लखनऊ: शारदीय नवरात्रि पर दुर्गा प्रतिमाएं पंडालों में स्थापित की जाती हैं और दशहरा के बाद विसर्जित कर दिया जाता है. इसी क्रम में वाराणसी और प्रयागराज, प्रतापगढ़ में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया.
लोगों की मान्यता
दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने वालें लोगों का मानना है कि नवरात्रि के नौ दिन मां अपने मायके में रहती है और दशहरे के बाद उन्हें विदा करने की परंपरा है. लोगों का ऐसा मानना है कि दुर्गा पूजा स्थापित करते समय मां के चेहरे पर अद्भुत मुस्कान होती है और विसर्जन के समय उनके चेहरे पर उदासी छा जाती है.
![बंगीय समाज ने सिंदूर खेला की रस्म अदा की.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9321482_sd.jpg)
बंगीय समाज ने सिंदूर खेला की रस्म अदा की
धर्म व अध्यात्म की नगरी कहीं जाने वाली काशी में बंगीय समाज की महिलाओं ने मां दुर्गा की प्रतिमा को सिंदूर अर्पण कर सिंदूर खेला की रस्म अदा की. इस दौरान दुर्गा पंडालों में नाचते-गाते बंगी समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला की परंपरा का निर्वहन किया.
प्रयागराज में विसर्जित की गई दुर्गा प्रतिमाएं
प्रयागराज में शारदीय नवरात्र के समापन के बाद अब मां दुर्गा की विदाई की जा रही है. शहर और ग्रामीण अंचल में दुर्गा पूजा पंडालों के आयोजक मूर्तियों का पूजन कर गांव और नदी के किनारे बनाए गए कृत्रिम तालाब में उनको विसर्जित कर रहे हैं. भक्तों ने गाजे-बाजे के साथ मां की प्रतिमाओं को तालाब पर ले जाकर नम आंखों से विसर्जित किया.
![प्रयागराज में विसर्जित की गई दुर्गा प्रतिमाएं.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9321482_fsdf.jpg)
प्रयागराज संगम में प्रदूषण न फैले और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कड़ाई के चलते पिछले वर्ष की भांति इस बार भी नवीन विसर्जन स्थल महेंद्र प्रताप सिंह डिग्री कॉलेज अंदावा, झूंसी, थाना सराय इनायत के सामने बने बड़े तालाब पर कराया जा रहा. विसर्जन स्थल पर तीन जेटी, लाइटिंग, पंडाल, नावें, माइक सिस्टम, कंट्रोल रूम आदि की व्यवस्था की गई थी. मूर्तियों के अवशेष को तालाब से निकालने के लिए मशीनें भी लगाई गई है.
![प्रतापगढ़ में दुर्गा प्रतिमाओं का हुआ विसर्जन](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/9321482_ptg.jpg)
प्रतापगढ़ में दुर्गा प्रतिमाओं का हुआ विसर्जन
नवरात्र में पूजन-अर्चन के बाद मां की विदाई सादगी से की जा रही है. इसके लिए जिला प्रशासन और कई सामाजिक समितियों के पदाधिकारी तैयारी को अंतिम रूप दे चुके हैं. नवरात्र की नवमी व दशमी 25 अक्टूबर को थी. इसके बाद दशहरा कल था. अधिकांश आयोजक अपने पंडाल से मूर्तियों को नवमी पूजन के बाद विसर्जित करने में लग जाते हैं. शहर क्षेत्र की मूर्तियों का विसर्जन बेल्हा देवी धाम में सई पुल के बगल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास हो रहा है. इसके लिए नदी के किनारे तालाब खोदा गया है. कोर्ट की सख्ती के कारण नदियों में मूर्ति नहीं डाली जाएगी.