों से निपटने के लिए अब ऑनलाइन क्लासेस का सहारा केजीएमयू में लिया जाएगा. वहीं जब पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पीजीआई में भी ऑनलाइन क्लासेज का सहारा लेते हुए ही छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. साथ ही लॉकडाउन में थोड़ी बहुत भी राहत मिलेगी तो छात्रों को प्रैक्टिकल करवाने की व्यवस्था की जाएगी, जिससे कि छात्र प्रैक्टिकल जानकारी से दूर न रहें और उन्हें व्यापक जानकारी व शिक्षा अपने कोर्स से संबंधित मिल पाए.
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परीक्षा में हो सकती है देरी
चिकित्सा संंस्थानों का कहाना है कि इस स्थिति में अगर परीक्षा में देरी होती है तो उसको लेकर भी चिकित्सा संस्थान व्यवस्था कर रहे हैं, ताकि आने वाले साल में स्थिति में सुधार आ सके.